
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में स्थित मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग तेज हो रही है। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने इस मांग को लेकर आक्रामक रवैया भी अपनाना शुरू कर दिया है और प्रदर्शन भी शुरू कर दिया है। इसको लेकर एक सवाल ये भी है कि जब औरंगजेब की मौत महाराष्ट्र के अहमदनगर में हुई थी तो उसे औरंगाबाद के खुल्दाबाद में क्यों दफनाया गया? बता दें कि वर्तमान में अहमदनगर का नाम बदलकर अहिल्यानगर और औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर किया जा चुका है।
कैसे औरंगजेब फिर चर्चा में आया?
दरअसल हालही में एक बॉलीवुड फिल्म आई, जिसमें छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच के हिंसक संघर्ष को दिखाया गया। इस फिल्म के माध्यम से लोगों को ये जानकारी मिली कि औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज के साथ क्रूरता की सारी हदें पार कर दी थीं। औरंगजेब ने संभाजी के नाखून निकलवा दिए थे और आंखें फुड़वा दी थीं। औरंगजेब का दिल इससे भी नहीं भरा तो उसने संभाजी की जुबान कटवा दी थी। वह संभाजी से इस्लाम कबूल करवाना चाहता था जोकि उन्होंने नहीं किया।
फिल्म देखने के बाद जब लोगों ने संभाजी के बारे में जानकारी निकाली तो पता लगा कि औरंगजेब ने उनके साथ बहुत क्रूरता की थी, जिसका अधिकांश हिस्सा फिल्म में नहीं दिखाया जा सका। दरअसल औरंगजेब ने संभाजी का सिर काट दिया था और उनके शरीर के कई टुकड़े करवाकर तुलापुर में नदी के किनारे फिंकवा दिया था। बता दें कि छत्रपति संभाजी महाराज, मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र थे।
कैसे उठा औरंगजेब की कब्र हटाने का मामला?
समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी के बयान से इस मामले ने तूल पकड़ा। उन्होंने औरंगजेब को अच्छा राजा बताया था। हालांकि बाद में प्रेशर बढ़ने पर उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया। वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि छत्रपति संभाजीनगर में स्थित मुगल बादशाह औरंगजेब का मकबरा हटा दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि इस काम को कानून के दायरे में करना चाहिए। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस की पिछली सरकार ने औरंगजेब के मकबरे को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सौंप दिया था।
छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और सतारा से बीजेपी सांसद उदयनराजे भोसले ने भी औरंगजेब के मकबरे को हटाने की मांग की थी। इसके बाद बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद भी इस मामले में कूद पड़ा और उसने कह दिया कि अगर ये कब्र नहीं हटाई गई तो वह प्रदर्शन करेंगे।
खुल्दाबाद में क्यों दफनाया गया?
औरंगजेब की मौत 3 मार्च 1707 को महाराष्ट्र के अहमदनगर (अब अहिल्यानगर) में हुई थी। लेकिन उसके शव को औरंगाबाद (अब छत्रपति संभाजीनगर) के खुल्दाबाद में दफनाया गया था। इतिहासकार कहते हैं कि औरंगज़ेब ने अपनी वसीयत में लिखा था कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी कब्र को गुरु सैयद ज़ैनुद्दीन शिराजी की कब्र के बगल में बनाया जाए। इसीलिए औरंगजेब की मौत के बाद उसके बेटे आजम शाह ने खुल्दाबाद में उसकी कब्र बनवाई। कहा जाता है कि इस कब्र को बनाने में उस समय 14 रुपये 12 आने की लागत आई थी।