मालदीव की मुइज्जू सरकार अब बैकफुट पर है। पीएम मोदी (PM Modi) की लक्षद्वीप विजिट पर विवादित कमेंट को लेकर मुइज्जू सरकार ने 3 डिप्टी मिनिस्टर्स को सस्पेंड कर दिया है। मालदीव सरकार ने इन बयानों से पूरी तरह किनारा किया है और इन्हें व्यक्तिगत राय बताया है। हालत यह है कि भारत से बैर मोल लेने के लिए मालदीव में ही मुइज्जू सरकार का भारी विरोध शुरू हो गया है। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा का मजाक उड़ाने वाले कमेंट्स की निंदा की है। उन्होंने कहा कि मंत्री मरियम शिउना की भाषा भयानक थी। ये सब बातें प्रमाण हैं कि चीन के बहकावे में आकर मालदीव, भारत से दुश्मनी मोल नहीं ले सकता। टूरिज्म ही नहीं, बल्कि कई मामलों में यह देश भारत पर निर्भर है।
भारत से टूरिस्ट नहीं गए तो हो जाएगा बर्बाद
मालदीव की इकॉनमी टूरिज्म पर निर्भर है। इस देश की इकॉनमी में टूरिज्म का योगदान 28 फीसदी है। वहीं, फॉरेन एक्सचेंज में 60 फीसदी योगदान टूरिज्म सेक्टर का होता है। मालदीव टूरिज्म डिपार्टमेंट के अनुसार, 2023 में यहां आए टूरिट्स में सबसे ज्यादा भारतीय थे। इसके बाद रूस और चीनी टूरिस्ट्स का स्थान है। साल 2023 में सबसे ज्यादा 2,09,198 भारतीय पर्यटक मालदीव गए थे। ताजा विवाद के बाद सोशल मीडिया पर बायकॉट मालदीव और चलो लक्षद्वीप ट्रेंड कर रहा है। हजारों भारतीयों ने मालदीव के लिए अपने फ्लाइट टिकट्स और होटल बुकिंग्स कैंसिल करा दी हैं। मालदीव के लोगों के लिए रोजगार का सबसे बड़ा आधार भी टूरिज्म ही है। यहां रोजगार में टूरिज्म का योगदान एक तिहाई से ज्यादा है। वहीं, पर्यटन से जुड़े सेक्टर्स को भी शामिल कर लें तो कुल रोजगार (डायरेक्ट और इनडायरेक्ट) में टूरिज्म की हिस्सेदारी लगभग 70 फीसदी है। अब आप समझ लीजिए कि भारतीयों ने मालदीव जाना छोड़ दिया तो इस देश की टूरिज्म इंडस्ट्री तबाह हो जाएगी। इसलिए अब मालदीव सरकार बैकफुट पर आ गई है।
मालदीव के कई इंफ्रा प्रोजेक्ट्स में लगा है पैसा
भारत ने मालदीव के कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में पैसा दिया हुआ है। मालदीव में भारत का अब तक का सबसे बड़ा ग्रांट प्रोजेक्ट नेशनल कॉलेज फॉर पुलिसिंग एंड लॉ एनफोर्समेंट है। यह प्रोजेक्ट 222.98 करोड़ रुपये का है। इसका उद्घाटन विदेश मंत्री डॉ जयशंकर के दौरे के दौरान हुआ था। भारत सरकार 8.95 करोड़ रुपये की भारतीय ग्रांट के तहत माले में हुकुरु मिस्की की बहाली का भी समर्थन कर रही है। इसकी घोषणा प्रधानमंत्री ने जून 2019 में की थी।
भारत से जाते हैं खाने के सामान
मालदीव चावल, फल, सब्जियां, पोल्ट्री प्रोडक्ट्स और मसाले भारत से लेता है। इसके अलावा फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग और इंडस्ट्रीयल प्रोडक्ट्स भी मालदीव भारत से खरीदता है। वहीं, मालदीव से भारत स्क्रैप धातुएं आयात करता है। भारत साल 2021 में मालदीव के तीसरे सबसे बड़े व्यापार भागीदार के रूप में उभरा था।
पिछले वर्षों में तेजी से बढ़ा है मालदीव के साथ व्यापार
भारत का मालदीव के साथ व्यापार पिछले वर्षों में तेजी से बढ़ा है। मालदीव कस्टम सर्विस के आंकड़ों के अनुसार, साल 2018 में भारत मालदीव को 28.61 करोड़ डॉलर का निर्यात करता था और 30.1 लाख डॉलर का आयात करता था। यह धीरे-धीरे बढ़ा। साल 2022 में भारत ने मालदीव को 49.54 करोड़ डॉलर का निर्यात किया और 64.2 लाख डॉलर का आयात किया। इसके बाद साल 2023 में सिंतबर तक भारत का मालदीव को निर्यात 41.02 करोड़ रुपये था। वहीं, आयात 61.9 लाख डॉलर था। ताजा विवाद के बाद इन आंकड़ों में गिरावट आने की आशंका है। इससे मालदीव की इकॉनमी को काफी नुकसान होगा।
भारतीयों का है मालदीव की इकॉनमी में योगदान
मालदीव में करीब 26,000 भारतीय रह रहे हैं। ये लोग मालदीव की इकॉनमी में बड़ा योगदान देते हैं। साल 2021 में भारतीय कंपनी एफकॉन्स ने मालदीव में सबसे बड़े इंफ्रास्क्चर ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट का काम किया था। इसके अलावा कई बार भारत सरकार ने मालदीव की मदद की है। भारत सरकार ने ऑपरेशन कैक्टस 1988 के तहत तख्तापलट की कोशिश को नाकाम कर मालदीव सरकार की मदद की थी। साल 2014 में ऑपरेशन नीर से मालदीव को पेयजल की आपूर्ति की थी। वहीं, कोविड के दौरान ऑपरेशन संजीवनी के तहत मालदीव को दवाईयां पहुंचाई थीं।