
Explainer: भारत ने अपनी नौसेना के लिए फ्रांस से 26 राफेल मरीन जेट खरीदने को मंजूरी देकर दुश्मन देशों के खेमे में खलबली मचा दी है। 4.5वीं पीढ़ी के इन विमानों की एंट्री से न केवल रक्षा के क्षेत्र में भारत नई बुलंदियों को छुएगा, बल्कि भारतीय नौसेना की क्षमता को कई गुना बढ़ा देगा। इन्हें 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के समकक्ष माना जा रहा है। 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान अमेरिका, रूस और चीन जैसे चुनिंदा देशों की ही नौसेनाओं के पास में हैं। फ्रांस के इन राफेल विमानों को स्वदेशी और दुनिया के खतरनाक युद्धपोतों में शुमार आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात किया जाएगा। मगर आइये आपको बताते हैं कि भारत को इन मरीन जेट की जरूरत क्यों पड़ी?
बता दें कि भारतीय वायुसेना का बेड़े में पहले से ही 36 राफेल लड़ाकू विमान शामिल हैं। इन फाइटर विमानों की गिनती दुनिया के बेहद खतरनाक जेटों में होती है। ये 4.5वीं पीढ़ी के अत्याधुनिक लड़ाकू विमान हैं, जो कम ही देशों के पास हैं। भारत ने अब अपनी नौसेना की सामरिक ताकत बढ़ाने के इरादे से इन 26 नए राफेल मरीन जेटों की खरीद को हरी झंडी दी है। इनके आने से भारतीय वायुसेना का साथ अब जल सेना की ताकत भी कई गुना बढ़ जाएगी।
समुद्र में बढ़ने वाली है सबसे ज्यादा प्रतिद्वंद्विता
भारत को इन जेट विमानों की जरूरत भविष्य में विभिन्न समुद्री क्षेत्र में बढ़ती प्रतिद्वंद्विता के लिहाज से पड़ी है। एशिया-प्रशांत महासागर से लेकर, हिंद महासागर, दक्षिण चीन सागर, अरब सागर, अदन की खाड़ी, काला सागर और लाल सागर में दुनिया के विभिन्न देशों के बीच जबरदस्त जंग छिड़ी है। वर्चस्व की इस लड़ाई में भारत को अपनी रक्षा तो करनी ही है, साथ ही उसे दूसरे देशों की संप्रभुता के लिए भी संघर्ष करना है। हाल ही में लाल सागर और अदन की खाड़ी में कई व्यापारिक जहाजों पर हुए हमलों में भारतीय नौसेना की तत्परता से सैकड़ों लोगों की जान बचाई गई। भारतीय नौसेना की इस ताकत का दुनिया ने लोहा माना। अब दुनिया के विभिन्न देशों की उम्मीदें समुद्री संसार में भारत से बढ़ गई हैं।
एशिया-प्रशांत और दक्षिण चीन सागर है पिन प्वाइंट
भारत के लिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण चीन सागर सबसे बड़ा पिन प्वाइंट है। चीन इन क्षेत्रों में अपना दबदबा लगातार बढ़ाता जा रहा है। ऐसे में चीन की दादागिरी रोकने के लिए सबको भारत से ही उम्मीदें हैं। अमेरिका भी इस बात को मानता है कि दक्षिण चीन सागर में अगर चीन को कोई रोक सकता है तो वह भारत है। इतना ही नहीं एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एशिया से लेकर यूरोप तक व्यापार करने वाले देशों की राह में आने वाली बाधाओं को अगर कोई दूर कर सकता है और उन्हें सुरक्षित आवागमन के लिए आश्वस्त कर सकता है तो वह केवल भारत है। भारत हमेशा से ही स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की वकालत करता रहा है। भारत की भूमिका अब वैश्विक स्तर पर समुद्र क्षेत्र में बढ़ने वाली है।
भारत दुनिया की सबसे ताकतवर चौथी सेना
मौजूदा वक्त में भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना है। मगर नौसेना के मामले में भारत की रैंकिंग 7वीं है। भारतीय थल सेना से लेकर, वायुसेना और जल सेना का दुनिया में डंका बजता है। पीएम मोदी के कार्यकाल में भारत ने अपना सबसे ज्यादा फोकस थल सेना के बाद वायु और जलसेना पर किया है। इसकी वजह है कि समुद्री क्षेत्र में लगातार प्रतिद्वंद्विता बढ़ रही है। हाल ही में बांग्लादेश ने अपने क्षेत्र में चीन को कारोबार का न्यौता देकर इस खतरे को और बढ़ा दिया है। ऐसे में इन जेट मरीनों की एंट्री से भारत रणनीतिक और सामरिक रूप से मजबूत होगा।
किन देशों की नौसेना के पास हैं 5वीं पढ़ी के लड़ाकू विमान
