Explainer: भारत के बाद अब ब्रिटेन में भी संसद के चुनाव होने वाले हैं। प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत अभी से लगाना शुरू कर दिया है, क्योंकि ब्रिटेन के तमाम चुनावी सर्वे में मौजूदा कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार को नुकसान होता दिख रहा है और इस बार लेबर पार्टी को बढ़त मिलते दिखाया जा रहा है। ब्रिटेन में मुख्यतयः यही दो पार्टियां हैं। मगर करीब दर्जन भर छोटी-छोटी पार्टियां भी हैं। ब्रिटेन की तीसरी बड़ी पार्टी स्कॉटिश नेशनल पार्टी है, जिसके कुल 43 सांसद हैं। वहीं कंजर्वेटिव पार्टी के 342 और लेबर पार्टी के 205 सांसद हैं। भारत की तरह इंग्लैंड में जो सबसे कॉमन चीज है, वह चुनाव की प्रक्रिया के साथ लोकसभा की सीटों को लेकर है। इंग्लैंड में भी भारत की तर्ज पर लोकसभा की 543 सीटें ही हैं।
मगर यहां लोकसभा को हाउस ऑफ कॉमन्स कहते हैं। यानि ये संसद का निचला सदन है। वहीं ब्रिटेन के उच्च सदन को उच्च सदन को हाउस ऑफ लॉर्ड्स कहते हैं। यहां संसद के यही दो सदन होते हैं, लेकिन यह तीन भागों में होता है। संसद के तीसरे भाग को संप्रभु कहा गया है। कंजरवेटिव पार्टी ब्रिटेन की मौजूदा सत्ता संभाल रही है। इस पार्टी का ब्रिटेन पर 14 वर्षों से शासन है। मगर इस बार चुनावी सर्वेक्षण लेबर पार्टी को सत्ता में वापसी की भविष्यवाणी कर रहे हैं। इससे पीएम ऋषि सुनक के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं।
ब्रिटेन के चुनाव में 4 देश होते हैं शामिल
ब्रिटेन के चुनाव का सबसे दिलचस्प पहलू यही है कि यहां 4 देश इसमें हिस्सा लेते हैं। इंग्लैंड के अलावा वेल्स, स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड। ग्रेट ब्रिटेन इन चारों देशों का प्रतिनिधित्व करता है। लिहाजा 4 देशों की कुल 650 सीटों के लिए सांसद चुने जाते हैं। इनमें से इंग्लैंड के लिए 543, स्कॉटलैंड के लिए 57, वेल्स के लिए 32 और उत्तरी आयरलैंड के लिए 18 सांसदों का चुनाव किया जाता है। इस प्रकार 650 सीटों पर चुनाव होता है। इतने निर्वाचित सांसद निचले सदन के सदस्य होते हैं। सरकार बनाने के लिए यहां किसी पार्टी को 326 सीटों की जरूरत होती है।
ब्रिटेन का उच्च सदन यानि हाउस ऑफ लॉर्ड्स
ब्रिटेन के उच्च सदन में 92 सदस्य यहां के शाही परिवार से जुड़े होते हैं। इसके अलाव चर्च ऑफ इंग्लैंड के 26 बिशप भी इसके सदस्य होते हैं। ब्रिटेन की संसद दुनिया की सबसे बड़ी विधायिका है। इसे इसीलिए विश्व भर की संसद की मां भी कहा जाता है। इसमें प्रधानमंत्री की सलाह पर नियुक्त कई आजीवन सदस्य भी होते हैं।
ऐसे होता है चुनाव
भारत की तरह यहां भी अलग-अलग क्षेत्रों से सांसद चुने जाते हैं। इसके बाद सबसे बड़ी पार्टी के सांसद अपना प्रधानमंत्री चुनते हैं। यहां वैलेट बॉक्स में जनता वोट करती है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल नहीं होता है। यहां पोलिंग बूथों पर सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक वोटिंग होती है। वोटिंग होते ही यहां काउंटिंग शुरू हो जाती है। इसके बाद परिणाम आने लगते हैं। भारत की तरह यहां भी वोट देने के लिए मतदाता की उम्र 18 वर्ष ही निर्धारित है। मगर सबसे खास बात यह है कि ब्रिटेन के चुनाव में कैदी और हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्यों को मतदान का अधिकार नहीं दिया गया है।
जुलाई में होंगे चुनाव
ब्रिटेन की मौजूदा सरकार का कार्यकाल 17 दिसंबर 2024 तक है। इसके बाद 25 दिन अतिरिक्त मिलते हैं। ऐसे में यहां चुनाव 2025 जनवरी में होना था। मगर पीएम ऋषि सुनक ने 30 मई को संसद भंग करने का ऐलान किया है। इसके बाद जुलाई में ही चुनाव शुरू हो जाएंगे। यहां के चुनाव में यदि किसी को बहुमत न मिले तो ऐसी स्थिति में मौजूदा पीएम ही आगे भी प्रधानमंत्री रहता है। मगर यदि वह आगे गठबंधन करके सरकार नहीं बना पाता तो विपक्ष को आमंत्रित किया जाता है। ब्रिटेन की सत्ता पर काबिज मौजूदा कंजरवेटिव पार्टी राइटिस्ट श्रेणी में आती है। जबकि लेबर पार्टी को लेफ्टिस्ट यानि वामदल कहा जाता है।