वित्त मंत्री निर्मला सीतारणम इस बार 1 फरवरी को पूर्ण बजट नहीं बल्कि अंतरिम Budget या वोट ऑन अकाउंट (Vote on Account Budget) पेश करेंगी। अब आपके मन में यह सवाल हो सकता है कि यह अंतरिम बजट क्या होता है? चुनावी साल होने के कारण इस बार पूर्ण बजट क्यों नहीं पेश किया जाएगा? अगर अंतरिम बजट पेश होगा तो यह पूर्ण बजट से कैसे अलग होगा?आपके मन में उठने वाले सारे कन्फ्यूजन को हम दूर करेंगे। इस तरह के तमाम सवालों के जवाब हम दे रहे हैं। आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2024 को सुबह 11 बजे संसद में अंतरिम बजट पेश करेंगी।
क्या होता है अंतरिम बजट?
चुनावी साल में सरकार फुल बजट पेश नहीं करती। इस दौरान अंतरिम बजट या वोट ऑन अकाउंट पेश किया जाता है। यह आम बजट से कई मामलों में बहुत अलग होता है। आम चुनावों के साल में केंद्र सरकार द्वारा शुरुआत के कुछ महीनों के लिए अंतरिम बजट पेश किया जाता है। इसमें नई सरकार के गठन तक राजस्व और व्यय के अनुमान को प्रस्तुत किया जाता है जिससे मार्केट में निवेशकों का भरोसा बना रहे। यह बजट तब तक लागू रहता है जब तक की नई सरकार अपना नया पूर्ण बजट नहीं पेश कर देती है। अंतरिम बजट में केवल उतने फंड का प्रावधान होता है जब तक कि नई सरकार चुनकर न आ जाए। अंतरिम बजट के जरिये संसद आम चुनाव से पहले जरूरी सरकारी खर्चों जैसे वेतन, विभिन्न क्षेत्रों में चल रहे खर्च आदि के लिए वोट ऑन अकाउंट पारित करती है। इसे बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया जाता है। यह आमतौर पर दो महीने तक के लिए वैध होता है लेकिन इसे बढ़ाया जा सकता है।
वोट ऑन अकाउंट क्या होता है?
अंतरिम बजट में केंद्र सरकार खर्च के साथ-साथ आमदनी का ब्यौरा भी पेश करती है। अंतरिम बजट में राजस्व, राजकोषीय घाटा, खर्च, फाइनेंशियल परफॉर्मेंस और आगामी महीनों के लिए अनुमान शामिल होते हैं। उधर वोट ऑन अकाउंट में केवल सरकार के खर्चों की जानकारी पेश की जाती है। इसमें सरकार की आमदनी के बारे में नहीं बताया जाता है। अब दोनों की समानताओं की बात करें, तो दोनों में ही बड़ी नीतिगत घोषणाएं नहीं होती हैं। अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट दोनों ही कुछ महीनों के लिए होते हैं।
क्यों पेश किया जाता है अंतरिम बजट?
आपको बता दें कि चुनावी साल में सरकार की ओर से पूर्ण नहीं बल्कि अंतरिम बजट पेश किया जाता हे। इसकी वजह यह है कि मौजूदा सरकार अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में है। इसके बाद चुनाव है। नई सरकार जब आती है तो अपना बजट पेश करती है। इसलिए पूर्ण बजट पेश नहीं किया जाता है। अंतरिम बजट की जरूरत इसलिए होती है क्योंकि सरकार चलाने पैसे की जरूरत होती है। यह पैसा निकालने के लिए संसद से मंजूरी जरूरी है। मौजूदा बजट इस साल 31 मार्च तक मान्य है। वहीं, इस साल अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव हैं। इसलिए नई सरकार के आने तक देश को चलाने के लिए पैसे की जरूरत होगी। अंतरिम बजट पेश कर उसी खर्च की मंजूरी ली जाती है।
चुनावी साल होने से बड़ी राहत की उम्मीद
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस बार पूर्ण बजट पेश नहीं होगा लेकिन चुनावी साल होने के कारण कई लोकलुभावन घोषणाएं होंगी। वित्त मंत्री किसानों, महिलाओं और आम आदमी को बड़ी राहत दे सकती है। किसान सम्मान निधि के रकम में बढ़ोतरी की जा सकती है। वहीं, अयुष्मान भारत योजना का दायरा भी बढ़ाया जा सकता है। महिलाओं के लिए किसी विशेष स्कीम की घोषणा हो सकती है। कुल मिलाकर यह बजट कई बड़ी घोषणाओं वाला हो सकती है।