
वाशिंगटन डीसीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या 2024 लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल करने से कैसे रह गए, क्या इसके पीछे विदेशी हाथ था?...पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के बाद नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार पीएम तो बन गए, लेकिन उनको इसके लिए नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड और चंद्रबाबू नायडू की तेलगूदेशम पार्टी (टीडीपी) से समर्थन हासिल करना पड़ा। लोकसभा 2024 के चुनाव में बहुमत के लिए जरूरी 272 सीटों से भाजपा करीब 32 सीटें पीछे रह गई थी। भाजपा को इस चुनाव में कुल 240 सीटें हासिल हुई थी। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खुलासे से यह सवाल उठने लगा है कि पीएम मोदी का बहुमत तक नहीं पहुंच पाने की वजह क्या USAID थी, जिसे किसी और को सत्ता में लाने के लिए थी।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो खैर साफ कह दिया है कि USAID यानि भारत में वोटर टर्न आउट के नाम पर दी गई 21 मिलियन डॉलर की राशि भारत में नरेंद्र मोदी की जगह, किसी और को सत्ता में लाने का प्रयास था। यह राशि अमेरिकी का पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से भारत में एक एनजीओ को दी गई थी। ट्रंप ने साफ तौर पर कहा है कि अगर यह पीएम मोदी को सत्ता से हटाने के लिए नहीं था, तो क्या था?...ट्रंप ने सवाल किया कि आखिर जो बाइडेन को अमेरिका के बजाय भारत में वोटर टर्न आउट की चिंता क्यों थी?... ट्रंप ने कहा कि मेरे विचार से यह साफ तौर पर रिश्वत थी, जिसे मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए दी गई।
भारत में डीप स्टेट की साजिश
ट्रंप के खुलासे से साफ है कि भारत में "डीप स्टेट" यानि सत्ता परिवर्तन करने की साजिश के तहत विदेशी हस्तक्षेप किया जा रहा था। भारतीय विदेश मंत्रालय भी एलन मस्क और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के इस खुलासे के बाद हैरान है। विदेश मंत्रालय ने USAID पर अपना पहला रिएक्शन देते हुए इस पर गहरी चिंता जाहिर की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि हमने इस तरह की खबरें देखा और सुना है कि अमेरिका की पूर्व सरकार ने भारत में चुनाव को प्रभावित करने के लिए फंडिंग की। भारत ने शुक्रवार को कहा कि देश में कुछ गतिविधियों के लिए ‘यूएसएड’ द्वारा वित्त पोषण किए जाने के बारे में खुलासे ‘‘बेहद परेशान करने वाले’’ हैं और इससे देश के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप को लेकर चिंता पैदा हुई है।
भारतीय खुफिया एजेंसी ने शुरू की जांच
रणधीर जायसवाल ने कहा कि संबंधित विभाग और अधिकारी कुछ अमेरिकी गतिविधियों और वित्तपोषण के संबंध में अमेरिकी प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी की जांच कर रहे हैं। जायसवाल ने कहा, ‘‘हमने अमेरिकी प्रशासन द्वारा कुछ अमेरिकी गतिविधियों और वित्तपोषण के संबंध में दी गई जानकारी देखी है। ये स्पष्ट रूप से बहुत परेशान करने वाली है। जायसवाल ने कहा, ‘‘इससे भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप की चिंताएं पैदा हुई हैं। संबंधित विभाग और एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं। इस समय कोई टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी। उम्मीद है कि हम बाद में इस पर कोई अद्यतन जानकारी दे पाएंगे।’
ट्रंप ने दिया था ये बयान
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में एलन मस्क के नेतृत्व वाले सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) द्वारा भारत में मतदान को प्रेरित करने के लिए 2.1 करोड़ यूएस डॉलर दिए जाने का खुलासा किए जाने के कुछ दिनों बाद कहा था कि हम भारत को यह पैसा क्यों दे रहे हैं। ट्रंप ने सवाल किया कि यूएसएआईडी ने भारत में मतदान प्रतिशत को बढ़ावा देने के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया था। हमें इसकी क्या जरूरत थी, क्या पूर्व सरकार भारत में किसी और को चुनाव जिताने के लिए यह सब कर रही थी। ट्रंप ने कहा कि हमें मौजूदा भारत सरकार को यह सब बताना होगा।