पिछले दिनों पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 12 सांसदों में से 10 ने बुधवार को संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। सूत्रों ने बताया कि दो अन्य सांसद भी जल्द इस्तीफा देंगे। अधिकारियों ने बताया कि इस्तीफा देने वाले 10 सांसदों में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद पटेल सहित नौ लोकसभा सांसद और एक राज्यसभा सदस्य शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि दो अन्य सांसद केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह और महंत बालकनाथ भी लोकसभा से इस्तीफा देंगे। यह कदम मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में नए मुख्यमंत्रियों के चयन की पार्टी नेतृत्व की प्रक्रिया का हिस्सा है। इस्तीफा देने वाले अन्य सांसदों में दीया कुमारी, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और राकेश सिंह शामिल हैं। अब बड़ा सवाल ये है कि सांसदों की इन खाली सीटों को क्या होगा? इन के लिए चुनाव करवाने का नियम क्या है? आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब हमारे इस एक्सप्लेनर के माध्यम से।
क्यों देना पड़ा इस्तीफा?
दरअसल, हाल ही में हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कई सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतारा था। इनमें प्रह्लाद सिंह पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी जैसे कई बड़े नाम थे। पार्टी के इस कदम का मकसद किसी सीएम फेस के बजाय सामूहिक नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने का था। पार्टी ने मध्य प्रदेश में 7 सांसदों को चुनाव लड़ाया था। इनमें से पांच सांसदों ने जीत हासिल की है। वहीं, राजस्थान में भी 7 सांसदों में से चार को जीत मिली है। अब पार्टी ने इन नेताओं को राज्य में ही कमान संभालने की जिम्मेदारी दी है। इस कारण इनसे इस्तीफा दिलवाया गया है।
क्या है इस्तीफे का नियम?
दरअसल, देश में कोई निर्वाचित सदस्य एक बार में एक ही सदन का व्यक्ति हो सकता है। ऐसे में संविधान के अनुच्छेद 101 (2) के अनुसार, जिस प्रत्याशी ने विधानसभा चुनाव जीता है उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिनों के भीतर संसद या विधानसभा में से किसी एक सदन से इस्तीफा देना होगा। कानूनी रूप से एक निर्वाचित नेता लोकसभा का सदस्य रहते हुए विधानसभा में शपथ ग्रहण नहीं कर सकता। इस कारण ये सदस्य 14 दिनों से पहले ही इस्तीफा दे रहे हैं। सांसदों द्वारा इस्तीफा देने और स्वीकार होने के बाद संबंधित सीट को रिक्त मान लिया जाएगा।
अब खाली सीटों का क्या होगा?
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए के अनुसार, निर्वाचन आयोग संसद के दोनों सदनों और राज्यों के विधायी सदनों में खाली सीटों को रिक्ति होने की तिथि से 6 माह के भीतर उपचुनावों के द्वारा भरने के लिए अधिकृत है। हालांकि, इसमें एक शर्त है कि रिक्ति से जुड़े किसी सदस्य का शेष कार्यकाल एक वर्ष अथवा उससे अधिक होना चाहिए। बता दें कि जिन सांसदों ने इस्तीफा दिया है उनका कार्यकाल अब कुछ ही महीनों का बाकी रह गया है। ऐसे में इन सीटों पर चुनाव होने की संभावना नहीं जताई जा रही है। अब इन रिक्त सीटों को आगामी लोकसभा चुनाव में ही भरे जाने की आवश्यकता है।
कब होंगे लोकसभा चुनाव?
भारत की 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त होने वाला है। ऐसे में 18वीं लोकसभा के लिए अप्रैल और मई 2024 तक आम चुनाव होने की संभावना है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि चुनाव आयोग कि ओर से मार्च महीने की शुरुआत तक चुनाव की तारीखें और आदर्श आचार संहिता को लेकर घोषणा की जा सकती है।
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