नई दिल्ली: 'हैलो...तुम्हारा बच्चा मेरे कब्जे में है। अगर उसकी जान प्यारी है तो मेरे बताए हुए पते पर इतने करोड़ रुपए पहुंचा देना।' बॉलीवुड की फिल्मों, मीडिया की खबरों में ऐसा हम सभी ने पढ़ा और सुना है। अधिकतर किडनैपिंग के मामलों में बच्चों को किडनैप करने के बाद किडनैपर्स पैरेंट्स को फोन करते हैं और फिरौती मांगते हैं। लेकिन इस तरीके के अपराधों में एक बात तो कॉमन होती है कि किडनैपर्स के पास बच्चा होता है, तभी वो फिरौती के लिए फोन करते हैं।
लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि किसी किडनैपर के पास बच्चा ना हो और वह फिर भी फिरौती के लिए पैरेंट्स को फोन करे और उनसे रुपया भी वसूल कर ले! सोचने में ये बात थोड़ी बकवास लग सकती है लेकिन इंटरनेट की दुनिया में इसे साइबर किडनैपिंग कहा जाता है, जिसका शिकार बच्चों को बनाया जा रहा है और उनके माता-पिता से साइबर किडनैपर्स लाखों-करोड़ों रुपए की फिरौती भी वसूल रहे हैं।
क्या है ताजा मामला?
अमेरिका में हालही में एक चीन के स्टूडेंट काई झुआंग (Kai Zhuang) की साइबर किडनैपिंग का मामला सामने आया। इस स्टूडेंट की उम्र 17 साल है। पुलिस ने जब इस स्टूडेंट को ढूंढा तो वह एक गांव में एक टेंट के नीचे अकेले बैठा था। लेकिन जब तक पुलिस इस स्टूडेंट तक पहुंची, तब तक किडनैपर इस स्टूडेंट के माता पिता से 80 हजार डॉलर (करीब 66,55,308 रुपए) फिरौती के रूप में हासिल कर चुका था। पुलिस ने बताया कि इस स्टूडेंट की गमुशुदगी की रिपोर्ट 28 दिसंबर को दर्ज कराई गई थी।
कैसे पता लगा कि चीनी स्टूडेंट का किडनैप हो गया?
दरअसल चीनी स्टूडेंट काई झुआंग के माता-पिता ने उसके स्कूल को बताया कि काई कहां है, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं मिल रही है। शायद उसका किडनैप हो गया है। इसके बाद स्कूल ने पुलिस तक ये बात पहुंचाई। जब पुलिस ने काई को ढूंढा तो वह स्कूल से करीब 40 किलोमीटर दूर एक गांव के इलाके में मिला।
लेकिन पुलिस ने काई को लेकर जो खुलासा किया, वह ज्यादा चौंकाने वाला है। पुलिस ने बताया कि काई को जब बरामद किया गया तो ऐसा लग रहा था कि उसने खुद को आइसोलेट कर रखा है। यानी वह खुद ही दुनिया से दूर चला गया, उसने खुद को ऐसी जगह बंद कर लिया, जैसे कोई किडनैपर किसी को बंद रखता है। इसके बाद पुलिस ने बताया कि ये मामला साइबर किडनैपिंग से जुड़ा है।
क्या होती है साइबर किडनैपिंग?