दुनिया के जिन देशों की नौसेना के पास 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं, उनमें अमेरिका पहले नंबर पर है। इसके बाद रूस और चीन आते हैं। दुनिया की सबसे ताकतवर नौसेनाओं में 7वें नंबर पर होने के बावजूद भारत 4.5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान रखने के मामले में दुनिया में चौथे पायदान पर हो जाएगा। क्योंकि यह फीचर में लगभग 5वीं पीढ़ी के समकक्ष हैं। जबकि ओवरऑल भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी और ताकतवर सेना है।
अमेरिका, रूस, चीन और भारत की नौसेना की ताकत का तुलनात्मक विश्लेषण
- कुल जहाज: लगभग 290 युद्धपोत (सक्रिय) और 485 से अधिक कुल जलयान
- एयरक्राफ्ट कैरियर: 11 परमाणु-संचालित कैरियर (निमित्ज और फोर्ड श्रेणी), प्रत्येक 70-80 लड़ाकू विमानों को ले जाने में सक्षम।
- पनडुब्बियां: 68 पनडुब्बियां, जिनमें 14 परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां (ओहियो क्लास) और 50 से अधिक हमलावर पनडुब्बियां ।
- डिस्ट्रॉयर: 92 अर्ले बर्क-श्रेणी के विध्वंसक, जो एजिस मिसाइल रक्षा प्रणाली से लैस हैं।
- नौसैनिक विमान: 2,400+ विमान
- विशेषताएं: परमाणु-संचालित जहाजों की बड़ी संख्या, वैश्विक ठिकानों का नेटवर्क (जैसे जापान, बहरीन), और सटीक हथियारों (टॉमहॉक मिसाइलें) की क्षमता इसे बेजोड़ बनाती है। इसका बजट भी सबसे बड़ा है, जो लगभग 200 बिलियन डॉलर सालाना है।
- कुल जहाज: लगभग 600 जलयान (सहायक जहाजों सहित), जिनमें से 270+ युद्धपोत हैं।
- एयरक्राफ्ट कैरियर: 1 (एडमिरल कुज़नेत्सोव), जो पूरी तरह परमाणु-संचालित नहीं है ।
- पनडुब्बियां: 65 पनडुब्बियां, जिनमें 11 बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां (बोरे और डेल्टा क्लास) और 20+ परमाणु-संचालित हमलावर पनडुब्बियां ।
- डिस्ट्रॉयर और फ्रिगेट: 14 डिस्ट्रॉयर और 12 फ्रिगेट, जो हाइपरसोनिक मिसाइलों से लैस।
- कॉर्वेट और छोटे जहाज: 83 कॉर्वेट और 122 पैट्रोल वेसल, जो तटीय रक्षा में मजबूत हैं।
- नौसैनिक विमान: लगभग 200-300 विमान, जिसमें Su-33 और MiG-29K शामिल हैं।
- विशेषताएं: रूस की नौसेना आर्कटिक और ब्लैक सी में मजबूत है। इसकी पनडुब्बी बेड़ा परमाणु हथियारों और लंबी दूरी की मिसाइलों (कैलिबर) के साथ खतरनाक है।
- कुल जहाज: 370+ युद्धपोत और 730+ कुल जलयान (सहायक सहित)।
- एयरक्राफ्ट कैरियर: 3 (लियाओनिंग, शांडोंग, और फुजियान), जिनमें से फुजियान सबसे आधुनिक है और विद्युत चुम्बकीय कैटापल्ट से लैस है।
- पनडुब्बियां: 66 पनडुब्बियां, जिनमें 6 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां (जिन क्ल- डिस्ट्रॉयर और फ्रिगेट: 41 डिस्ट्रॉयर और 54 फ्रिगेट, जिसमें टाइप 055 जैसे उन्नत जहाज शामिल हैं।
- कॉर्वेट और छोटे जहाज: 85 कॉर्वेट और 150+ पैट्रोल वेसल।
- नौसैनिक विमान: 400+ विमान, जिसमें J-15 और हेलीकॉप्टर शामिल हैं।
- विशेषताएं: चीन का जोर संख्याबल और क्षेत्रीय प्रभुत्व (दक्षिण चीन सागर) पर है। यह परमाणु पनडुब्बियों और हाइपरसोनिक हथियारों में निवेश कर रहा है।
- कुल जहाज: 150+ युद्धपोत और 295+ कुल जलयान।
- एयरक्राफ्ट कैरियर: 2 (आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत), जिनमें विक्रांत स्वदेशी है।
- पनडुब्बियां: 18 पारंपरिक पनडुब्बियां (कलवरी और सिंधुघोष क्लास) और 2 परमाणु-संचालित पनडुब्बियां (अरिहंत और अरिघात, बैलिस्टिक मिसाइल से लैस)।
- डिस्ट्रॉयर और फ्रिगेट: 10 डिस्ट्रॉयर (विशाखापत्तनम और कोलकाता क्लास) और 14 फ्रिगेट।
- कॉर्वेट और छोटे जहाज: 28 कॉर्वेट और 40+ पैट्रोल वेसल।
- नौसैनिक विमान: 200+ विमान, जिसमें MiG-29K, सी हॉक और P-8I Poseidon शामिल हैं।
- विशेषताएं: भारत की नौसेना हिंद महासागर में चीन के प्रभाव को संतुलित करने पर ध्यान देती है। यह स्वदेशी जहाज निर्माण (विक्रांत, अरिघात) और लंबी दूरी की मिसाइलों (ब्रह्मोस) में प्रगति कर रही है।
नोटः (कुल जहाज में युद्धपोत, विमान वाहक, विध्वंसक, फ्रिगेट, कार्वेट, पनडुब्बियां, क्रूज़र जहाज़, जल और नभ में आक्रमण कर सकने वाले सभी जहाज़ शामिल हैं| )