Sunday, December 08, 2024
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Explainer: बांग्लादेश में खतरे में क्यों है हिंदुओं की जान? आखिर क्या है जमात-ए-इस्लामी का प्लान?

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हर गुजरते दिन के साथ अत्याचार बढ़ता जा रहा है और इन सबके पीछे एक संगठन जमात-ए-इस्लामी का नाम लगातार सामने आ रहा है। आज हम आपको इसी संगठन के इतिहास और इसके मकसद के बारे में बता रहे हैं।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Dec 07, 2024 19:43 IST, Updated : Dec 07, 2024 19:43 IST
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Image Source : PTI बांग्लादेश में हिंदू लगातार खुद पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।

ढाका: बांग्लादेश में 1 करोड़ 31 लाख हिंदुओं की जान खतरे में है। ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता जब बांग्लादेशी हिंदुओं पर हमले की खबर हेडलाइन नहीं बनती हो। कहीं मंदिर तोड़ा जाता है, कभी मूर्ति तोड़ी जाती है, हिंदू प्रतीकों की बेअदबी होती है, और विरोध करने वाले हिंदुओं का कत्ल किया जाता है। कई वीडियो तो ऐसे आ रहे हैं जो आप देख नहीं सकते। हर अगला वीडियो हिंदुओं से क्रूरता के नए नए हथकंडे दिखाता है, हमले और धमकी की तीव्रता बढ़ती जा रही है। बांग्लादेश में 10 हमले में से 9 हमलों के पीछे एक ही नाम आता है जमात-ए-इस्लामी। आज हम आपको बांग्लादेश की इसी कट्टरपंथी जमात और इसकी हरकतों के बारे में बताएंगे।

5 अगस्त से हेडलाइंस में जमा है जमात

जमात-ए-इस्लामी बनाने के पीछे मकसद क्या था? इसे बांग्लादेश में लॉन्च किसने किया? यह हिंदुओं से इतना क्यों चिढ़ती है? इसका आगे का प्लान क्या है? आजकल ऐसे कई सवाल बांग्लादेश में दिलचस्पी लेने वाले लोगों के जेहन में उठ रहे हैं। बता दें कि 5 अगस्त को शेख हसीना के हेलीकॉप्टर ने जैसे ही ढाका से दिल्ली के लिए उड़ान भरी, जमात-ए-इस्लामी पूरी दुनिया की सबसे बड़ी हेडलाइन बन गया। हिंदू, अंग्रेजी, बांग्ला, उर्दू, हर भाषा में जमात की हेडलाइंस छपी। ढाका की सड़कों पर हिंदुओं का खून बहने लगा, और खूनी जमात-ए-इस्लामी सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंडिंग हो गया। शेख हसीना के जाते ही कट्टरपंथियों की फौज हाथों में हथियार लेकर हिंदुओं को मिटाने निकल पड़ी थी।

कैसे वजूद में आया था जमात-ए-इस्लामी?

जमात-ए-इस्लामी के मूल संगठन की स्थापना भारत की आजादी से पहले अगस्त 1941 में की गई थी। इस्लामिक दार्शनिक अबुल आला मौदूदी ने लाहौर के इस्लामिया पार्क से इसकी शुरुआत की। इसका शुरुआती मकसद इस्लाम का प्रचार रखा गया। संगठन का मकसद इस्लाम को पूरी दुनिया में फैलाना, ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ना था। 1941 से लेकर 1946 तक पूरे भारत में जमात-ए-इस्लामी इस्लाम का प्रचार करता रहा। ये संगठन पूरी तरह अखंड भारत के लिए समर्पित रहा। जमात-ए-इस्लामी पहला वह मुस्लिम संगठन था जिसने भारत के विभाजन और अलग पाकिस्तान का विरोध किया। इसने 1946 के चुनाव में मुस्लिम लीग को सपोर्ट नहीं किया था।

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Image Source : PTI
मोहम्मद यूनुस ने जमात की हरकतों की तरफ से आंखें मूंदी हुईं हैं।

कैसे अपने मकसद से भटक गया संगठन?

