Tuesday, March 25, 2025
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Explainer: क्या जज के खिलाफ FIR दर्ज की जा सकती है? जानें पूरी प्रक्रिया

जब तक CJI अपना परामर्श या सलाह राष्ट्रपति को नहीं देते, तब तक जज के खिलाफ कोई FIR दर्ज नहीं की जा सकती।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published : Mar 24, 2025 14:48 IST, Updated : Mar 24, 2025 14:48 IST
Explainer
Image Source : PEXELS/REPRESENTATIVE PIC जज के खिलाफ FIR दर्ज हो सकती है?

नई दिल्ली: दिल्ली के एक जज के आवास पर बेहिसाब धन मिलने का दावा किया जा रहा है और इससे जुड़ी खबरें भी चल रही हैं। ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या किसी पद पर आसीन जज के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है?

इसका उत्तर ये है कि किसी भी जज के खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई तब तक शुरू नहीं हो सकती, जब तक कि देश के CJI से परामर्श न ले लिया जाए। ये बात के. वीरस्वामी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (1991) में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कही थी।

नियम क्या कहते हैं?

नियमों के मुताबिक, अगर देश के CJI ये पाते हैं कि आरोप शुरुआती तौर पर सही लग रहे हैं तो वह भारत के राष्ट्रपति को पुलिस को एफआईआर दर्ज करने की अनुमति देने की सलाह देते हैं। इस प्रक्रिया को इन हाउस प्रक्रिया कहते हैं। इस जांच का प्रभार CJI के पास होता है।

दरअसल साल 1991 में भी एक हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य जज के खिलाफ आरोप लगाए गए थे। इसी दौरान इन हाउस प्रक्रिया सामने आई थी। इसके बाद ये सामने आया कि पीसी अधिनियम के अंतर्गत कार्यरत जज के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के लिए सक्षम प्राधिकारी भारत के राष्ट्रपति  हैं।

इसके बावजूद ये बात साफ है कि जब तक CJI अपना परामर्श या सलाह राष्ट्रपति को नहीं देते, तब तक जज के खिलाफ कोई FIR दर्ज नहीं की जा सकती। हालांकि यहां ये भी जानना जरूरी है कि राष्ट्रपति, CJI की सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। 

1995 में रविचंद्रन अय्यर बनाम जस्टिस ए.एम. भट्टाचार्य के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इसे 'इन-हाउस प्रक्रिया' कहा था।

क्या है जज के घर से कैश मिलने का मामला?

दरअसल दिल्ली के एक जज के घर में आग लग गई थी और उस वक्त वह घर पर नहीं थे। इस दौरान पुलिस और दमकलकर्मियों ने आग तो बुझा दी लेकिन दावा किया गया कि इस घर से बड़ी संख्या में जले हुए नोट भी बरामद हुए। हालांकि नोटों का यह ढेर जलकर खाक हो चुका था। इसके बाद ये खबर तेजी से हाई कमान तक पहुंच गई और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।

इस मामले में दिल्ली फायर सर्विस के चीफ ने कहा था कि दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज के घर पर आग बुझाने के दौरान कोई कैश नहीं मिला। उन्होंने बताया था कि 14 मार्च की रात 11 बजकर 35 मिनट पर कंट्रोल रूम को आग लगने की सूचना मिली थी। इसके बाद फायर ब्रिगेड की दो गाड़ियों को मौके पर रवाना किया गया था। फायर ब्रिगेड की गाड़ियां रात 11.43 बजे मौके पर पहुंचीं थीं। उन्होंने कहा था कि हमारे दमकल कर्मियों को आग बुझाने के अभियान के दौरान कोई कैश नहीं मिला था।

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