
27 मार्च 1977 को स्पेन के टेनेरिफ द्वीप पर लॉस रोडियोस एयरपोर्ट, जिसे अब टेनेरिफ नॉर्थ एयरपोर्ट के नाम से जाना जाता है, पर एक भयावह विमान दुर्घटना हुई थी, जिसमें दो बोइंग 747 जंबो जेट आपस में टकरा गए थे। इस हादसे में 583 लोगों की जान गई थी, जो इसे नागरिक उड्डयन के इतिहास की सबसे घातक दुर्घटना बनाता है। यह घटना आज भी हवाई सुरक्षा के क्षेत्र में एक सबक के रूप में पढ़ाई जाती है। इस लेख में हम इस इस दुर्घटना के कारणों, घटनाक्रम, और इसके बाद हुए बदलावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
बम ब्लास्ट की वजह से डाइवर्ट हुई थीं फ्लाइट्स
27 मार्च 1977 को टेनेरिफ एयरपोर्ट असामान्य रूप से व्यस्त था। पास के ग्रैन कैनरिया एयरपोर्ट पर हुए एक बम ब्लास्ट के बाद कई फ्लाइट्स को टेनेरिफ की तरफ मोड़ दिया गया था। इनमें 2 बड़े पैसेंजर प्लेन शामिल थे, KLM की फ्लाइट 4805 एम्स्टर्डम से लास पालमास जा रही थी, और Pan Am की फ्लाइट 1736 लॉस एंजिल्स से न्यूयॉर्क के रास्ते लास पालमास जा रही थी। KLM की फ्लाइट में 248 यात्री और क्रू के सदस्य थे, जबकि पैन एम में 396 लोग सवार थे।
बता दें कि लॉस रोडियोस एक छोटा एयरपोर्ट था और इतने बड़े विमानों को संभालने के लिए तैयार नहीं था। इसके बावजूद, दोनों विमानों को वहां उतारा गया। उस दिन घना कोहरा छाया हुआ था, जिससे दृश्यता यानी कि विजिबिलिटी बेहद कम हो गई थी, और कभी-कभी यह 100 मीटर से भी कम हो जाती थी। यह मौसम और एयरपोर्ट की सीमित सुविधाएं दुर्घटना के लिए प्लेटफॉर्म तैयार कर रही थीं।
कैसे हुआ एविएशन हिस्ट्री का सबसे दर्दनाक हादसा?
स्थानीय समयानुसार शाम के करीब 5:00 बजे स्थिति सामान्य होने की उम्मीद में दोनों विमानों को उड़ान भरने की इजाजत देने की तैयारी शुरू हुई। ATC ने KLM विमान को रनवे के अंत तक टैक्सी करने और वहां से उड़ान भरने का निर्देश दिया। वहीं, पैन एम विमान को रनवे पर एक निकास (टैक्सीवे C-3) से बाहर निकलने और फिर टैक्सीवे पर इंतजार करने को कहा गया, ताकि KLM को रास्ता मिल सके। लेकिन घने कोहरे और कम्यूनिकेशन में गड़बड़ी ने स्थिति को जटिल बना दिया।
KLM के कप्तान जैकब वेल्डहुइजेन वैन जांतेन, जो एक अनुभवी पायलट थे, ने गलती से यह समझ लिया कि उन्हें टेकऑफ की मंजूरी मिल गई है। उन्होंने अपने फर्स्ट ऑफिसर से पूछा, ‘क्या उसने (पैन एम) रनवे खाली कर दिया?’ फर्स्ट ऑफिसर ने ATC से संपर्क किया, लेकिन जवाब अस्पष्ट था। इसके बावजूद, कैप्टन ने टेकऑफ शुरू कर दिया। उसी समय, पैन एम का प्लेन अभी भी रनवे पर था। इसके पायलट विक्टर ग्रब्स ने C-3 टैक्सीवे को पार करने में देरी कर दी थी, क्योंकि कोहरे में दिशा समझना मुश्किल था।
जब पैन एम के क्रू ने देखा कि KLM का प्लेन तेजी से उनकी ओर आ रहा है, तो उन्होंने रेडियो पर चिल्लाकर कहा, ‘हम अभी भी रनवे पर हैं!’ लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। शाम 5:06 बजे, KLM का बोइंग 747, जो 260 किमी/घंटा की रफ्तार से उड़ान भरने की कोशिश कर रहा था, Pan Am के विमान से टकरा गया। टक्कर इतनी भीषण थी कि KLM का प्लेन हवा में उछला और 150 मीटर आगे जाकर जमीन से तेजी से टकराया, जिससे आग लग गई। पैन एम का प्लेन भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया।
