जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों ने शनिवार को दिनभर चली मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा के टॉप कमांडर उस्मान को मार गिराया है। उस तक पहुंचने और उसे ढेर करने में बिस्कुटों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।बिस्कुट की वज से ही श्रीनगर में एक हाई-प्रोफाइल लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) कमांडर उस्मान का खात्मा हुआ, जो सुरक्षा बलों की रणनीति के तहत अंजाम दिया गया। सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तानी कमांडर उस्मान के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान आवारा कुत्तों की चुनौती से निपटने में बिस्कुट के महत्व को बताया।
खानयार में हुई थी आतंकियों से मुठभेड़
अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों को खानयार के घनी आबादी वाले आवासीय इलाके में उस्मान की मौजूदगी के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी, जिसके बाद लोगों को और इलाके को कम नुकसान पहुंचाते हुए ऑपरेशन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए नौ घंटे की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई थी। इस ऑपरेशन के दौरान एक महत्वपूर्ण चिंता उस इलाके के आवारा कुत्तों की थी, क्योंकि उनके भौंकने से आतंकवादी सतर्क हो सकते थे।
कुत्ते बन रहे थे बाधा, बिस्कुट देकर कराया शांत
इस समस्या को हल करने के लिए, आतंकियों के करीब पहुंचने पर खोजी टीमों को कुत्तों को शांत करने के लिए बिस्कुट देकर शांत किया गया था। पूरा ऑपरेशन फज्र (भोर से पहले की नमाज) से पहले अंजाम दिया जाना था, जिसमें सुरक्षा बलों ने 30 घरों के चारों ओर घेरा बना लिया था। ये चल ही रहा था कि स्थिति तब बिगड़ गई जब एके-47, एक पिस्तौल और कई ग्रेनेड से लैस उस्मान ने सुरक्षा बलों के साथ भीषण गोलीबारी शुरू कर दी।
ऐसे चली गई उस्मान की जान
दोनों तरफ से हो रही गोलीबारी के दौरान, कई हथगोले फट गए और उस मकान में तेज धमाका हुआ जिसमें उस्मान छुपा था। उस घर में आग लग गई। सुरक्षाकर्मियों ने आग पर तुरंत काबू पा लिया ताकि इसे आसपास की इमारतों तक फैलने से रोका जा सके। कई घंटों की भीषण गोलीबारी के बाद उस्मान को सुरक्षाबलों ने आखिरकार ढेर कर दिया। इस मुठभेड़ में चार सुरक्षाकर्मी भी घायल हो गए, जिनकी हालत फिलहाल स्थिर बताई जा रही है।
कौन था लश्कर का टॉप कमांडर उस्मान
कश्मीर की घाटी के इलाके से अच्छी तरह वाकिफ उस्मान 2000 के दशक की शुरुआत में आतंकी गतिविधियों में शामिल हुआ और उसके बाद से ही कई हमलों को अंजाम देने के बाद कुख्यात आतंकी बन गया था। उस्मान ने पाकिस्तान में कुछ समय बिताने के बाद साल 2016-17 के आसपास वापस कश्मीर में घुसपैठ की। कहा जा रहा है कि वह पिछले साल पुलिस उपनिरीक्षक मसरूर वानी की गोली मारकर हत्या किए जाने की घटना में भी शामिल था।