
पेशावर: खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने कहा है कि क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए तालिबान के साथ बातचीत जरूरी है। शुक्रवार शाम इस्लामाबाद में एक इफ्तार पार्टी में पत्रकारों से बात करते हुए गंडापुर ने दावा किया कि वह तालिबान को बातचीत की मेज पर ला सकते हैं, बशर्ते संबंधित अधिकारी उन्हें यह काम सौंपें, क्योंकि बातचीत ही एकमात्र व्यवहार्य समाधान है। गंडापुर के इस बयान को हल्के में नहीं लिया जा सकता, क्योंकि वह एक ऐसे इलाके के मुख्यमंत्री हैं जहां पाकिस्तान का केंद्रीय नेतृत्व फिलहाल अपने आप को कमजोर स्थिति में पा रहा है।
‘2.5 महीने बाद भी कोई जवाब नहीं मिला’
गंडापुर ने दावा किया कि उन्होंने सभी एजेंसियों के विभिन्न कबीलों के बुजुर्गों को शामिल करते हुए एक निगोसिएशन प्लान का ड्राफ्ट तैयार किया था और इसे विदेश मंत्रालय और आंतरिक मंत्रालय को भेजा था। हालांकि, 2.5 महीने बाद भी उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है। उन्होंने जोर देकर कहा कि तालिबान कबीलाई बुजुर्गों के साथ बातचीत करने से इनकार नहीं करेगा और कहा कि मौलाना फजलुर रहमान का अब तालिबान पर कोई प्रभाव नहीं है। गंडापुर ने भरोसा जताया कि वह किसी भी दिन तालिबान नेता हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा से बातचीत कर सकते हैं, लेकिन साथ ही यह भी साफ किया कि संगठन के साथ अभी तक कोई संपर्क स्थापित नहीं हुआ है।
‘इमरान की रिहाई के बिना कोई बातचीत नहीं’
गंडापुर ने यह भी कहा कि PTI संस्थापक इमरान खान की रिहाई के बिना कोई राजनीतिक बातचीत नहीं हो सकती और उन्होंने जोर देकर कहा कि देश की राजनीतिक स्थिरता पूर्व प्रधानमंत्री की रिहाई पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में सियासी स्थिरता केवल PTI संस्थापक को रिहा करके ही हासिल की जा सकती है क्योंकि इमरान खान सरकार को हटाए जाने से पहले हालात सामान्य थे और उनके हटने के बाद आतंकवाद और अस्थिरता बढ़ गई है। गंडापुर ने आतंकवाद का मुकाबला करने में जनता के समर्थन को जरूरी बताया और कहा कि लोगों के समर्थन के बिना कोई भी लड़ाई नहीं जीती जा सकती।
सिर्फ इलाके की शांति नहीं है गंडापुर का मकसद
अफगानिस्तान के साथ बातचीत की जरूरत पर बल देते हुए गंडापुर ने कहा कि पाकिस्तान की सीमा अफगानिस्तान के साथ हजारों किलोमीटर लंबी है। उन्होंने बातचीत के लिए अपने आह्वान का विरोध करने वालों की आलोचना की, और कहा कि पिछली PDM सरकार ने भी तालिबान के साथ बातचीत करने का फैसला किया था। हालांकि जानकारों का मानना है कि गंडापुर का लक्ष्य सिर्फ इलाके में शांति स्थापित करने का नहीं है, बल्कि वह पाकिस्तान की सरकार पर दबाव डालकर अपने नेता इमरान खान को रिहा करवाना चाहते हैं। पाकिस्तान के ताजा हालात को देखते हुए कह सकते हैं कि इमरान की रिहाई एक बड़ा मुद्दा बनी हुई है।
क्या ‘तालिबान खान’ के लिए टूटेंगे जेल के ताले
बता दें कि इमरान खान का तालिबान के साथ रिश्ता जगजाहिर है और यही वजह है कि उन्हें सियासी हलकों में ‘तालिबान खान’ के नाम से भी जाना जाता है। गंडापुर की पूरी कोशिश होगी की मौजूदा हालात का फायदा उठाया जाए और यही वजह है कि इमरान की रिहाई को वह शांति स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बता रहे हैं। इस बात से भी पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता कि पाकिस्तान पर हो रहे ताजा हमलों में इमरान की कैद भी एक बड़ा कारण है। गंडापुर की यह बात बिल्कुल सही है कि इमरान के प्रधानमंत्री रहते हुए पाकिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में आज के मुकाबले शांति थी। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि क्या आने वाले दिनों में इमरान की रिहाई हो पाती है। (भाषा से इनपुट्स के साथ)