वाशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्क को अमेरिकी सरकार को सुव्यवस्थित करने के लिए एक पैनल स्थापित करने का काम सौंपा है। हालांकि, ट्रंप ने इस बारे में बहुत कम कहा है कि यह समूह कैसे काम करेगा, लेकिन मस्क ने पहले ही $2 ट्रिलियन खर्च में कटौती का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है जिससे इसके बारे में अंदाजा जरूर लगाया जा सकता है। इस नए पैनल का नेतृत्व विश्व के सबसे धनी व्यक्ति मस्क और पूर्व रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार विवेक रामास्वामी करेंगे। पैनल क्या काम करेगा इस बारे में हम आपको खबर में आगे बताएंगे लेकिन उससे पहले यह जान लें कि एलन मस्क और विवेक रामास्वामी हैं कौन।
कौन हैं एलन मस्क?
एलन मस्क एक प्रमुख उद्यमी और व्यवसायी हैं, जिन्हें स्पेसएक्स के सीईओ और प्रमुख डिजाइनर तथा टेस्ला इंक के सीईओ और उत्पाद वास्तुकार के रूप में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है। 53 साल के मस्क प्रिटोरिया, दक्षिण अफ्रीका में पैदा हुए। तकनीक और इनोवेशन के क्षेत्र में दुनिया के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से मस्क एक हैं। चुनावों के दौरान वह ट्रंप के अभियान के एक प्रमुख समर्थक रहे हैं। उन्होंने चुनावों में फंडिंग भी की है इतना ही नहीं मस्क ने अक्टूबर में मैडिसन स्क्वायर गार्डन में ट्रंप की रैली में कहा था कि संघीय बजट में "कम से कम" 2 ट्रिलियन डॉलर की कटौती की जा सकती है। अब मस्क के इस बयान का असर किस तरह से देखने को मिलेगा यह जल्द ही साफ हो जाएगा।
विवेक रामास्वामी हैं कौन?
विवेक गणपति रामास्वामी एक अमेरिकी उद्यमी और राजनीतिज्ञ हैं, जो बायोटेक उद्योग में अपनी भागीदारी और अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए जाने जाते हैं। 9 अगस्त 1985 को ओहियो के सिनसिनाटी में केरल के भारतीय अप्रवासी माता-पिता के घर जन्मे रामास्वामी ने व्यवसाय और राजनीति दोनों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। रामास्वामी ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से जीव विज्ञान में डिग्री के साथ स्नातक किया। बाद में येल लॉ स्कूल से कानून की डिग्री हासिल की। फरवरी 2023 में, रामास्वामी ने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी के नामांकन के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की। बाद में अपना अभियान स्थगित कर दिया और ट्रंप का समर्थन करने लगे।
ट्रंप ने दिए हैं संकेत
अब बात उस पैनल की जिसकी जिम्मेदारी एलन मस्क और विवेक रामास्वामी को सौंपी गई है। पैनल को लेकर हम आपको आगे बताएं उससे पहले यह जान लें कि हाल ही में ट्रंप ने एक बयान में कहा था कि पैनल सरकार को छोटा करने, विनियमनों में कटौती करने, खर्च कम करने और संघीय एजेंसियों के पुनर्गठन पर "सरकार को बाहर से सलाह और मार्गदर्शन प्रदान करेगा।" अब ट्रंप के इस बयान से आप यह तो समझ ही गए होंगे की पैनल आने वाले समय में अमेरिका में कितनी बड़ी भूमिका निभाने वाला है।
क्या होगा पैनल का काम
एलन मस्क पहले ही कह चुके हैं कि यह नई पहल “पूरी व्यवस्था में हलचल पैदा करेगी” और सरकारी खर्चों में बर्बादी करने वालों को निशाना बनाएगी। रामास्वामी ने भी इसी बात को दोहराया है। पैनल खासतौर पर अमेरिका की बेलगाम ब्यूरोक्रेसी पर लगाम लगाएगा। इसे ऐसे समझें कि अमेरिकी संघीय सरकार का वार्षिक बजट $6.5 ट्रिलियन का होता है। इसमें बड़े पैमाने पर धन की बर्बादी होती है। ट्रंप अपने चुनाव अभियान के दौरान भाषणों में ये बातें लगातार उठाते रहे हैं। अब यह पैनल सुधार प्रकिया में बड़ी भूमिका निभाएगा और हर चीज पर इसकी बारीक नजर भी रहेगी। पैनल सरकार के सभी विभागों और संघीय एजेंसियों के सारे खर्च ब्यौरों और कामकाज का ऑडिट करेगा। इससे तस्वीर साफ होगी कि कहां पैसा बर्बाद किया जा रहा है, कहां धन का कितना सही उपयोग हो रहा है।
ब्यूरोक्रेसी पर लगेगी लगाम
पैनल नौकरशाही बाधाओं को खत्म करने और अक्षमताओं को बढ़ाने वाले ज्यादा खर्चों को रेगुलराइज करके कम करेगा। प्रक्रियाओं को सरल बनाएगा। इसका मकसद सरकारी संचालन को अधिक चुस्त और उत्तरदायी बनाना होगा। इसके काम को सार्वजनिक रूप से जारी किया जाएगा। इसमें सरकारी खर्च पर नजर रखने और बर्बादी के क्षेत्रों को उजागर करने के लिए एक “लीडरबोर्ड” बनाना शामिल है, जिससे नागरिक सरकार को उसके खर्च के लिए जवाबदेह ठहरा सकें और जान सकें कि उनके टैक्स के पैसे का उपयोग सरकार किस तरह कर रही है।
कम होगी कर्मचारियों की संख्या?
पैनल के सुझाव पर सरकारी विभागों और संघीय एजेंसियों में काम कर रहे लोगों की संख्या में कमी लाई जा सकती है। रामास्वामी पहले ही संघीय कार्यबल में कटौती का प्रस्ताव दे चुके हैं। माना जा रहा है कि इससे अमेरिकी सरकारी विभागों के कर्मचारियों की संख्या को 75 फीसदी की कमी आ सकती है। यह छंटनी इतनी बड़ी होगी कि अमेरिका में हड़कंप मच सकता है। माना जाता रहा है कि अमेरिका में हर विभाग और संघीय एजेंसियों के भीतर जरूरत से ज्यादा स्टाफ है।
यह भी जानें
पैनल कुछ संघीय एजेंसियों को भंग करने की बात कर सकता है साथ ही कुछ को फिर से पुनर्गठित करने का प्रस्ताव दे सकता है। अभी अमेरिका में कई ऐसे विभाग हैं, जो एक जैसे काम कर रहे हैं। पैनल का काम कार्य में दक्षता बढ़ाते हुए सरकारी खर्च में पर्याप्त कटौती करना है। कुल मिलाकर पैनल के जरिए मस्क और रामास्वामी को पारदर्शिता, जवाबदेही और संघीय खर्च में अपव्यय और धोखाधड़ी को रोकने का काम करना है।
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