583 लोगों की गई जान, 61 की जान बची
इस भयावह हादसे में KLM की फ्लाइट में सवार सभी 248 लोग मारे गए। वहीं, पैन एम विमान में 396 में से 61 लोग बच गए, जिनमें ज्यादातर वे थे जो विमान के आगे के हिस्से में बैठे थे। इस दुर्घटना में कुल 583 लोगों की मौत हुई, जो इसे मानव इतिहास की सबसे घातक हवाई दुर्घटना बनाती है। बचाव कार्य तुरंत शुरू हुआ, लेकिन कोहरे और आग ने इसमें काफी मुश्किलें पैदा कीं। इस दुर्घटना में जिंदा बच गए लोगों का मानना था कि किसी चमत्कर ने ही उन्हें बचा लिया था, और वे गलत नहीं थे।
क्या थे टेनेरिफ एयरपोर्ट दुर्घटना के कारण
मानव इतिहास की सबसे बड़ी एविएशन ट्रैजडी की जब जांच की गई तो पता चला कि यह हादसा कई कारकों का परिणाम था:
- संचार में गड़बड़ी: KLM पायलट ने टेकऑफ की मंजूरी को गलत समझा। ATC के निर्देश अस्पष्ट थे, और रेडियो में ओवरलैपिंग संदेशों ने भ्रम पैदा किया।
- खराब मौसम: घना कोहरा दृश्यता को लगभग शून्य कर रहा था, जिससे पायलटों को एक-दूसरे को देखने का मौका नहीं मिला।
- मानवीय त्रुटि: KLM कप्तान का जल्दबाजी में टेकऑफ शुरू करना सबसे बड़ा कारण माना गया। वे पहले से देरी से परेशान थे और समय बचाना चाहते थे।
- एयरपोर्ट की सीमाएं: लॉस रोडियोस में एक ही रनवे था, और टैक्सीवे संकरे थे, जिसने विमानों को एक-दूसरे से दूर रखना मुश्किल बना दिया।
- प्रोटोकॉल का अभाव: उस समय मानकीकृत संचार वाक्यांशों (Standardized Communication Phrases) का इस्तेमाल अनिवार्य नहीं था, जिससे गलतफहमी हुई।
दुर्घटना के बाद हुए कई बड़े बदलाव
टेनेरिफ दुर्घटना ने एविएशन इंडस्ट्री को झकझोर दिया जिसके बाद सुरक्षा में व्यापक बदलाव किए गए। स्पेन, नीदरलैंड्स, और अमेरिका की संयुक्त जांच के बाद कई सुधार लागू किए गए:
- संचार सुधार: "टेकऑफ" और "क्लियर" जैसे शब्दों के लिए स्पष्ट प्रोटोकॉल बनाए गए। अब पायलट और ATC को हर निर्देश की पुष्टि दोहरानी पड़ती है।
- चालक दल संसाधन प्रबंधन (CRM): पायलटों और चालक दल के बीच बेहतर समन्वय के लिए प्रशिक्षण शुरू हुआ। पहले अधिकारियों को कप्तान के फैसले पर सवाल उठाने की आजादी कम थी, जो अब बदल गया।
- एयरपोर्ट डिजाइन: छोटे हवाई अड्डों पर बड़े विमानों के संचालन के लिए सख्त नियम बनाए गए।
- तकनीकी उन्नति: ग्राउंड रडार और कोहरे में दृश्यता बढ़ाने वाली प्रणालियों का विकास तेज हुआ।
इस हादसे ने टेनेरिफ एयरपोर्ट की कमियों को भी उजागर किया। बाद में, टेनेरिफ साउथ एयरपोर्ट बनाया गया, जो बड़े विमानों को संभालने में सक्षम था। टेनेरिफ दुर्घटना को कई डॉक्यूमेंट्री और किताबों में दर्शाया गया है। हर साल 27 मार्च को मृतकों को श्रद्धांजलि दी जाती है। टेनेरिफ में एक स्मारक भी बनाया गया है। यह घटना आज भी पायलट ट्रेनिंग का हिस्सा है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी न हो।