Thursday, November 21, 2024
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Explainar: शेयर मार्केट में इस हफ्ते क्यों रहा शोर? अगले वीक कैसा रहेगा बाजार, जानें क्या हो निवेशकों की स्ट्रैटेजी

5 मई को बाजार में बड़ा भूचाल आया था। कमजोर अमेरिकी डाटा और जापान की येन को लेकर आई खबर ने बाजार को जोर का झटका दिया था। हालांकि तब से आज 9 अगस्त के दौरान घरेलू शेयर बाजार ने करीब 1000 अंकों की रिकवरी कर ली है।

Written By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: August 09, 2024 18:41 IST
अमेरिका में बेरोजगारी दर पिछले महीने बढ़कर 4.3 प्रतिशत हो गई है।- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV अमेरिका में बेरोजगारी दर पिछले महीने बढ़कर 4.3 प्रतिशत हो गई है।

घरेलू शेयर बाजार इस सप्ताह भारी उठा-पटक के दौर से गुजरा। कारोबारी सप्ताह के पहले दिन यानी सोमवार (5 अगस्त 2024) को शेयर बाजार में खलबली मच गई थी। एक दिन में बंबई शेयर बाजार का बेंचमार्क सेंसेक्स 2222.55 अंक की भारी गिरावट के साथ 78,759.40 पर बंद हुआ था। निफ्टी 662.10 अंक या 2.68% की गिरावट के साथ 24,055.60 पर बंद हुआ था। आज यानी 9 अगस्त को सेंसेक्स बढ़त के साथ 79,705.91 पर बंद हुआ है और निफ्टी बढ़त के साथ 24,367.50 पर बंद हुआ। यानी सेंसेक्स ने सप्ताह के शुरुआत के बड़े झटके के बाद से आज तक में 946.51 अंक की रिकवरी कर ली है। बता दें, 2 अगस्त को सेंसेक्स 80,982 के लेवल पर था, जबकि निफ्टी 24,717 के लेवल पर था।

निफ्टी 50 ने की वापसी

निफ्टी 50 ने 5 अगस्त के बाद तेजी से रिकवरी की। पिछले दिन के अपने सभी नुकसानों की भरपाई की और 9 अगस्त को 1 प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुआ। सूचकांक 5 अगस्त (24,350) से मंदी के अंतर क्षेत्र के निचले सिरे को पार कर गया, लेकिन आने वाले सत्रों में इसे इस स्तर से ऊपर बने रहने की जरूरत है। इसे 24,400 के आसपास एक महत्वपूर्ण बाधा का सामना करना पड़ा। जानकारों का कहना है कि सूचकांक 24,350-24,400 क्षेत्र से ऊपर बंद होता है और बना रहता है, तो यह 24,700-24,800 क्षेत्र तक पहुंच सकता है, जो मंदी के अंतर क्षेत्र के ऊपरी छोर के साथ मेल खाता है।

एक दिन में निवेशकों के डूबे थे 17 लाख करोड़ रुपये

इस सप्ताह 5 अगस्त को शेयर मार्केट में आई तगड़ी गिरावट के चलते निवेशकों के एक झटके में 17.03 लाख करोड़ रुपए डूब गए थे। 2 अगस्त (शुक्रवार) को बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर लिस्टेड सभी कंपनियों का कुल मार्केट कैप 457.16 लाख करोड़ रुपए था, जो 5 अगस्त को घटकर 440.13 लाख करोड़ रुपए रह गया था। इस सप्ताह मार्केट के मुंह के खाने के पीछे अमेरिकी रोजगार डेटा, अमेरिका में मंदी की आशंका बढ़ने और मध्य पूर्व में तनाव बढ़ना मुख्य वजह रहीं।

अमेरिका में मंदी की आशंका ने वैश्विक स्तर पर निवेशकों की जोखिम उठाने की क्षमता को झटका दिया।

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अमेरिका में मंदी की आशंका ने वैश्विक स्तर पर निवेशकों की जोखिम उठाने की क्षमता को झटका दिया।


अमेरिका में मंदी की आशंका ने वैश्विक स्तर पर निवेशकों की जोखिम उठाने की क्षमता को झटका दिया। अमेरिका में बेरोजगारी दर पिछले महीने बढ़कर 4.3 प्रतिशत हो गई है, जो तीन साल के उच्चतम स्तर पर है, जबकि जून में यह 4.1 प्रतिशत थी। जुलाई में बेरोजगारी दर में लगातार चौथी महीने वृद्धि दर्ज की गई। इसके अलावा, कच्चे तेल में भी उबाल देखने को मिला। जापान की मुद्रा येन कैरी ट्रेड को खत्म करना भी वजह रही। इसका जापानी बाजार पर बड़ा असर हुआ।

निवेशक की क्या हो स्ट्रैटेजी

स्टॉक मार्केट के टेक्निकल एक्सपर्ट कुणाल सरावगी का कहना है कि इस सप्ताह भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने और प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के निराशाजनक आर्थिक संकेतकों ने अनिश्चितता और अस्थिरता को बढ़ावा दिया। हालांकि भारतीय बाजार इस सप्ताह के शुरुआती झटकों के बाद स्थिर होने की राह पर है। अगले सप्ताह बाजार में कुछ करेक्शन भी देखने को मिल सकता है। निवेशकों को फिलहाल थोड़ा इंतजार करना चाहिए। कुणाल अगले सप्ताह डिफेंस, शिपिंग, आईटी और रेलवे सेक्टर को लेकर पॉजिटिव हैं। उनका कहना है कि निवेशकों के लिए इन सेक्टर्स की कंपनियों में बेहतर मौके मिल सकते हैं।

किन बातों से निवेशकों का भरोसा प्रभावित हुआ

निवेशकों के विश्वास और आर्थिक उम्मीदों को प्रभावित करने वाले कई कारक शेयर बाजार में गिरावट को ट्रिगर कर सकते हैं। निगेटिव आर्थिक संकेतक जैसे उच्च बेरोजगारी दर, खराब जीडीपी ग्रोथ या बढ़ती महंगाई शामिल हैं। इससे निवेशकों को धीमी अर्थव्यवस्था की आशंका होती है। वह बिकवाली की तरफ रुख करने लगते हैं। ताजा हालात की बात की जाए तो दुनिया के कई इलाकों में संघर्ष, युद्ध या राजनीतिक अस्थिरता से जुड़े भू-राजनीतिक तनाव वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता पैदा कर सकते हैं। इससे अस्थिरता और गिरावट आ सकती है। केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने या मौद्रिक प्रोत्साहन को कम करने के फैसले, उधार लेना अधिक महंगा कर सकते हैं।इससे भी बाजार की भावना प्रभावित होती है। प्रमुख कंपनियों या क्षेत्रों की खराब वित्तीय नतीजों से उन शेयरों में निवेशकों का विश्वास कम हो सकता है, जिससे समग्र बाजार प्रदर्शन प्रभावित होता है।

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