Saturday, April 26, 2025
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Explainer: क्या अमेरिकी मदद के बिना भी रूस से लड़ सकता है यूक्रेन? जवाब है हां, जानें कैसे

अमेरिका ने ऐलान किया है कि वह यूक्रेन को दी जा रही सैन्य सहायता को रोक रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अमेरिकी मदद के बिना यूक्रेन रूस के साथ जारी जंग में टिक पाएगा?

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Mar 05, 2025 7:59 IST, Updated : Mar 05, 2025 7:59 IST
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Image Source : AP वोलोदिमिर जेलेंस्की और डोनाल्ड ट्रंप।

लंदन: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग को शुरू हुए 3 साल से भी ज्यादा का वक्त गुजर चुका है। अमेरिका इन 3 सालों में यूक्रेन का सबसे बड़ा सैन्य मददगार रहा है, लेकिन अब बहुत कुछ बदल चुका है। ट्रंप प्रशासन ने यूक्रेन को दी जा रही सैन्य सहायता रोक दी है और इसके साथ ही इस बात की आशंका जताई जा रही है कि इससे यूक्रेन की सुरक्षा व्यवस्था अचानक ध्वस्त हो जाएगी और रूस के साथ उसका लड़ना मुश्किल हो जाएगा। लेकिन क्या वाकई में ऐसा है? जवाब है नहीं। हां, इतना जरूर है कि अमेरिका द्वारा मदद रोके जाने से यूक्रेन को बड़ा झटका लगा है। आइए, समझते हैं कैसे?

यूक्रेन की कितनी सहायता अमेरिका से आती है?

24 फरवरी, 2022 को रूस द्वारा पूर्ण युद्ध शुरू करने के बाद से संयुक्त राज्य अमेरिका ने यूक्रेन को 180 बिलियन डॉलर से अधिक की सहायता दी है, जिसमें से 66.5 बिलियन डॉलर से अधिक की सैन्य सहायता शामिल है। अमेरिका ने रूस से जंग की शुरुआत के बाद से यूक्रेन की लगभग 20% सैन्य आपूर्ति प्रदान की है, और इसमें सबसे घातक और महत्वपूर्ण उपकरण शामिल हैं। अमेरिका ने यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलें और पैट्रियट एयर डिफेंस सिस्टम दिया है जिसके दम पर यूक्रेन ने रूस की तमाम विध्वंसक मिसाइलों को मार गिराया है।

कम्युनिकेशन सिस्टम भी है अमेरिका के भरोसे

यूक्रेन को अमेरिका सिर्फ हथियार और गोला-बारूद ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ देता रहा है। यूक्रेनी सैनिक मोर्चे पर संदेशों के आदान-प्रदान के लिए एलन मस्क के स्टारलिंक सैटेलाइट कम्युनिकेशन सिस्टम पर निर्भर हैं। रूस के अहम ठिकानों पर हमला करने के लिए भी यूक्रेन को अमेरिकी खुफिया एजेंसी से मदद मिलती है। अगर अमेरिका सैटेलाइट आदि से मिलने वाले डेटा को यूक्रेन के साथ साझा करना बंद करता है तो इससे रूस पर जवाबी हमला करने की यूक्रेन की क्षमता पर बुरा असर पड़ेगा। यूक्रेन के बाकी सहयोगी चाहकर भी इस मामले में उसकी मदद नहीं कर पाएंगे।

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Image Source : AP
मोर्चे पर तैनात एक यूक्रेनी सैनिक।

ट्रंप ने क्यों रोक दी यूक्रेन को दी जाने वाली मदद?

व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका यूक्रेन को दी जाने वाली अपनी सहायता को 'रोक रहा है और उसकी समीक्षा कर रहा है' ताकि 'यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह समाधान में योगदान दे रहा है।' यह आदेश तब तक प्रभावी रहेगा जब तक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यह निर्धारित नहीं कर लेते कि यूक्रेन ने रूस के साथ शांति वार्ता के लिए प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है। यह फैसला पिछले हफ्ते यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ एक तनाव भरी बैठक के बाद लिया गया है, जिसमें ट्रंप और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा था कि जेलेंस्की ने अमेरिकी समर्थन के लिए पर्याप्त आभार व्यक्त नहीं किया है।

अमेरिकी मदद के बिना कहां कमजोर पड़ेगा यूक्रेन?

