न्यूयॉर्क: अमेरिका में नए साल की शुरुआत एक आतंकी हमले से हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, न्यू ऑरलियन्स में एक शख्स ने बुधवार की सुबह एक पिकअप ट्रक को नए साल का जश्न मान रहे लोगों की भीड़ में घुसा दिया, जिससे 15 लोग मारे गए और दर्जनों अन्य घायल हो गए। यह खतरनाक हमला प्रसिद्ध बॉर्बन स्ट्रीट के पास हुआ। इस हमले को अंजाम देने वाले शख्स की पहचान शम्सुद्दीन बहार जब्बार के रूप में हुई है, जिसे पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया है। आरोपी की गाड़ी से इस्लामिक स्टेट का झंडा भी बरामद हुआ है।
बता दें कि लास वेगस में एक टेस्ला साइबर ट्रक में भी विस्फोट की खबर आई है, जिसे एक आतंकी हमले की तरह देखा जा रहा है। टेस्ला साइबर ट्रक में ब्लास्ट ट्रंप के होटल के ठीक बाहर हुआ। डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले हैं और माना जा रहा है कि ताजा आतंकी हमले कट्टरपंथी इस्लाम और आतंकवाद के खिलाफ उनके रुख को तय करने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। आइए, आपको बताते हैं कि ये आतंकी हमले कैसे अमेरिका में बड़े बदलाव ला सकते है।
अमेरिका में मुसलमानों से हो सकता है भेदभाव
न्यू ऑरलियन्स और लास वेगास में हुए हमले, विशेष रूप से मुसलमानों के खिलाफ संदेह और भेदभाव को बढ़ावा दे सकते हैं। बता दें कि शमसुद्दीन एक जमाने में अमेरिकी सेना भी सेवाएं दे चुका था, इसके बावजूद उसने ISIS से प्रभावित होकर अपने ही देशवासियों की हत्या की। ऐसे में जब हमलावर खुद को ISIS से जोड़ता है, तो सामान्य जनता में मुसलमानों के प्रति भय और अविश्वास पैदा होना लाजिमी है। इससे मुस्लिम समुदाय को नस्लीय और धार्मिक भेदभाव का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि आतंकवादियों के कृत्य पूरी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान पर असर डालते हैं।
न्यू ऑरलियन्स और लास वेगास में हुए आतंकी हमलों के बाद मुसलमानों को अपने धार्मिक प्रतीकों, जैसे कि इस्लामी पहचान से संबंधित पहनावे, या सार्वजनिक रूप से मुसलमान होने के कारण ज्यादा निगरानी और आलोचना का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि अमेरिका में 09/11 के आतंकी हमलों के बाद भी मुसलमानों को भारी भेदभाव का सामना करना पड़ा था और उनके लिए परिस्थितियां बेहद खतरनाक हो गई थीं। नए साल के पहले दिन हुए इन ताजा हमलों ने एक आम अमेरिकी के मन में 09/11 की कड़वी यादें फिर से जिंदा कर दी होंगी।
दूसरे कार्यकाल में ज्यादा कठोरता दिखाएंगे ट्रंप?
बता दें कि ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान कई बार ‘रैडिकल इस्लाम’ और आतंकवाद से निपटने के लिए कठोर और आक्रामक नीतियों का समर्थन किया था। वह अपनी इन नीतियों को 2025 में भी और अधिक मजबूती से लागू कर सकते हैं। ट्रंप पहले भी मुस्लिम बहुल देशों से अमेरिकी नागरिकों की यात्रा पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्तावों को लेकर चर्चा में रहे थे। 2025 में वह इस तरह के प्रतिबंधों को फिर से लागू कर सकते हैं, जिससे मुस्लिम देशों के नागरिकों के लिए अमेरिका में प्रवेश मुश्किल हो सकता है।
इसके साथ ही ट्रंप के प्रशासन में आतंकवादियों के संभावित संपर्कों की निगरानी को बढ़ाया जा सकता है। इसमें मुस्लिम समुदायों, मस्जिदों, धार्मिक संगठनों और मुस्लिम व्यक्तियों के डिजिटल गतिविधियों की निगरानी करना शामिल हो सकता है। साथ ही वह उन मुस्लिम देशों पर और अधिक आर्थिक दबाव बढ़ा सकते हैं, जिन्हें आतंकवाद का समर्थक माना जाता है। इससे दुनिया भर में आम मुसलमानों की स्थिति पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि उनके देश की सरकारों पर विदेशी दबाव बढ़ सकता है।
आतंकवाद के खिलाफ और मजबूती से होगा वार
ट्रंप की पिछली सरकार में आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई थी, और उन्होंने ISIS जैसी आतंकवादी संगठनों के खिलाफ सैन्य अभियान को बढ़ावा दिया था। 2025 में उनकी सरकार फिर से आतंकवादियों और कट्टरपंथी समूहों के खिलाफ सख्त कदम उठा सकती है। ट्रंप अपनी सरकार में अधिक कड़ी निगरानी नीतियां लागू कर सकते हैं, और इसके लिए वह आतंकवादी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने वाले ऑनलाइन मंचों पर नियंत्रण करने और सूचना साझा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की तरफ ध्यान दे सकते हैं।
ट्रंप ने हमेशा सीमा सुरक्षा को प्राथमिकता दी है, और आतंकवाद के बढ़ते खतरों के मद्देनजर वह और भी कड़े सीमावर्ती सुरक्षा उपायों को लागू कर सकते हैं। इससे अवैध घुसपैठ और आतंकवादियों के प्रवेश को रोकने के लिए कड़ी निगरानी और वीजा प्रक्रियाओं में सुधार हो सकता है। आतंकवाद के खतरे को देखते हुए ट्रंप सीमा पार से आने वाले व्यक्तियों की कड़ी जांच और प्रवासी नीतियों को और मजबूत कर सकते हैं, विशेषकर उन देशों से जो आतंकवादी गतिविधियों के लिए हॉट स्पॉट बने हुए हैं।
साइबर सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर भी ध्यान
न्यू ऑरलियन्स में हमलों के आरोपी शम्सुद्दीन द्वारा बनाए गए वीडियो और सोशल मीडिया पर हिंसक विचारों को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां इस बात की तरफ साफ इशारा करती हैं कि कट्टरपंथी विचारधारा ऑनलाइन अब पहले के मुकाबली ज्यादा तेजी से फैल रही है। ऐसे में ट्रंप टेक कंपनियों पर दबाव बना सकते हैं कि वे अधिक सक्रिय रूप से आतंकवादी सामग्री को हटाने और पहचानने में मदद करें। आतंकवादियों द्वारा साइबर चैनलों के जरिए प्लानिंग की संभावना को देखते हुए ट्रंप साइबर सुरक्षा उपायों को सख्त कर सकते हैं।
इसके साथ ही ट्रंप अपनी विदेश नीति में ISIS और अन्य आतंकवादी गुटों के खिलाफ और भी ज्यादा कड़ी कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। इस दिशा में, वह मध्य पूर्व और अन्य क्षेत्रों के देशों के साथ सहयोग बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं। आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए ट्रंप उन देशों के साथ कूटनीतिक प्रयासों को तेज कर सकते हैं जो आतंक के साम्राज्य को उखाड़ फेंकने में अमेरिका की मदद कर सकते हैं।