Wednesday, November 20, 2024
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Explainer: FD या PPF किसमें पैसा लगाना है बेहतर? क्या मिलते हैं बेनिफिट? जानिए सबकुछ

फिक्स्ड डिपॉजिट शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म दोनों हो सकते हैं, जबकि पीपीएफ लॉन्ग-टर्म निवेश हैं। इसलिए, पीपीएफ और एफडी के बीच मुख्य अंतर जानना महत्वपूर्ण है।

Written By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: June 11, 2024 7:30 IST
एफडी में एनआरआई, निवासी, एचयूएफ, ट्रस्ट, कॉर्पोरेशन फर्म और अन्य निवेश कर सकते हैं लेकिन पीपीएफ में - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV एफडी में एनआरआई, निवासी, एचयूएफ, ट्रस्ट, कॉर्पोरेशन फर्म और अन्य निवेश कर सकते हैं लेकिन पीपीएफ में सिर्फ भारतीय नागरिक ही निवेश कर सकते हैं।

कम जोखिम वाले साधनों की तलाश करने वालों के लिए निवेश के साधन के तौर पर एफडी (फिक्स्ड डिपोजिट) और पीपीएफ (पब्लिक प्रोविडेंट फंड) काफी पॉपुलर हैं। फिक्स्ड डिपॉजिट एक तरह का वित्तीय साधन है जिसमें व्यक्ति एक निश्चित समय के लिए एकमुश्त राशि निवेश करता है। इस पर ब्याज दर तय होती है। इसकी अवधि कुछ दिनों से लेकर 10 साल तक हो सकती है। पब्लिक प्रोविडेंट फंड लंबे समय के लिए एक निवेश कार्यक्रम है जिसे भारत सरकार रिटायरमेंट प्लानिंग और बचत को बढ़ावा देने के लिए पेश करती है। इसमें 15 साल की लॉक-इन पीरियड होता है। इसे 5 साल के ब्लॉक में बढ़ाया जा सकता है। आखिर इन दोनों ही निवेश साधनों में क्या अंतर है, क्या बेनिफिट हैं और कौन बेहतर है, आइए यहां चर्चा करते हैं।

निवेश का प्रकार

एफडी एक प्रकार का निवेश है, जिसमें व्यक्ति एक निश्चित अवधि के लिए एकमुश्त राशि जमा करता है और जमा पर ब्याज प्राप्त करता है। जबकि पीपीएफ को भारत सरकार प्रायोजित करती है। इसमें 15 वर्षों के लिए, कोई व्यक्ति एक बार में या 12 किस्तों में सालाना 1,50,000 रुपये तक का निवेश कर सकता है।

ब्याज दरें

एफडी पर ब्याज दर हर बैंक या वित्तीय संस्थानों में अलग होती है। साथ ही यह जमा राशि का आकार और निवेश की अवधि पर भी निर्भर करता है। एफडी पर ब्याज दरें आम तौर पर सालाना 3.5% से 9.0% के बीच होती हैं। जबकि पीपीएफ पर ब्याज दरें भारत सरकार निर्धारित होती है। सरकार हर तिमाही में दरों की घोषणा करती है। वित्त वर्ष 2024-2025 की पहली तिमाही के लिए मौजूदा ब्याज दर सालाना 7.1% है।

लिक्विडिटी के मामले में अंतर

एफडी में पीपीएफ के मुकाबले कम लिक्विडिटी होती है। अगर किसी को मेच्योरिटी से पहले एफडी से पैसे निकालने की जरूरत पड़ती है, तो उसे पेनाल्टी चुकाना पड़ता है। आईसीआईसीआई डायरेक्टर के मुताबिक, पीपीएफ में निवेश के पांच साल पूरे होने पर आंशिक निकासी की अनुमति है। हालांकि, पूरे 15 साल की अवधि समाप्त होने के बाद, पूरी निकासी की अनुमति है।

पीपीएफ में हर वित्तीय वर्ष में भुगतान 31 मार्च को देय होता है।

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पीपीएफ में हर वित्तीय वर्ष में भुगतान 31 मार्च को देय होता है।

टैक्स बेनिफिट को समझिए

आप आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80सी के तहत एफडी और पीपीएफ दोनों से टैक्स बेनिफट ले सकते हैं। एफडी पर ब्याज पर लागू होने वाली टैक्स की राशि व्यक्ति के आयकर ब्रैकेट पर निर्भर करती है। हालांकि, आयकर अधिनियम की धारा 80टीटीबी वरिष्ठ नागरिकों को उच्च एफडी ब्याज दर और सालाना 50,000 रुपये तक की टैक्स छूट का लाभ उठाने की अनुमति देती है। पीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज और मेच्योरिटी अमाउंट निवेशक के लिए टैक्स फ्री है।

कितना है जोखिम

एफडी (फिक्स्ड डिपोजिट) एक कम जोखिम वाला निवेश साधन है क्योंकि बैंक इसे ऑफ़र करते हैं, और डिपॉज़िट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन आपके पैसे को प्रति बैंक प्रति जमाकर्ता 5 लाख रुपये तक की सुरक्षा देता है। इसी तरह, पीपीएफ में जमा पैसे पर भी कम जोखिम वाला निवेश साधन है क्योंकि यह निवेश विकल्प भारत सरकार उपलब्ध कराती है।

ब्याज की गणना कैसे होती है

पीपीएफ के मामले में, जिस ब्याज को अर्जित या चक्रवृद्धि करने की जरूरत होती है, वह साल में एक बार किया जाता है। सभी पीपीएफ जमा इसके अनुकूल हैं। एफडी के मामले में, ब्याज दर निर्धारित करने के लिए या तो साधारण ब्याज या चक्रवृद्धि ब्याज का इस्तेमाल किया जाता है। आप चाहें तो ऑनलाइन भी पीपीएफ या एफडी कैलकुलेटर के जरिये ब्याज के तौर पर रिटर्न को समझ सकते हैं।

फिक्स्ड डिपोजिट को टर्म डिपोजिट के तौर पर भी जाना जाता है।

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फिक्स्ड डिपोजिट को टर्म डिपोजिट के तौर पर भी जाना जाता है।

किसमें निवेश करना है बेहतर

आईसीआईसीआई डायरेक्टर के मुताबिक, अगर आप यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि पीपीएफ या एफडी में से कौन बेहतर है, तो यह आपके निवेश लक्ष्य और जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है। अगर आपको जोखिम से बचना है तो एफडी और पीपीएफ दोनों ही बेहतरीन साधन हैं। जो लोग भविष्य के लिए निवेश करना चाहते हैं और साथ ही टैक्स भी बचाना चाहते हैं, वह पीपीएफ में निवेश कर सकते हैं। क्योंकि इसे सरकारी समर्थन प्राप्त है तो यह सुरक्षित है।

ऐसे में इसकी अपील और भी बढ़ जाती है क्योंकि आप जो ब्याज कमाते हैं, वह टैक्स फ्री होता है। फिर भी, सातवें साल से शुरू होने पर, इसमें लंबी लॉक-इन अवधि होती है और सिर्फ कुछ सीमित निकासी के विकल्प होते हैं। दूसरी तरफ, एफडी आपको सही अवधि चुनने की आजादी देते हैं। पीपीएफ की तुलना में, टैक्स-सेविंग एफडी में पांच साल की बहुत कम लॉक-इन अवधि होती है। वैसे एफडी में एक निश्चित मात्रा में जोखिम होता है, और आप जो ब्याज कमाते हैं, उस पर टैक्स लगता है।

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