नए साल का आगाज जर्मनी के लिए अच्छा साबित नहीं हो रहा। जर्मनी में आर्थिक संकट के बादल मंडरा रहे हैं। नए साल के शुरू होते ही किसानों ने डीजल सब्सिडी में कटौती की सरकार की योजना के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। वहीं सैलरी विवाद को लेकर ट्रेन ड्राइवर कई दिनों तक हड़ताल पर रहने की प्लानिंग कर रहे हैं। जर्मनी की बीमार अर्थव्यवस्था यानी यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, पिछले साल अपने बड़े यूरोजोन मेंबर देशों के बीच सबसे कमजोर थी। इसके पीछे की मुख्य वजह ऊर्जा की ज्यादा लागत, कमजोर ग्लोबल ऑर्डर और रिकॉर्ड हाई इंट्रेस्ट रेट्स रहीं।
एकमात्र G7 अर्थव्यवस्था होगी जो 2023 में सिकुड़ गई
बीते साल नवंबर में जर्मनी की मौजूदा सरकार को एक बड़ा झटका लगा जब जर्मनी की शीर्ष अदालत ने साल 2024 की बजट योजनाओं को खारिज कर दिया। इससे 17 बिलियन यूरो के फंडिंग गैप को भरने के तरीके पर राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई। समस्याएं यहीं खत्म नहीं हो रही हैं। जर्मनी के कार्यबल और बुनियादी ढांचे से जुड़ी दीर्घकालिक संरचनात्मक समस्याएं भी अभी भी अनसुलझी हैं। रॉयटर्स के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि जर्मनी एकमात्र G7 अर्थव्यवस्था होगी जो 2023 में 0.9 प्रतिशत पर सिकुड़ गई। यह रफ्तार साल 2024 में एडवांस इकोनॉमी के औसत 1.4 प्रतिशत से काफी नीचे रहने की उम्मीद है। इस साल आने वाले दिनों में कुछ ऐसी चीजें हैं तो जर्मनी की इकोनॉमी के लिहाज से चुनौतीपूर्ण साबित होने वाली हैं। आइए इसे यहां समझते हैं।
देशव्यापी रैलियों की योजना
चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ के गठबंधन ने अपने जल्दबाजी में संशोधित बजट में डीजल सब्सिडी में कटौती के प्रस्तावों को कमजोर कर दिया है। हालाँकि, जर्मन किसान संघ के अध्यक्ष ने कहा कि यह बहुत आगे तक नहीं गया। उन्होंने इस सप्ताह देशव्यापी रैलियों की योजना बनाई। उधर जीडीएल ट्रेन ड्राइवर के संघ की तरफ से घोषित क्रिसमस संघर्ष विराम भी सोमवार को खत्म हो गया। कहा जा रहा है कि जीडीएल ने एक हड़ताल की योजना बनाई है जो कई दिनों तक चलेगी क्योंकि रेल ऑपरेटर डॉयचे बान के साथ सैलरी विवाद जारी है।
बजट उथल-पुथल
स्कोल्ज़ के तीन-पक्षीय गठबंधन ने संवैधानिक कोर्ट के फैसले के बाद सरकार के वित्त को अव्यवस्थित करने के बाद कई हफ्तों की बातचीत के बाद दिसंबर में 2024 के लिए मसौदा बजट के प्रमुख बिंदुओं पर एक समझौते की घोषणा की। बजटीय कठोरता के समर्थक, वित्त मंत्री क्रिश्चियन लिंडनर की मांग के मुताबिक, जर्मनी 2024 में नई शुद्ध उधारी पर अपनी सीमा बहाल करेगा। साथ ही कुल 17 बिलियन यूरो के फंडिंग गैप को मोटे तौर पर लागत बचत के साथ भर देगा। इसका असर होगा कि पहले से ही कमजोर विकास दर में और गिरावट आएगी। तीन प्रमुख जर्मन आर्थिक संस्थानों ने अपने 2024 के आर्थिक विकास पूर्वानुमानों में कटौती करते हुए कहा कि बजट संकट के कारण सुधार में देरी हो रही है।
जर्मनी की ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया
आईएफओ को अब उम्मीद है कि जर्मनी अगले साल 1.4 प्रतिशत के बजाय 0.9 प्रतिशत की वृद्धि करेगा, जबकि आरडब्ल्यूआई ने अपना अनुमान 1.1 प्रतिशत से घटाकर 0.8 प्रतिशत कर दिया है और डीआईडब्ल्यू ने अपना अनुमान 1.2 प्रतिशत से घटाकर 0.6 प्रतिशत कर दिया है। आईएफओ के पूर्वानुमान प्रमुख टिमो वोल्मर्सहेयूसर ने कहा कि वर्तमान में अनिश्चितता के चलते सुधार में देरी हो रही है, क्योंकि इससे उपभोक्ताओं की बचत करने की प्रवृत्ति बढ़ती है और कंपनियों और निजी घरों की निवेश करने की इच्छा कम हो जाती है।
गठबंधन कमजोर हुआ
बजट की तकरार ने पहले से ही तीन-तरफ़ा गठबंधन में तनाव बढ़ा दिया है। सर्वेक्षणों से पता चलता है कि संकट के बड़े विजेता, विपक्षी रूढ़िवादी और जर्मनी के लिए दूर-दक्षिणपंथी अल्टरनेटिव (एएफडी) हैं। बढ़ते तनाव और 2024 के बजट समझौते को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत के चलते सरकार द्वारा सत्ता संभालने के समय किए गए संरचनात्मक सुधारों में देरी हो रही है।
संरचनात्मक समस्याएं
जर्मनी के सामने श्रमिकों की भारी कमी की भी चुनौती है। आधिकारिक अनुमान बताते हैं कि जर्मनी के वृद्ध समाज में 2035 तक 7 मिलियन कुशल श्रमिकों की कमी होगी। जर्मनी, खासतौर से कुशल उच्च-विकास वाले क्षेत्रों में श्रमिकों की भारी कमी का सामना कर रहा है। सरकार का लक्ष्य श्रम की कमी को दूर करने के लिए यूरोपीय संघ के बाहर के देशों से इमिग्रेशन को बढ़ावा देना है। 2023 में आव्रजन और नागरिकता कानूनों में सुधार के बावजूद, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ग्रोथ धीमी हो सकती है। साथ ही यहां की लालफीताशाही और निवेश की कमी अर्थव्यवस्था की दो पुरानी समस्याएं हैं जो ऊर्जा परिवर्तन और हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्शन के रोल-आउट को धीमा कर रही हैं।
कितनी है जर्मनी की इकोनॉमी
फोर्ब्स इंडिया के मुताबिक, जर्मनी की सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी मौजूदा समय में 4,430 अरब डॉलर है। प्रति व्यक्ति आय करीब $52,820 डॉलर है। फिलहाल मौजूदा समय में सालाना जीडीपी विकास दर -0.1% प्रतिशत है। जर्मनी की अर्थव्यवस्था आमतौर पर निर्यात पर फोकस करती है। वैसे जर्मनी इंजीनियरिंग, ऑटोमोटिव, रसायन और फार्मास्युटिकल क्षेत्रों में अपनी सटीकता के लिए प्रसिद्ध है।
भारत है तेजी से बढ़ती इकोनॉमी
भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाला इकोनॉमी बना चुका है। फोर्ब्स के मुताबिक, भारत का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी 3,730 अरब डॉलर है। प्रति व्यक्ति देश के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद हालांकि $2,610 अरब डॉलर ही है। भारत 2024 में विश्व की जीडीपी रैंकिंग में 5वें स्थान पर है। भारत की अर्थव्यवस्था विविधता और तेज विकास का दावा करती है, जो आईटी, सर्विस, कृषि और विनिर्माण जैसे प्रमुख क्षेत्रों द्वारा संचालित है। राष्ट्र अपने व्यापक घरेलू बाज़ार, एक युवा और तकनीकी रूप से कुशल श्रम शक्ति और एक विस्तारित मध्यम वर्ग का लाभ उठाता है।