नई दिल्ली: JMM प्रमुख हेमंत सोरेन झारखंड के नए सीएम के रूप में शपथ ले चुके हैं। उनके शपथ ग्रहण समारोह में इंडी गठबंधन के कई बड़े नेता शामिल हुए। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की रही कि हेमंत ने अकेले शपथ ली और उनके मंत्रिमंडल ने शपथ नहीं ली।
क्या हैं इसके सियासी मायने?
दरअसल मंत्रिमंडल को लेकर सोरेन और इंडी गठबंधन के नेताओं के बीच सहमति नहीं बन पाई और इसी वजह से मंत्रिमंडल के शपथ लेने में पेंच फंस गया। हालांकि सोरेन चाहते तो अपनी पार्टी के मंत्रियों का शपथ ग्रहण करवा सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
इसके पीछे की वजह भी गहरी है क्योंकि सोरेन अगर अपने मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण करवाते तो उनके और इंडी गठबंधन के अन्य नेताओं के बीच मतभेद की खाई गहरी हो जाती, जोकि आने वाले समय में JMM के लिए नुकसान की वजह बन सकती थी।
दरअसल सोरेन मंत्रिमंडल को लेकर एक आम सहमति चाहते हैं क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो विपक्ष के पास एक सेंसटिव मुद्दा होगा, जिसमें वह इंडी गठबंधन को घेर सकता है। इसी वजह से सोरेन ने अकेले शपथ लेकर ये साबित करने की कोशिश की है कि इंडी गठबंधन में सारे फैसले आम सहमति से लिए जाते हैं।
इसके अलावा कहा ये भी जा रहा है कि सोरेन खुद को हाईलाइट रखना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अकेले सीएम पद की शपथ ली। चुनाव से पहले वह काफी विवादों में रहे थे और उन्हें गिरफ्तार होकर जेल भी जाना पड़ा था। बीजेपी उन पर हमलावर रवैया अपनाए हुए थी।
किस पार्टी ने कितनी सीटें जीतीं?'
गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा चुनावों में इंडी गठबंधन ने 81 में से 56 सीटें जीतीं हैं। वहीं बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को 24 सीटें मिलीं हैं। इंडी गठबंधन में शामिल पार्टियों में अकेले झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 34 सीटें, कांग्रेस ने 16 सीटें जीती हैं। राजद ने 4 और सीपीआई-एमएल ने 2 सीटों पर जीत हासिल की है।