
मेलबर्न: ऑस्ट्रेलिया में मई में होने जा रहे आम चुनावों से पहले बढ़ती हुई महंगाई, अर्थव्यवस्था की हालत, ऊर्जा और चीन से तकरार जैसे मुद्दे छाए हुए हैं। बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के लोग 3 मई को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। मुल्क में पिछले काफी समय से घरों की कीमतें आसमान छू रही हैं, ब्याज दरें ऊंची बनी हुई हैं और प्रमुख पार्टियां इस बात पर बिल्कुल बंटी हुई हैं कि देश को जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न बिजली से कैसे मुक्त किया जाए। प्रमुख पार्टियां इस बात पर भी एकमत नहीं हैं कि चीन से कैसे निपटा जाए, जो ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार होने के साथ-साथ सबसे बड़ा रणनीतिक खतरा भी है।
आइए, आपको बताते हैं ऑस्ट्रेलिया में इन दिनों छाए सबसे बड़े चुनावी मुद्दों के बारे में:
बढ़ती महंगाई
ऑस्ट्रेलियाई लोगों ने हाल के इतिहास में जीवन-यापन की लागत में सबसे तेज़ वृद्धि को झेला है और मौजूदा सरकार इसके सबसे बुरे दौर से गुज़र रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल अंडों की कीमतों में 11% और बीयर की कीमतों में 4% की वृद्धि हुई। संपत्ति विश्लेषक कोरलॉजिक ने कहा कि 2023 में 8.1% की वृद्धि के बाद पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में किराये में 4.8% की वृद्धि हुई। मई 2022 में चुनावों में प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज की सेंटर-लेफ्ट लेबर पार्टी के सत्ता में आने से दो हफ्ते पहले केंद्रीय बैंक की बेंचमार्क नकद दर रिकॉर्ड निम्न 0.1% से बढ़कर 0.35% हो गई।
तब से यह दर एक दर्जन बार बढ़ी है, जो नवंबर 2023 में 4.35% पर पहुंच गई। उस साल मुद्रास्फीति 7.8% पर पहुंच गई थी। केंद्रीय बैंक ने फरवरी में नकद दर को एक चौथाई प्रतिशत घटाकर 4.1% कर दिया, जो इस बात का संकेत है कि जीवन-यापन की लागत का सबसे बुरा संकट बीत चुका है।
घरों की आसमान छूती कीमतें
मुद्रास्फीति ने कुछ बिल्डरों को व्यवसाय से बाहर कर दिया है, जिससे आवास की कमी देखने को मिल रही है। इसकी वजह से किराये में भी वृद्धि हुई है। सरकार ने कुछ किरायों और ऊर्जा बिलों के लिए टैक्स कटौती और सहायता प्रदान की है, लेकिन आलोचकों का तर्क है कि सरकारी खर्च ने उच्च मुद्रास्फीति को बनाए रखने में योगदान दिया है। अल्बानीज ने 2023 में 2024 के मध्य से लेकर अगले 5 सालों में 12 लाख घर बनाने का वादा किया था, जो 2.7 करोड़ लोगों के देश में एक बड़ा लक्ष्य कहा जाएगा। हालांकि शुरुआती आंकड़े बता रहे हैं कि उनकी सरकार द्वारा इस लक्ष्य को हासिल कर पाना लगभग नामुमकिन है।
विपक्ष ने इमिग्रेशन पर लगाम कसके आवास के लिए प्रतिस्पर्धा को कम करने का वादा किया है। इसने ऑस्ट्रेलियाई लोगों को अपने अनिवार्य कार्यस्थल पेंशन फंड में रखे पैसे को घर खरीदने के लिए डाउन पेमेंट पर खर्च करने की इजाजत देने का भी वादा किया है, जिसे सुपरएनुएशन के रूप में जाना जाता है।
नेट जीरो के लिए अलग-अलग राह
ऑस्ट्रेलिया में दोनों पक्ष इस लक्ष्य पर सहमत हैं कि 2050 तक नेट जीरो उत्सर्जन हासिल किया जाए। विपक्ष ने ऑस्ट्रेलिया भर में 7 सरकारी वित्तपोषित परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने का वादा किया है, जो 2035 में बिजली प्रदान करने वाला पहला संयंत्र होगा। सरकार का तर्क है कि ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा कोयला और गैस से चलने वाले जनरेटर परमाणु ऊर्जा आने तक देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय तक नहीं चलेंगे। इसकी योजना 2030 तक ऑस्ट्रेलिया के 82% ऊर्जा ग्रिड को नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित करने की है।
