Thursday, September 05, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. Explainers
  3. Explainer : अब भारत में जमकर आएगा विदेशी पैसा, बजट में हो गया है इंतजाम, इकोनॉमी की बढ़ेगी ताकत

Explainer : अब भारत में जमकर आएगा विदेशी पैसा, बजट में हो गया है इंतजाम, इकोनॉमी की बढ़ेगी ताकत

पिछले वित्त वर्ष में मॉरीशस, सिंगापुर, अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), केमैन आइलैंड्स, जर्मनी और साइप्रस सहित प्रमुख देशों से आने वाले एफडीआई इक्विटी निवेश में कमी आई थी।

Edited By: Pawan Jayaswal
Updated on: July 23, 2024 18:01 IST
प्रत्यक्ष विदेशी...- India TV Hindi
Image Source : REUTERS प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

सरकार ने मंगलवार को कहा कि विदेशी निवेश को सुगम बनाने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) से संबंधित नियमों एवं विनियमों को सरल बनाया जाएगा। यह घोषणा इस लिहाज से अहम है कि हाल के समय में भारत में आने वाले एफडीआई में गिरावट दर्ज की गई है। सेवाओं, कंप्यूटर हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर, दूरसंचार, वाहन एवं दवा जैसे क्षेत्रों में कम निवेश के कारण वित्त वर्ष 2023-24 में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 3.49 प्रतिशत घटकर 44.42 अरब डॉलर रह गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में वित्त वर्ष 2024-25 का बजट पेश करते हुए एफडीआई प्रोत्साहन का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘एफडीआई को सुगम बनाने और विदेशी निवेश के लिए मुद्रा के तौर पर भारतीय रुपये का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए एफडीआई और विदेशी निवेश से संबंधित नियम एवं विनियम आसान बनाए जाएंगे।’’ देश में एफडीआई बढ़ेगा तो इकोनॉमी को भी मजबूती मिलेगी।

2021-22 में आया था सबसे अधिक एफडीआई

वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 46.03 अरब डॉलर रहा था। इक्विटी प्रवाह, पुनर्निवेशित आय और अन्य पूंजी समेत कुल एफडीआई निवेश पिछले वित्त वर्ष में एक प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 70.95 अरब डॉलर रह गया, जबकि 2022-23 में यह 71.35 अरब डॉलर रहा था। वित्त वर्ष 2021-22 में देश में अब तक का सबसे अधिक 84.83 अरब डॉलर का एफडीआई आया था। पिछले वित्त वर्ष में मॉरीशस, सिंगापुर, अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), केमैन आइलैंड्स, जर्मनी और साइप्रस सहित प्रमुख देशों से आने वाले एफडीआई इक्विटी निवेश में कमी आई। सेवाओं, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर, दूरसंचार, वाहन, दवा और रसायन क्षेत्रों में विदेशी निवेश में कमी आई।

कई सेक्टर्स में निवेश के लिये चाहिए सरकारी मंजूरी

भारत की एफडीआई नीति के मुताबिक, इसके प्रावधानों के अनुपालन का दायित्व निवेश हासिल करने वाली कंपनी पर होता है। एफडीआई नियमों का कोई भी उल्लंघन विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के दंडात्मक प्रावधानों के दायरे में आता है, क्योंकि एफडीआई एक पूंजीगत खाता लेनदेन है। आरबीआई फेमा का प्रशासन करता है और वित्त मंत्रालय के तहत प्रवर्तन निदेशालय फेमा के प्रवर्तन के लिए प्राधिकरण है और कानून के उल्लंघन के मामलों की जांच करता है। हालांकि, अधिकांश क्षेत्रों में स्वत: मंजूर मार्ग के जरिये एफडीआई की अनुमति है, लेकिन मीडिया, दवा एवं बीमा जैसे कुछ क्षेत्रों में निर्दिष्ट सीमा से परे विदेशी निवेश के लिए सरकारी मंजूरी की जरूरत होती है। सरकारी मार्ग के तहत विदेशी निवेशकों को संबंधित मंत्रालय या विभाग की पूर्व-मंजूरी लेनी होती है। वहीं स्वत: मंजूर मार्ग के जरिये निवेशक को निवेश करने के बाद आरबीआई को केवल अवगत कराना होता है।

नियमों के सरल होने से बढ़ेगा निवेश

हालांकि, लॉटरी कारोबार, जुआ एवं सट्टेबाजी, चिट फंड, निधि कंपनी, रियल एस्टेट व्यवसाय और सिगार, चुरूट एवं सिगरेट का निर्माण जैसे आठ क्षेत्रों में एफडीआई को प्रतिबंधित किया हुआ है। डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि एफडीआई और विदेशी निवेश के लिए सरल नियम एवं विनियम आने से निश्चित रूप से देश में पूंजी प्रवाह को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि विदेशी निवेश के लिए रुपये को बढ़ावा देने से स्थानीय मुद्रा की मांग बढ़ेगी और इसके मूल्य को भी समर्थन मिलेगा। 

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें Explainers सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement