Sunday, December 22, 2024
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Explainer: निपाह से निपटने के लिए सरकार की क्या है तैयारी? क्यों खतरनाक होता जा रहा है यह वायरस?

केरल में निपाह वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और इसकी वजह से आम आदमी के माथे पर चिंता की लकीरें खींचनी शुरू हो गई हैं। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि सरकार ने वायरस से निपटने के लिए अभी तक क्या तैयारी की है।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Sep 16, 2023 9:45 IST, Updated : Sep 16, 2023 9:48 IST
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Image Source : FILE केरल में निपाह वायरस का प्रकोप चौथी बार आया है।

नई दिल्ली: केरल के कोझिकोड जिले में एक और शख्स के निपाह वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा है। वायरस की चपेट में एक और ऐसे शख्स के आने की पुष्टि हुई है जो 30 अगस्त को जान गंवाने वाले संक्रमित मरीज के सीधे संपर्क में आया था। उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण राज्य सरकार ने उन सभी लोगों की जांच का फैसला किया है जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं और जिनके संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है। निपाह वायरस से जुड़ी खबरों ने अब आम आदमी का ध्यान भी खींचना शुरू कर दिया है। आज हम आपको बताएंगे कि निपाह से निपटने के लिए सरकार की क्या तैयारी है और यह वायरस क्यों खतरनाक होता जा रहा है।

सरकार ने शुरू की वायरस से निपटने की तैयारी

सरकार ने इस खतरनाक वायरस से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। यही वजह है कि भारत निपाह वायरस संक्रमण के इलाज के लिए ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की 20 और खुराक खरीदने जा रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद या ICMR के महानिदेशक राजीव बहल ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी देते हुए यह भी कहा कि इस बीमारी से निपटने के लिए एक वैक्सीन विकसित करने के प्लान पर भी काम चल रहा है। बता दें कि केरल में निपाह वायरस संक्रमण के मामले बार-बार सामने आ रहे हैं, और ऐसे में वैक्सीन का विकसित होना राहत की बात होगी।

‘मोनोक्लोनल एंटीबॉडी से बची है 14 मरीजों की जान’
निपाह वायरस में मृत्यु दर कोविड-19 के मुकाबले काफी ज्यादा है। ICMR के महानिदेशक बहल ने कहा कि निपाह में संक्रमित लोगों की मृत्यु दर 40 से 70 प्रतिशत के बीच है, जबकि कोविड में मृत्यु दर 2-3 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा, ‘हमें 2018 में ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की कुछ डोज मिलीं। वर्तमान में डोज केवल 10 मरीजों के लिए उपलब्ध हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत के बाहर निपाह वायरस से संक्रमित 14 मरीजों को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दी गई और वे सभी बच गए हैं। उन्होंने कहा कि दवा के सुरक्षित होने को तय करने के लिए केवल फेज-1 का परीक्षण बाहर किया गया है और इसकी प्रभावक्षमता का परीक्षण नहीं किया गया है।

‘इंडेक्स मरीज से संपर्क में आने से संक्रमित हुए लोग’
बहल ने कहा कि कहा कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का डोज केवल उन्हीं मरीजों को दिया जा सकता है, जिनके इलाज के लिये कोई अधिकृत संतोषजनक उपचार विधि नहीं है। उनके मुताबिक, भारत में अब तक किसी को भी यह दवा नहीं दी गई है। बहल ने कहा, ‘20 और डोज खरीदी जा रही हैं, लेकिन संक्रमण के शुरुआती फेज में ही दवा देने की जरूरत है।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि केरल में वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सभी प्रयास जारी हैं। बहल ने कहा कि अभी तक मिले सभी मरीज ‘इंडेक्स मरीज’ (संक्रमण की पुष्टि वाले पहले मरीज) के संपर्क में आने से संक्रमित हुए हैं।

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निपाह वायरस की वैक्सीन के लिए ICMR प्लानिंग कर रहा है।

वैक्सीन बनाने के लिए प्लानिंग कर रहा ICMR
बता दें कि यह चौथी बार है जब राज्य में निपाह वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। ऐसे में निपाह के लिए वैक्सीन विकसित करने पर काम शुरू करने की ICMR की प्लानिंग पर बहल ने कहा कि इस प्रक्रिया के तहत उन साझेदारों की तलाश की जा रही है जो इसे बना सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘इस समय हमारी सबसे बड़ी कामयाबी यह है कि हमने कोविड के दौरान कई अलग-अलग तरीकों से वैक्सीन विकसित किए हैं जैसे कि DNA वैक्सीन, mRNA वैक्सीन, एडेनोवायरल वेक्टर टीके हैं, और हम निपाह संक्रमण जैसी बीमारी के खिलाफ नई वैक्सीन विकसित करने के लिए इन विविध तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं।’

निपाह के मामले में सामने आया ‘चमगादड़ कनेक्शन’
केरल में निपाह से संक्रमण के मामले बार-बार क्यों सामने आ रहे हैं, इस पर बहल ने कहा, ‘हम नहीं जानते। 2018 में हमने पाया कि केरल में यह प्रकोप चमगादड़ों से जुड़ा था। हमें पता नहीं है कि संक्रमण चमगादड़ों से मनुष्यों में कैसे पहुंचा। इसकी कड़ी जुड़ नहीं सकी। इस बार फिर हम पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। बरसात के मौसम में ऐसा हमेशा होता है।’ निपाह संक्रमण में उच्च मृत्यु दर को देखते हुए बहल ने कहा कि एहतियात बरतना ही सबसे अच्छा विकल्प है। उन्होंने लोगों को सोशल डिस्टैंसिंग रखने, मास्क पहनने और ऐसे कच्चे खाद्य पदार्थ न खाने की सलाह दी है जो चमगादड़ के संपर्क में आए हों।

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निपाह वायरस संक्रमण में चमगादड़ों की भूमिका भी सामने आई है।

जंगल के आसपास रहने वालों को ज्यादा खतरा
केरल में इससे पहले 2018 और 2021 में कोझिकोड में और 2019 में एर्नाकुलम में निपाह वायरस के मामले सामने आ चुके हैं जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कितना खतरनाक होता जा रहा है। जिला प्रशासन ने पहले ही कोझिकोड के स्कूलों में एक हफ्ते की छुट्टी घोषित कर दी है। WHO और ICMR की स्टडी से पता चला है कि सिर्फ कोझिकोड ही नहीं बल्कि पूरा राज्य इस तरह के संक्रमण की चपेट में है। वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सबसे अधिक सावधानी बरतनी होगी। स्टडी में कहा गया है कि नया वायरस जंगली क्षेत्र के 5 किलोमीटर के दायरे के भीतर उत्पन्न हुआ है।

केंद्र ने जायजा लेने के लिए केरल भेजी कई टीमें
इस बीच केंद्र ने स्थिति का जायजा लेने और निपाह संक्रमण से निपटने में राज्य सरकार की मदद करने के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल और राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और स्नायु विज्ञान संस्थान (NIMHANS) के एक्सपर्ट्स की 5 लोगों की केंद्रीय टीम को केरल भेजा है। माना जा रहा है कि निपाह वायरस की मौजूदगी की जांच के लिए चमगादड़ों से नमूने एकत्र किए जाएंगे। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि ICMR की MBSL-3 लैब जैविक संक्रमण से तृतीय स्तर की सुरक्षा वाली दक्षिण एशिया की पहली लैब है और इसे कोझिकोड में तैनात किया गया है। इसके अलावा राजीव गांधी जैवविज्ञान केंद्र की भी एक लैब जिले में भेजी गई है।

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