विपक्ष का तर्क है कि कोयला और गैस की जगह पवन टर्बाइन और सौर सेल सहित नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने की सरकार की नीति अप्राप्य है, और इससे स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में निवेश कम होगा। सरकार को 2022 में इस वादे के साथ चुना गया था कि वह दशक के अंत तक ऑस्ट्रेलिया के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 2005 के स्तर से 43% कम करेगी और 2050 तक नेट-ज़ीरो हासिल करेगी। विपक्ष चुनाव से पहले 2030 के लिए कोई नया लक्ष्य निर्धारित नहीं करेगा, लेकिन परमाणु ऊर्जा के साथ 2050 तक नेट-जीरो की प्रतिबद्धता बनाए रखेगा।
चीन के साथ संबंध का मुद्दा भी छाया
ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच व्यापार और कूटनीतिक संबंधों में 2020 में उस समय संकट आ गया था, जब पिछली कंजर्वेटिव ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने COVID-19 महामारी की उत्पत्ति और प्रतिक्रियाओं की अंतर्राष्ट्रीय जांच की मांग की। बीजिंग ने इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के साथ मिनिस्टर-टू-मिनिस्टर कॉन्टैक्ट पर रोक लगा दी और कोयला, शराब, जौ, लकड़ी और झींगा मछली सहित कई वस्तुओं पर आधिकारिक और अनौपचारिक प्रतिबंध लगा दिए, जिससे ऑस्ट्रेलियाई निर्यातकों को सालाना 20 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर ($13 बिलियन) तक का नुकसान हुआ। इसके बाद से ही ऑस्ट्रेलिया में चीन का मुद्दा छाया रहा है।
2022 में केंद्र-वाम लेबर पार्टी के चुनाव के साथ रिश्ते थोड़ा संभलने शुरू हुए। चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग ने प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज को उनकी चुनावी जीत पर बधाई देने के लिए पत्र लिखा था। सभी व्यापार बाधाओं को धीरे-धीरे हटा दिया गया और 2023 में बीजिंग की राजकीय यात्रा के दौरान अल्बानीज राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले। अल्बानीज अक्सर चीन के बारे में कहते हैं: 'हम जहां सहयोग कर सकते हैं, वहां सहयोग करेंगे, जहां असहमत होना चाहिए, वहां असहमत होंगे और राष्ट्रीय हित का ध्यान रखेंगे।'
चीन के लंबे समय से आलोचक रहे विपक्षी नेता पीटर डटन ने कहा है कि सख्त और समझौता न करने वाले दृष्टिकोण से द्विपक्षीय संबंध और भी बेहतर होंगे। उन्होंने बीजिंग को नाराज करने से बचने के लिए अल्बानीज पर सेल्फ-सेंसरशिप का आरोप लगाया है। डटन ने इस महीने सिडनी में लोवी इंस्टीट्यूट इंटरनेशनल पॉलिसी थिंक टैंक से कहा, 'ऑस्ट्रेलिया को ऐसे किसी भी देश की आलोचना करने के लिए तैयार रहना चाहिए जिसका व्यवहार क्षेत्र में स्थिरता को खतरे में डालता है, और यही वह है जिसका नेतृत्व मैं कर रहा हूं और जो गठबंधन सरकार है, वह आत्मविश्वास के साथ और समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर काम करेगी।'
चुनावों में किसकी हो सकती है जीत?
कई लोगों को उम्मीद है कि विपक्षी नेता पीटर डटन का रूढ़िवादी गठबंधन प्रतिनिधि सभा में सीटें जीतेगा। हालांकि 1931 के बाद से सिर्फ एक कार्यकाल के बाद किसी भी ऑस्ट्रेलियाई सरकार को जनता ने नहीं हटाया है। 1931 में ऑस्ट्रेलिया महामंदी से जूझ रहा था। हालांकि यह भी एक हकीकत है कि ऑस्ट्रेलिया में सरकारों को अपना दूसरा चुनाव जीतने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। माना जा रहा है कि इस बार स्वतंत्र या छोटी पार्टियों के समर्थन से एक अल्पमत सरकार बन सकती है। 2022 के चुनाव में रिकॉर्ड 19 ऐसे सांसद संसद में आए जो स्वतंत्र थे। ऐसे में फिलहाल कहा जा सकता है कि इस बार ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है। (AP)