Wednesday, September 11, 2024
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Explainer: देशभर के टोल नाके खत्म होंगे! एक्सप्रेस-वे पर 20KM तक सफर होगा बिल्कुल फ्री, आ गया GNSS सिस्टम?

एक बार यह सिस्टम चालू हो जाने के बाद, टोल शुल्क स्वचालित रूप से यात्रा की गई दूरी के आधार पर लिंक किए गए बैंक खाते से काट लिया जाएगा। चयनित राष्ट्रीय राजमार्ग खंडों पर पायलट परियोजनाएं GNSS-आधारित टोल प्रणाली का परीक्षण जल्द शुरू होगा।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: September 10, 2024 16:41 IST
Toll tax- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV टोल टैक्स

आने वाले समय में आपको टोल नाके पर टोल टैक्स देने  की जरूरत नहीं होगी। दरअसल, सरकार ने टोल वसूली के लिए जीपीएस आधारित सिस्टम को नोटिफाई किया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मंगलवार राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम, 2008 को संशोधित कर GPS के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह शुरू करने का ऐलान किया है। आपको बता दें कि इस नए तरीके में टोल क्लेशन के लिए ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) का उपयोग किया जाएगा, जिसमें वाहन में ऑन-बोर्ड यूनिट्स (OBU) के साथ ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) लगा होगा। यह FASTag और ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) तकनीक जैसी मौजूदा प्रणालियों से अलग होगा। एक्सपर्ट का कहना है कि एक बार यह सिस्टम पूरी तरह लागू हो जाने के बाद देशभर में टोल नाके की जरूरत नहीं रहेगी। न ही टोल प्लाजा पर लंबा जाम लगेगा। यह वाहन चालका का समय भी बचाएगा और टोल टैक्स कलेक्शन बढ़ाने का भी करेगा काम। 

GPS-आधारित टोल संग्रह क्या है?

अभी तक, टोल बूथों पर टोल का भुगतान मैन्युअल या FASTag के जरिये किया जाता है, जिससे अक्सर ट्रैफ़िक जाम की स्थिति पैदा होती है। GPS-आधारित टोल प्रणाली में वाहन चालक द्वारा यात्रा की दूरी सेटेलाइट और इन-कार ट्रैकिंग सिस्टम के जरिये निकाली जाएगी। सरल शब्दों में कहे तो यह नया सिस्टम सेटेलाइट  ट्रैकिंग और जीपीएस का उपयोग करके वाहन द्वारा तय की गई दूरी के अनुसार टोल वसूलेगी। इससे टोल नाके की जरूरत नहीं रहेगी, न ही टोल नाके पर रुकने की और जाम में फंसने की। इस नए सिटस्टम के लिए वाहनों में ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) या ट्रैकिंग डिवाइस लगाए जाएंगे। ये ऑटो कंपनियां आने वाले दिनों में लगा कर देगी। 

20 किलोमीटर तक कोई शुल्क नहीं लगेगा

सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, GNSS से लैस निजी वाहनों के मालिकों से राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर रोजाना 20 किलोमीटर तक के सफर के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क संशोधन नियम, 2024 के रूप में अधिसूचित नए नियमों के तहत राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर 20 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करने पर ही वाहन मालिक से कुल दूरी पर शुल्क लिया जाएगा। अधिसूचना में कहा गया है, ‘राष्ट्रीय परमिट रखने वाले वाहनों को छोड़कर किसी अन्य वाहन का चालक, मालिक या प्रभारी व्यक्ति जो राष्ट्रीय राजमार्ग, स्थायी पुल, बाईपास या सुरंग के उसी खंड का उपयोग करता है, उससे जीएनएसएस-आधारित उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह प्रणाली के तहत एक दिन में प्रत्येक दिशा में 20 किलोमीटर की यात्रा तक कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।’

फास्टैग से इतर है यह विकल्प

सड़क परिवहन मंत्रालय ने जुलाई में कहा था कि उसने फास्टैग के साथ एक अतिरिक्त सुविधा के रूप में चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्गों पर उपग्रह-आधारित टोल संग्रह प्रणाली को पायलट आधार पर लागू करने का फैसला किया है। जीएनएसएस-आधारित उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह प्रणाली के संबंध में एक पायलट प्रोजेक्ट कर्नाटक में एनएच-275 के बेंगलुरु-मैसूर खंड और हरियाणा में एनएच-709 के पानीपत-हिसार खंड पर किया गया है। जल्द ही इसे देशभर के एक्सप्रेस पर लागू किया जाएगा। 

यह FASTag से किस तरह अलग?

सैटेलाइट-आधारित टोल सिस्टम GNSS तकनीक पर है, जो गाड़ी की सटीक स्थान ट्रैकिंग प्रदान करता है। यह अधिक सटीक दूरी-आधारित टोलिंग के लिए GPS और भारत के GPS एडेड GEO ऑगमेंटेड नेविगेशन (GAGAN) सिस्टम का उपयोग करता है।

नया टोल संग्रह कैसे काम करेगा?

वाहनों में On-Board Units लगाए जाएंगे जो टोल संग्रह के लिए ट्रैकिंग डिवाइस के रूप में काम करेंगे। OBU राजमार्गों पर वाहन के को ट्रैक करेगा, जिसे यात्रा की गई दूरी की गणना होगी। वहीं,  GPS और GNSS टोल गणना के लिए सटीक दूरी माप सुनिश्चित करेंगे। OBU सरकारी पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध होंगे, FASTags के समान। उन्हें वाहनों पर बाहरी रूप से स्थापित करने की आवश्यकता होगी, हालांकि वाहन निर्माता पहले से स्थापित OBUs वाले वाहन पेश करना शुरू कर सकते हैं।

एक बार यह सिस्टम चालू हो जाने के बाद, टोल शुल्क स्वचालित रूप से यात्रा की गई दूरी के आधार पर लिंक किए गए बैंक खाते से काट लिया जाएगा। चयनित राष्ट्रीय राजमार्ग खंडों पर पायलट परियोजनाएं GNSS-आधारित टोल प्रणाली का परीक्षण जल्द शुरू होगा।

टोल नाके पर जाम से नहीं जूझना होगा

वर्तमान में, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) सालाना लगभग 40,000 करोड़ रुपये टोल राजस्व एकत्र करता है। अगले दो से तीन वर्षों में यह बढ़कर 1.4 खरब रुपये हो जाने की उम्मीद है क्योंकि नई टोल संग्रह प्रणाली पूरी तरह से लागू हो गई है।

NHAI का लक्ष्य इस प्रणाली को मौजूदा FASTag सेटअप के साथ इंटीग्रेटेड करना है, जिसमें हाइब्रिड मॉडल का उपयोग किया जाएगा, जहां RFID-आधारित और GNSS-आधारित दोनों टोल सिस्टम एक साथ काम करेंगे। टोल प्लाजा पर अलग GNSS लेन उपलब्ध होंगी, ताकि नई प्रणाली से लैस वाहन बिना रुके गुजर सकें। 

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