भारत से अलग होकर पाकिस्तान अलग देश बना और मौजूदा बांग्लादेश उस वक्त पूर्वी पाकिस्तान कहलाया। यहीं से ये संगठन दो अलग-अलग हिस्सों में टूट गया। भारत में जमात-ए-इस्लामी हिंद संगठन रहा जबकि पाकिस्तान में जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान बनाया गया। भारत में जमात पूरी तरह कानून के दायरे में रहकर धर्म के प्रचार में जुटा रहा तो पाकिस्तान का जमात पूरी तरह कट्टरपंथियों के कब्जे में आ गया। पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं के साथ हिंसा, धर्मांतरण जैसे कामों में पूरा जमात जुट गया।  पश्चिमी पाकिस्तान के ज्यादातर हिंदू जमात जैसे संगठनों के प्रेशर में या तो कन्वर्ट हो गये या फिर देश छोड़ गये लेकिन पूर्वी पाकिस्तान में वे हिंदुओं की अच्छी-खासी आबादी को पूरी तरह कंट्रोल नहीं कर सके और इसकी कसक आज भी कट्टरपंथियों के मन में रहती है।

बांग्लादेश में जमात ने जमा लिया वर्चस्व

बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस को शांति के लिए नोबेल प्राइज मिला था। उनके देश में उनकी नाक के नीचे जमात-ए-इस्लामी हिंदुओं की नस्ल मिटाने पर आमादा है। हर हिंदू डरा हुआ है और मोहम्मद यूनुस कुर्सी से चिपके हुए हैं। जमात के पास ऐसी क्या पावर है जिसने मोहम्मद यूनुस के होठ सिल दिए हैं? बता दें कि जमात लंबे समय से बांग्लादेश में बैन था और शेख हसीना के जाते ही तुरंत इस पर से प्रतिबंध हटा लिया गया, और हिंदुओं पर हमले ज्यादा भीषण और ज्यादा तेज होने लगे। आज के बांग्लादेश में जमात के वर्चस्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके खिलाफ बोलना भी मौत को दावत देने जैसा हो गया है।

जमात के सिर पर पाकिस्तान का हाथ

अजीब विडंबना है कि जिस बांग्लादेश को पाकिस्तान के चंगुल से भारत ने आजाद करवाया, आज उसी पर अपना कंट्रोल कर लेने वाले जमात के जिहादियों को पाकिस्तान, उसकी खुफिया एजेंसी ISI और आतंकी संगठनों का पूरा सपोर्ट मिलता है। पाकिस्तान जिहादियों के लिए पैसे भेजता है, ISI एंटी इंडिया स्क्रिप्ट लिखकर देता हैऔर पाकिस्तान के आतंकी कैंपों में इन जिहादियों को ट्रेनिंग दी जाती है। पाकिस्तान के इशारे पर ही बांग्लादेश में जमात के कट्टरपंथी हिंदू विरोधी और भारत विरोधी माहौल तैयार करते हैं, और ये सब करने के लिए मौलानाओं की फौज मैदान में उतार दी गई है। पाकिस्तान के इशारे पर जमात के कट्टरपंथी हिंदुओं के खिलाफ हमलों को पूरी प्लानिंग के साथ अंजाम दे रहे हैं।

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Image Source : PTI
बांग्लादश में कट्टरपंथियों ने ISKCON के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है।

हिंदुओं पर हमलों का क्या है जमाती प्लान?

जमात के जिहादी पूरी साजिश के तहत कदम-दर-कदम आगे बढ़ रहे हैं। हिंसा के पहले दौर में हिंदुओं को अवामी लीग का कार्यकर्ता यानी शेख हसीना समर्थक बताकर मारा गया ताकि उनमें इस्लामिक शासन वाला डर पैदा किया जा सके। जमात हिंदुओं को यह बताना चाहता था कि उन्हें बचाने वाला कोई नहीं है। हिंसा का दूसरा दौर नवरात्र में शुरू हुआ जब जिहादियों की भीड़ ने हजारों मूर्तियों को तोड़ डाला, मंदिरों में तोड़फोड़ की। इसका मकसद हिंदुओं को पूजा से रोकना और धर्म से दूर करके उनका धर्मांतरण किया जा सके। खास बात ये है कि जमात ज्यादातर हमलों को खुद अंजाम नहीं देता है। वह सिर्फ हिंदुओं के खिलाफ माहौल तैयार करता है, और पाकिस्तान से ट्रेंड होकर आए आतंकी हमला करते हैं।

क्या है जमात-ए-इस्लामी का टारगेट?

1947 में पूर्वी पाकिस्तान यानी आज के बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 22 फीसदी थी, जो बांग्लादेश की आजादी यानी 1971 तक घटकर 13.5 फीसदी रह गये। 1981 में ये नंबर 12.1 फीसदी और 2011 आते-आते 8 फीसदी रह गया है। जिहादियों का टारगेट इस नंबर को जीरो पर पहुंचाना है ताकि वे बांग्लादेश को इस्लामिक मुल्क बना सकें और.शरिया लागू कर सकें। इसलिए जमात की टोली हिंदुओं के सबसे बड़े नरसंहार की स्क्रिप्ट पर काम कर रही है और छोटे-छोटे हमलों की जगह हिंदुओं पर बड़े अटैक प्लान किए जा रहे हैं। जमात के लोग बाकायदा इसके लिए अलग-अलग वजह बताते हैं, जैसे कि इस समय ISKCON निशाने पर है।

इस्कॉन क्यों है जिहादियों के निशाने पर

बांग्लादेश में कुल 65 इस्कॉन मंदिर हैं और इसके फॉलोअर्स की संख्या एक लाख से ज्यादा है। इस्कॉन को बांग्लादेश में हिंदू आस्था का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है, इसलिए जमात के जिहादियों ने इसे आतंक का अड्डा और भारतीय साजिश का सेंटर बोलना शुरू कर दिया। ऐसा करके वे हर गली मोहल्ले में एंटी इस्कॉन सेंटिमेंट्स बनाना चाहते हैं। वैसे भी जमात का टारगेट इस्कॉन नहीं बल्कि हिंदू विरोधी माहौल बनाना है। ऐसा करके वे हिंदुओं के खिलाफ बड़े से बड़े हमले को बांग्लादेशी मुसलमानों के बीच जस्टिफाई करना चाहते हैं। खास बात यह है कि जमात के जिहादियों ने उन मुसलमानों पर भी हमले किए हैं, जिन्होंने हिंदुओं के पक्ष में एक शब्द भी बोला हो।

भारत के इलाकों पर भी है जमात की नजर

जमात और आतंकी मिलकर ‘अखंड बांग्लादेश’ की साजिश रच रहे है। अब सवाल यह उठता है कि ‘अखंड बांग्लादेश’ क्या है? दरअसल, जमातियों ने बांग्लादेश के नक्शे में भारत के पश्चिम बंगाल, झारखंड के बड़े हिस्सों, बिहार के कई जिलों, असम, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर के कई हिस्सों को शामिल किया है। जिहादियों ने अपने नक्शे में नेपाल और म्यांमार के भी कई हिस्सों को जोड़ लिया है। जमात का टारगेट पहले बांग्लादेश में इस्लामिक शासन लागू करना, उसके बाद बांग्लास्तान वाली साजिश पर आगे बढ़ना है, और फाइनल स्टेप में पाकिस्तान के साथ मिल जाना है। जमात की ये सारी कवायद पाकिस्तान के इशारे पर हो रही है। अब देखते हैं कि यह मामला कब और कैसे अंजाम तक पहुंचता है।

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