साइबर किडनैपिंग (Cyber Kidnapping) एक ऐसा अपराध है, जिसमें क्राइम करने वाला शख्स दूसरे शख्स को इस बात के लिए राजी कर लेता है कि ये दूसरा शख्स कहीं छिप जाएगा या फिर खुद को आइसोलेट कर लेगा। साइबर किडनैपर लोगों को इस बात के लिए भी राजी कर लेते हैं कि वह अपनी ऐसी तस्वीरें साझा करें, जिससे ये लगे कि उनका सच में किडनैप किया गया है। ये लोग अपनी हाथ-पैरों में बंधे होने, मुंह पर पट्टी लगी होने जैसी डरावनी तस्वीरें साझा करते हैं और खुद को आइसोलेट कर लेते हैं। पूरी दुनिया को नहीं पता लगता कि ये लोग कहां गए।
इसके बाद शुरू होता है फिरौती का खेल। चूंकि जिस शख्स का माइंडवॉश किया जा चुका है, वह तो आइसोलेशन में है तो साइबर किडनैपर उनके परिजनों को फिरौती के लिए फोन या मैसेज करते हैं और उनसे मोटी रकम वसूल लेते हैं। परिजनों को डराने के लिए वही तस्वीरें भेजी जाती हैं, जिसे साइबर किडनैपर ने कहकर क्लिक करवाया है।
साइबर किडनैपर परिजनों को ये धमकी भी देते हैं कि अगर उन्होंने फिरौती की रकम उन्हें नहीं दी तो वह उस शख्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिसका किडनैप हुआ है। साइबर किडनैपर्स फिजिकली तो उस शख्स के साथ नहीं होते लेकिन वीडियो कॉल के जरिए उनकी हरकत पर पूरी नजर रखते हैं।
यहां ये जानना जरूरी है कि साइबर किडनैपर्स सबसे ज्यादा शिकार बच्चों को बनाते हैं क्योंकि बच्चे उनकी बातों में आसानी से फंस जाते हैं। इन बच्चों की उम्र 10 साल से 20 साल तक हो सकती है। साइबर किडनैपर्स किसी को भी अपना निशाना बनाने से पहले उसका पूरा डाटा खंगालते हैं और ये चेक करते हैं कि इंटरनेट की दुनिया में बच्चा कितना एक्टिव है।
सोशल मीडिया सर्फिंग का पूरा एनालिसिस करके ये किसी बच्चे को अपना शिकार बनाते हैं और फिर साइबर किडनैपिंग के जरिए उसके पैरेंटस की जेब खाली करना शुरू कर देते हैं। FBI की वेबसाइट पर इससे जुड़ा चौंकाने वाला डाटा भी सामने आ चुका है। साइबर किडनैपिंग के मामले बड़े शहरों में तेजी से बढ़ रहे हैं। जानकार कहते हैं कि AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे-जैसे विकसित होता जाएगा, इस तरह के अपराधों की संख्या भी तेजी से बढ़ेगी।
साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल ने की इंडिया टीवी से बात
इंडिया टीवी ने साइबर किडनैपिंग को विस्तार से समझने के लिए साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल से बात की। अनुज ने बताया, 'भारत में साइबर क्राइम से जुड़े मामलों में कई गिरफ्तारियां हो रही हैं। लेकिन साइबर किडनैपिंग या फिर यूं कहें कि साइबर कैप्चरिंग एक अलग तरह का मामला है। ये ब्लू गेम की तरह है, जिसमें कई लोगों को गेम खेलते-खेलते उनके घर के बाहर ले जाया जाता था। साइबर किडनैपिंग भी उसी तरह की घटना है। इसमें विक्टिम को मानसिक बंधक बना लिया जाता है और फिर उसे छुड़ाने के लिए फिरौती मांगी जाती है। AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के विस्तार से तो ये मामले और बढे़ंगे। क्योंकि नकली आवाज, तस्वीरें और वीडियो बनाकर साइबर क्रिमिनल्स का काम और आसान हो जाएगा।'
अनुज का कहना है, 'भारत में साइबर थाने बनाए जा रहे हैं लेकिन थाने में मौजूद लोगों को ट्रेंड करने की दिशा में अभी और काम करना होगा। जनसंख्या बढ़ने की वजह से भी साइबर क्राइम का ग्राफ बढ़ा है।'
अनुज ने साइबर क्राइम को रोकने के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, 'साइबर यूनिट्स को ट्रेंड और मोटिवेट करके इस समस्या को सुलझाया जा सकता है। इसके अलावा जो सामान्य पुलिस चौकियां हैं, उन्हें भी इस बात के लिए अलर्ट किया जाना चाहिए कि वह साइबर क्राइम के मामलों को गंभीरता से लें।'