Friday, September 06, 2024
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Explainer:'जीरो डोज चिल्ड्रेन' किन बच्चों को कहते हैं? UNICEF की रिपोर्ट पर क्यों भड़का भारत? जानें सबकुछ

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों के कम टीकाकरण को लेकर UNICEF की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा है कि 2014 से अब तक 5.46 करोड़ बच्चों और 1.32 करोड़ गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया है।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published on: July 20, 2024 8:46 IST
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Image Source : PTI REPRESENTATIONAL भारत में व्यापक स्तर पर बच्चों का टीकाकरण किया जाता है।

नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के टीकाकरण आंकड़ों पर वैश्विक संस्था UNICEF की एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के निष्कर्षों को खारिज कर दिया है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 'जीरो डोज' वाले बच्चों की संख्या बहुत ज्यादा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने UNICEF की रिपोर्ट पर कहा है कि इसे लेकर मीडिया में जो खबरें आई हैं वे आंकड़ों की अधूरी तस्वीर को सामने लाती हैं। सरकार ने कहा है कि भारत में सभी एंटीजनों का दायरा प्रतिशत वैश्विक औसत से ज्यादा है। 

'जीरो डोज चिल्ड्रेन' कौन हैं?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की परिभाषा के मुताबिक, 'Zero Dose Children' या शून्य खुराक वाले बच्चे उन बच्चों को कहा जाता है जिनके पास नियमित टीकाकरण सेवाओं तक पहुंच नहीं होती या जिन तक ये सुविधाएं नहीं पहुंच पाती। उन्हें उन बच्चों के तौर पर गिना जाता है, जिन्हें डीटीपी की पहली खुराक नहीं मिली है, जो कि डिप्थीरिया-टिटनेस-पर्टुसिस से बचाव करने वाली वैक्सीन होती है। 'शून्य खुराक' वाले बच्चों के लिए, जिन्हें कोई टीका नहीं लगा है, समय पर टीकाकरण के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

क्यों जरूरी है टीकाकरण?

टीके खसरा, पोलियो और काली खांसी जैसी बीमारियों के खिलाफ ‘इम्यूनिटी’ या प्रतिरक्षा प्रदान करते हैं, जिससे शिशुओं को संभावित रूप से जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकता है। प्रारंभिक टीकाकरण महत्वपूर्ण है क्योंकि शिशुओं की प्रतिरक्षा प्रणाली उस समय विकसित हो रही होती है, जिससे वे संक्रमणों के प्रति संवेदनशील होते हैं। वैक्सीन के जरिए वायरस या बैक्टीरिया के हानिरहित वर्जन दिए जाते हैं जिनसे प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडी बनाने की ताकत मिलती है। जब बच्चा वास्तविक रोग पैदा करने वाले रोगाणु का सामना करता है तो ये एंटीबॉडीज उसकी रक्षा करती हैं।

UNICEF की रिपोर्ट में क्या है?

WUENIC डेटा या राष्ट्रीय टीकाकरण कवरेज के WHO/ UNICEF अनुमानों के मुताबिक, 'DTP इम्यूनाइजेशन कवरेज 2022 की तुलना में स्थिर है, और 'जीरो डोज चिल्ड्रेन' की संख्या महामारी से पहले 2019 की तुलना में अभी भी अधिक है। शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या पिछले साल की तुलना में थोड़ी ज्यादा है (1.39 करोड़ से बढ़कर 1.45 करोड़ यानी कि कुल 6 लाख की वृद्धि) और 2019 की तुलना में अभी भी 17 लाख ज्यादा है। 2023 में बिना टीकाकरण वाले और कम टीकाकरण वाले बच्चों की कुल संख्या 2.1 करोड़ है, जो बेसलाइन वैल्यू से 27 लाख ज्यादा है।' डेटा के मुताबिक, भारत उन 10 देशों में शामिल है जहां दुनिया के 59 फीसदी 'जीरो डोज चिल्ड्रेन' हैं।

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Image Source : PTI REPRESENTATIONAL
भारत में 2014 से अब तक 1.32 करोड़ गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया है।

भारत ने दिया करारा जवाब

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को UNICEF की इस रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज कर दिया। मंत्रालय ने कहा कि मीडिया में आई उन खबरों से देश के टीकाकरण आंकड़ों की अधूरी तस्वीर सामने आती है, जिनमें कहा गया है कि यूनिसेफ की रिपोर्ट के आधार पर अन्य देशों की तुलना में भारत में उन बच्चों की संख्या अधिक है जिन्हें कोई टीका नहीं लगा है। मंत्रालय ने कहा कि उन्होंने तुलना किए गए देशों की जनसंख्या आधार और टीकाकरण के दायरे को ध्यान में नहीं रखा है। इसने कहा कि भारत में सभी एंटीजनों का दायरा प्रतिशत वैश्विक औसत से अधिक है।

‘मिशन इंद्रधनुष’ का किया जिक्र

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में, एंटीजन के लिए दायरा 90 प्रतिशत से अधिक है, जो अन्य उच्च आय वाले देशों जैसे न्यूजीलैंड (DTP-1 93 प्रतिशत), जर्मनी और फिनलैंड (DPT-3 91 प्रतिशत), स्वीडन (MCV-1 93 प्रतिशत), लक्जमबर्ग (MCV-2 90 प्रतिशत), आयरलैंड (PCV-3 83 प्रतिशत) और उत्तरी आयरलैंड (RotaC 90 प्रतिशत) के बराबर है। मंत्रालय ने कहा कि शून्य खुराक वाले और कम टीकाकरण वाले बच्चों तक पहुंचने के लिए, भारत ने राज्यों के सहयोग से ‘मिशन इंद्रधनुष’ और ‘गहन मिशन इंद्रधनुष’ के तहत कई पहल को लागू किया है।

‘मिशन इंद्रधनुष’ का हुआ ये असर

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि ‘मिशन इंद्रधनुष’ की वजह से 2014-2023 के बीच शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या में 34 प्रतिशत की कमी आई है। इसने कहा कि 2014 से अब तक सभी जिलों में ‘मिशन इंद्रधनुष’ के 12 चरण आयोजित किए जा चुके हैं, जिनमें सभी चरणों में 5.46 करोड़ बच्चों और 1.32 करोड़ गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया है। इस तरह देखा जाए तो मंत्रालय ने आंकड़ों के आधार पर UNICEF की रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज कर दिया है।

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