Explainer: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की की यूक्रेन यात्रा ऐतिहासिक होने के साथ ही साथ भारतीय विदेश नीति की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा थी। विदेश मामलों के जानकार मानते हैं कि भारत ने यूक्रेन दौरा करके न सिर्फ पूरी दुनिया को शांति का संदेश दिया, बल्कि यह भी साबित किया कि भारत तटस्थ नहीं है। पीएम मोदी ने रूस यात्रा के 6 हफ्ते बाद ही यूक्रेन की यात्रा करके सभी को चौंका दिया। इस यात्रा पर पूरी दुनिया की नजर भारत की प्रतिक्रिया को लेकर थी। जिस समय पीएम मोदी यूक्रेन की यात्रा पर थे, ठीक उसी समय देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह अमेरिका के साथ बड़ी रक्षा डील कर रहे थे। एक साथ यह सब कैसे और क्यों हुआ, आइये आपको समझाते हैं।
बता दें कि पीएम मोदी की जुलाई में हुई रूस यात्रा और राष्ट्रपति पुतिन को गले लगाने से यूक्रेन के साथ भारत के संबंधों में थोड़ी खटास महसूस की जाने लगी थी। इसकी वजह पुतिन को गले लगाने पर यूक्रेन के राष्ट्रपति की ओर से भारतीय लोकतंत्र और पीएम मोदी को लेकर की गई निराशानजनक प्रतिक्रिया थी। मगर इसके 6 हफ्ते बाद ही यूक्रेन की ऐतिहासिक यात्रा करके प्रधानमंत्री मोदी ने जेलेंस्की का नजरिया ही बदल दिया। इस दौरान भारत ने यूक्रेन के साथ चिकित्सा, मानवीय सहायता, संस्कृतिक और कृषि क्षेत्रों में 4 अहम समझौते भी किए। इसके साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति लाने व यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ खड़े होने का भरोसा भी दिलाया।
यूक्रेन दौरे के समय ही अमेरिका से रक्षा डील
भारत की चीन जैसे दुश्मन इस बात से हैरान हैं कि एक तरफ पीएम मोदी यूक्रेन यात्रा पर थे और दूसरी तरफ भारत अमेरिका के साथ रक्षा समझौते कर रहा था। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारत और अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाते हुए इसे व्यापक वैश्विक स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप में बदलने का फैसला किया। इस दौरान अमेरिका के साथ भारत ने दो बड़े रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किया। इसके तहत अमेरिका की प्रमुख रक्षा कंपनियां भारत में मेक इन इंडिया के तहत रक्षा उत्पादन करेंगी। लक्ष्य 2047 से पहले विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करना है। इससे चीन जैसे दुश्मनों में खलबली मच गई है। एक तरीके से भारत ने चीन को यह सिग्नल दे दिया है कि अगर बीजिंग ने उससे भिड़ने की भूल की तो वह उस पर भारी पड़ेगा।
अमेरिका को साधने के साथ रूस को संदेश
पीएम मोदी की इस रणनीति से जहां अमेरिका खुश हुआ, वहीं रूस को भी भारत ने दोस्ती कायम रखने का संदेश दिया। भारत ने यूक्रेन दौरे के दौरान सिर्फ मानवीय पहलुओं पर ही फोकस किया और उसके साथ कोई रक्षा डील नहीं की। इससे भारत ने रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध में शांति की उम्मीदों को बढ़ा दिया है। पीएम मोदी की इस रणनीति से रूस और यूक्रेन दोनों देशों का भारत पर भरोसा बढ़ गया है। वहीं अमेरिका समेत पूरे यूरोप ने पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे की सराहना की है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को यह उम्मीद हो गई है कि भारत की मध्यस्था से जंग को खत्म किया जा सकता है। जेलेंस्की ने जल्द ही भारत आने की भी इच्छा जाहिर की है।