बात साल 1971 की है, ईस्ट पाकिस्तान को लेकर उस समय भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। इस युद्ध में भारत ने दुश्मन देश को धूल चटा दी थी। इस रण में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को इतनी करारी शिकस्त दी थी कि वो घुटने टेकने पर मजबूर हो गए थे। इस युद्ध के कारण ही आजाद बांग्लादेश(पहले का ईस्ट पाकिस्तान) का भी जन्म हुआ। इस युद्ध के कुछ समय उपरांत ही दोनों देशों के बीच शिमला एग्रीमेंट हुआ। अब प्रश्न आता है कि आखिर शिमला समझौता कब हुआ था? तो चलिए जानते हैं इस सवाल के जवाब को और इस एग्रीमेंट की मुख्य बातें।
कब हुआ था शिमला समझौता?
1971 के भारत और पाकिस्तान के युद्ध के लगभग 6 महीने बाद, 2 जुलाई 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान से जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच एक एग्रीमेंट साइन हुआ। यह समझौता हिमाचल की राजधानी शिमला में हुआ था। इस एग्रीमेंट को ही शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है। जानकारी दे दें कि आज शिमला समझौते की 52वीं वर्षगांठ है। इतिहास में दर्ज जुलाई 1972 की तारीख भारतीय सेना के अतुल्य शौर्य और पराक्रम की गाथा को बताती है।
कई दौर में हुई वार्ता
वर्ष 1972 था, भारत और पाकिस्तान के बीच 28 जून से बातचीत आरंभ हुई, जो 1 जुलाई तक कई दौर तक चली। इस अहम वार्ता का उद्देश्य कश्मीर से जुड़े विवादों का निवारण(हल) आपसी बातचीत और शांतिपूर्ण तरीके से निकालना था। फिर 2 जुलाई को इस समझौते पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान से जुल्फिकार अली ने हस्ताक्षर किए, जिसे शिमला समझौते के नाम से जाना गया। इस समझौते में कई अहम मुद्दों पर सहमति बनी थी, जिनमें से कुछ को आप नीचे बिंदुवार पढ़ सकते हैं।
शिमला समझौते के बिंदु
- इस एग्रीमेंट में तय हुआ कि कश्मीर को लेकर चल रहे विवादों का शांतिपूर्ण ढंग से बातचीत कर रास्ता निकाला जाएगा।
- इस समझौते में तय किया गया कि दोनों देशों के बीच बातचीत में किसी तीसरे को मध्यस्थ या तीसरा पक्ष नहीं बनाया जाएगा।
- समझौते में युद्ध बंदियों की अदला-बदली की भी बात कही गई थी। यानी कि युद्ध के दौरान बंदी बनाए गए सैनिकों को उनके देश को सौंप दिया जाएगा।
- समझौते में तय हुआ कि 1971 में भारत द्वारा कब्जाई गई जमीन पाकिस्तान को वापस की जाएगी।
- एग्रीमेंट में इस बात पर भी सहमति बनी आत्मसमर्पण के बाद दोनों देशों की सेनाएं जिस स्थिति में थी वो वास्तविक नियंत्रण रेखा होगी।
- इस समझौते में यह भी तय हुआ कि दोनों ही देशों की सरकारें एक दूसरे देश के खिलाफ कोई प्रचार नहीं करेंगे और इसे अपने देश में रोकेंगी
- इस एग्रीमेंट में राजनयिक संबंधों को सुधारने और सामान्य किए जाने की भी बात कही गई थी।
- इसमें कहा गया कि दोनों देशों के बीच फिर से व्यापार शुरू किया जाएगा।
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