नई दिल्ली: कांग्रेस ने हालही में ये आरोप लगाए थे कि आयकर विभाग ने कांग्रेस, यूथ कांग्रेस (IYC) और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के खातों से 65 करोड़ रुपए से ज्यादा हस्तांतरित करने के निर्देश बैंकों को दिए थे।
कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने इसे "आर्थिक आतंकवाद" करार दिया था और कहा था कि ये कदम ऐसे समय में उठाया गया, जब पार्टी आर्थिक संकट से जूझ रही है और आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष 210 करोड़ रुपये की कर मांग लंबित है।
क्या राजनीतिक दलों को इनकम टैक्स देना जरूरी है?
आयकर अधिनियम, 1961, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत चुनाव आयोग द्वारा पंजीकृत राजनीतिक दलों को कुछ शर्तों के साथ इनकम टैक्स के भुगतान में छूट है। राजनीतिक दलों की आय से संबंधित विशेष प्रावधान से संबंधित अधिनियम की धारा 13-ए कहती है कि गृह संपत्ति से आय, अन्य स्रोतों से आय, पूंजीगत लाभ और स्वैच्छिक योगदान को पार्टी की पिछले वर्ष की कुल आय में शामिल नहीं किया जाएगा।
लेकिन शर्त ये है कि पार्टी, खाते की किताबें और अन्य दस्तावेज़ बनाए रखे। जिससे मूल्यांकन अधिकारी को कोई परेशानी ना हो। इसमें ये भी कहा गया है कि 20 हजार से ऊपर के सभी योगदानों का रिकॉर्ड रखें और अकाउंटटेंट के द्वारा इसका ऑडिट करवाएं। 2000 से ऊपर की कोई डोनेशन नकद स्वीकार ना करें।
छूट तब तक वैध है जब तक पार्टी का कोषाध्यक्ष या पार्टी द्वारा अधिकृत कोई अन्य व्यक्ति आयकर रिटर्न दाखिल करने की नियत तारीख से पहले चुनाव आयोग को अपने दान की घोषणा प्रस्तुत करता है।
क्या राजनीतिक दलों को आयकर रिटर्न दाखिल करना आवश्यक है?
यदि पार्टियों की कुल आय, धारा 13ए के तहत छूट को ध्यान में रखने से पहले, आयकर छूट सीमा से अधिक है, तो उन्हें अपना रिटर्न दाखिल करना आवश्यक है।