बंदरसेरीः पीएम नरेंद्र मोदी की ब्रुनेई यात्रा किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला द्विपक्षीय दौरा है। यह भारत की "एक्ट ईस्ट पॉलिसी" का हिस्सा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे वक्त में ब्रुनेई की यात्रा पर हैं, जब देश अपनी "एक्ट ईस्ट पॉलिसी" की 10वीं वर्ष गांठ मना रहा है। जाहिर है भारत अपनी इस पॉलिसी की प्रतिबद्धता को बनाए रखना चाहता है। एक्ट ईस्ट पॉलिसी के इस विशेष वर्ष में सरकार के पहले 100 दिनों में वियतनाम और मलेशिया के प्रधानमंत्री की यात्राएं भी शामिल हैं।
वियतनाम के साथ भारत के संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी के रूप में जाना जाता है और मलेशिया के प्रधानमंत्री की हाल की भारत यात्रा के दौरान मलेशिया के साथ संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाया गया। ब्रुनेई के बाद पीएम मोदी सिंगापुर की भी यात्रा पर जाएंगे। उनकी सिंगापुर की यात्रा से एक्ट ईस्ट पॉलिसी के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और मजबूत होगी। सरकार के पहले 100 दिनों में उक्त रणनीति के तहत ही भारत के राष्ट्रपति ने फिजी, न्यूजीलैंड और तिमोर लेस्ते की यात्रा की।
क्या है भारत की एक्ट ईस्ट नीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक्ट ईस्ट पॉलिसी की शुरुआत नवंबर 2014 में भारत-आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान की गई थी। इसका मकसद एशिया प्रशांत क्षेत्र के साथ भारत के आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक सहयोग और संबंधों को अपने पड़ोसी देशों के साथ बढ़ाना है। ताकि चीन जैसे दुश्मनों को मात देकर भारत पूर्वी एशिया के देशों में अपनी धाक जमा सके और व्यापार के साथ रणनीतिक स्थिति भी मजबूत कर सके। बता दें कि इस एक्ट ईस्ट नीति ने देश में निवेश प्रवाह को आकर्षित करने और व्यापार के विस्तार के माध्यम से भारत की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि पिछले 10 वर्षों में आसियान देशों के साथ व्यापार 2015-16 में 65 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 120 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। भारत का निर्यात 2016-17 में 31 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। इस प्रकार हमें आसियान क्षेत्र से लगभग 160 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश प्राप्त हुआ है।
भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी में ये देश भी शामिल
भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी में प्रमुख रूप से अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया, आसियान देश (सिंगापुर, फिलीपींस, म्यांमार, कोरिया, मलेशिया, वियतनाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, थाईलैंड, कंबोडिया) शामिल हैं। भारत अपनी पॉलिसी के तहत दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद महासागर में चीन के बढ़ते दखल को रोकना भी चाहता है। इसके लिए समुद्री क्षमता में वृद्धि करने के साथ बहुपक्षीय रणनीति तैयार करना शामिल है। ब्रुनेई दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित ऐसा देश है, जो दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर को जोड़ने वाले समुद्री मार्गों के करीब है। इसलिए रणनीतिक रूप से भारत के लिए ब्रुनेई की दोस्ती जरूरी है। भारत इस दौरान रक्षा, सुरक्षा और व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने पर अपना पूरा फोकस रखेगा। ब्रुनेई कच्चा तेल उत्पादक देश भी है। जहां से भारत काफी मात्रा में तेल आयात करता है।