अमेरिका के इस कदम का जंग के मैदान पर तुरंत कोई खास असर नजर नहीं आएगा। यूक्रेन की सेना अमेरिका की मदद के बिना भी रूस के हमले को नाकाम करने में सक्षम है। हालात का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 3 साल से भी ज्यादा समय से चल रही इस जंग में रूस को अपने हजारों सैनिक खोने पड़े हैं और उसके हथियारों के जखीरे पर भी असर पड़ा है। अमेरिकी सहायता में रुकावट से इतना जरूर होगा कि यूक्रेन की हवाई सुरक्षा कमजोर होगी और रूस के अंदरूनी ठिकानों पर हमले की उसकी क्षमता पर असर पड़ेगा।

तो क्या यूक्रेन को अब रूस के हाथों हार झेलनी होगी?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका की मदद रुकना यूक्रेन के लिए झटका जरूर है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह अचानक से बाजी हार जाएगा। यूक्रेन को यूरोपीय देशों से भी अच्छी खासी मदद मिल रही है और वे अमेरिका की तरफ से रोके गए आर्टिलरी सिस्टम की भरपाई कर सकते हैं। हालांकि यूक्रेन को एयर डिफेंस सिस्टम के साथ-साथ लंबी दूरी की मिसाइलों की कमी का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि इन दोनों ही चीजों के लिए यूक्रेन अमेरिका पर निर्भर रहा है। हालांकि गोला-बारूद और अन्य हथियारों की सप्लाई में यूरोपीय देशों की तरफ से कोई कमी नहीं होगी और यूक्रेन को लंबे समय तक मुकाबले में रखने के लिए ये पर्याप्त है।

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Image Source : AP
यूक्रेन ने ड्रोन निर्माण में भी काफी तरक्की की है।

ड्रोन के मामले में भी आत्मनिर्भर होता जा रहा यूक्रेन

यूक्रेन के पास न सिर्फ गोला-बारूद और अन्य हथियारों का अच्छा-खासा भंडार है, बल्कि वह ड्रोन के मामले में भी आत्मनिर्भर होता जा रहा है। मौजूदा दौर में ड्रोन जंग के दौरान अहम भूमिका अदा करते हैं और यूक्रेन का ड्रोन उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, रूस के साथ जंग में इस्तेमाल हो रहे सैन्य हार्डवेयर का लगभग आधे हिस्से का उत्पादन यूक्रेन खुद कर रहा है। यूक्रेन ने न सिर्फ हथियारों का उत्पादन तेजी से किया है बल्कि वह इनोवेशन के क्षेत्र में भी अच्छा काम कर रहा है। ऐसे में वह अपने दम पर भी रूस को काफी समय तक मोर्चे पर आगे बढ़ने से रोक सकता है।

क्या यूक्रेन को बाकी देशों से अतिरिक्त मदद मिलेगी?

यूक्रेन की मदद के लिए यूरोपीय देश लामबंद हो चुके हैं और इसीलिए रविवार को लंदन में एक शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ था। ब्रिटेन ने एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद के लिए यूक्रेन को मदद का ऐलान किया। वहीं, यूरोपियन यूनियन ने यूक्रेन की मदद के लिए करीब 800 अरब यूरो की योजना प्रस्तावित की है। इस तरह देखा जाए तो यूरोप की पूरी कोशिश है कि अगर रूस के साथ शांति वार्ता शुरू भी होती है तो यूक्रेन कहीं से कमजोर नजर न आए। हालांकि इस हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता कि अमेरिका के हटने से यूक्रेन को मिल रही फंडिंग का एक बड़ा हिस्सा फिर भी गायब हो जाता है।

अमेरिका की मदद के बिना भी लड़ सकता है यूक्रेन, मगर…

तमाम चीजों पर गौर करने के बाद हम कह सकते हैं कि रूस के साथ जारी जंग में यूक्रेन अमेरिकी मदद के बिना भी लड़ सकता है हालांकि चीजें उसके लिए आसान नहीं रहेंगी। वह कुछ और महीनों तक इस जंग को और खींच सकता है, लेकिन अमेरिका की मदद के बिना यूरोप भी उसकी बहुत दिनों तक मदद नहीं कर पाएगा। हालांकि इसका मतलब यह भी नहीं है कि यूक्रेन को रूस के हाथों तुरंत ही करारी शिकस्त झेलनी पड़ेगी या उसका सुरक्षा तंत्र पूरी तरह नाकाम हो जाएगा। अमेरिका की मदद के बिना भी यूक्रेन अगले कुछ महीनों तक यह जंग जारी रख सकता है।

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