Friday, December 20, 2024
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Explainer: बर्फ नहीं ये है झाग, दिल्ली की यमुना नदी में अक्टूबर-नवंबर में ही क्यों बनता है टॉक्सिक फोम?

दिल्ली में हर साल अक्टूबर-नवंबर का महीना आते ही लोगों को यमुना के प्रदूषण की चिंता सताने लगती है। इस दौरान अमूमन काले रंग का दिखने वाला यमुना नदी का दूषित पानी सफेद रंग के झाग में बदल जाता है। दूर से ये एक बर्फ की चादर सा दिखाई देता है।

Written By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Published : Oct 22, 2024 13:58 IST, Updated : Oct 22, 2024 14:18 IST
दिल्ली की यमुना नदी में तैरता सफेद झाग
Image Source : INDIA TV GFX दिल्ली की यमुना नदी में तैरता सफेद झाग

दिल्ली में रोज का रोज प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। ये प्रदूषण हवा के साथ-साथ बहने वाले पानी का भी है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से होते हुए पवित्र यमुना नदी बहती है। वैसे तो दिल्ली में यमुना नदी का बचा-खुचा दूषित पानी गहरे काले रंग का दिखता है। अक्टूबर और नवंबर के महीने में यमुना नदी सफेद रंग की दिखाई देने लगती है। दूर से देखने में लगता है, जैसे कि कोई ये अंटार्कटिका महाद्वीप का कोई सीन है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यमुना में बर्फ के जैसे तैर रही ये सफेद चीज क्या है?

अक्टूबर-नवंबर महीने में ही क्यों जहरीली होती दिल्ली?

हर साल अक्टूबर के महीने में त्योहारी सीजन शुरू होते ही लोगों को दिल्ली के प्रदूषण की चिंता होने लगती है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एयर क्वालिटी ऑफ इंडेक्स (AQI) लेवल चेक किया जाने लगता है। इसे स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक बताया जाता है। दिल्ली को 'जहरीली गैस का चेंबर' घोषित कर दिया जाता है। दिल्ली में यमुना के पानी को बहता हुआ जहरीला केमिकल कहा जाता है। ऐसे में सवाल ये भी है कि हर बार इन्हीं दो महीनों में ही दिल्ली के प्रदूषण की इतनी चर्चा क्यों होती है? 

सफेद झाग वाले दूषित पानी में बच्चे को नहलाता एक पिता

Image Source : PTI
सफेद झाग वाले दूषित पानी में बच्चे को नहलाता एक पिता

दमघोंटू हवा और यमुना में जहरीला सफेद झाग

हर साल अक्टूबर और नवंबर के महीने में दिल्ली वायु और जल प्रदूषण की दोहरी चुनौती से जूझती है। दिल्ली की दमघोंटू हवा में लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। लोगों की आंखों में जलन और सीने में दर्द की शिकायत बढ़ जाती है। हवा के साथ ही पानी भी और ज्यादा दूषित हो जाता है। दिल्ली की यमुना नदी में सफेद रंग का झाग (Toxic Foam) तैरने लगता है। इसे एक जहरीला केमिकल भी कहा जाता है।

यमुना नदी और छठ का महापर्व

दरअसल, अक्टूबर-नवंबर के महीने में पूर्वांचल और बिहार के लोगों का प्रसिद्ध छठ का महापर्व भी होता है। इस त्योहार में बड़ी संख्या में लोग यमुना नदी के किनारे सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जाते हैंं। महिलाएं दूषित यमुना के पानी में उतर कर पूजा करने के लिए मजबूर होती हैं। छठ के महापर्व से पहले इन घाटों की सफाई का जायजा लेने के लिए यमुना की सफाई का मुद्दा भी उठने लगता है।

यमुना नदी में पूजा करती महिलाएं

Image Source : FILE PHOTO
यमुना नदी में पूजा करती महिलाएं

इस कारण इन दो महीनों में बढ़ता है नदी का प्रदूषण

विशेषज्ञों के अनुसार, मॉनसून (जून-जुलाई) की बारिश में यमुना नदी के बढ़े जल स्तर के कारण प्रदूषण अस्थायी रूप से कम हो जाता है। अगस्त-सितंबर के महीने में यमुना नदी का जल स्तर गिरते ही प्रदूषण की मुख्य समस्याएं फिर से बढ़ने लगती हैं। अक्टूबर-नवंबर के आते-आते ये प्रदूषण और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

घरों का और औद्योगिक कचरा नदी में है गिरता

ऐसे में कानपुर आईआईटी के रिपोर्ट के अनुसार, यमुना नदी पर बनने वाला जहरीला झाग मुख्य रूप से नदी में प्रवेश करने वाले प्रदूषकों और सीवेज के उच्च स्तर के कारण होता है। रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि यमुना नदी में लोगों के घरों और औद्योगिक कचरे को रोजाना बड़ी मात्रा में सीवरलाइन के माध्यम से छोड़ा जाता है।

यमुना में तैरता सफेद झाग

Image Source : FILE PHOTO
यमुना में तैरता सफेद झाग

बढ़ जाती है फॉस्फेट और सर्फेक्टेंट युक्त डिटर्जेंट की मात्रा

इसमें दिल्ली के साथ-साथ यूपी से जुड़े बॉर्डर एरिया और फैक्ट्रियों का जहीराला पानी शामिल होता है। इसे यमुना के पानी में गिरने वाले दूषित पानी से फॉस्फेट और सर्फेक्टेंट युक्त डिटर्जेंट की मात्रा बढ़ जाती है। अक्टूबर और नवंबर के महीने में नदी का बहाव भी तेज नहीं होता है। इस वजह से भी सफेद झाग यमुना नदी के किनारों पर एक तैरती हुई सफेद बर्फ सा दिखता है।

बैराज के ढलानों से नीचे गिरता है पानी

आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट में बताया गया कि जब फॉस्फेट और डिटर्जेंट युक्त अपशिष्टों के साथ यमुना का पानी बैराज के ढलानों (स्लिपवे) से नीचे गिरता है तो एक भंवर सी बनती है। जहरीले ​रसायन पानी के सतही तनाव को कम कर देते हैं। इसके कारण सफेद रंग का झाग बनने लगता है। खास तौर पर ये भी देखा गया है कि दिल्ली की यमुना में बने बैराज (पुल) के बाद गिरने वाले पानी पर ही जहरीली सफेद चादर की झाग दिखाई देती है।

बैराज से बाहर आता पानी

Image Source : FILE PHOTO
बैराज से बाहर आता पानी

झाग में होते हैं ये खतरनाक केमिकल 

नदी के इस सफेद झाग में हानिकारक कार्बनिक पदार्थ होते हैं। इनसे कई तरह की जहरीली गैसें निकलती है। खासकर ऑर्गेनिक पार्टिकुलेट मैटर (कार्बन के कण) निकलते हैं। ये गैसें सीधे वायुमंडल में जाती हैं लोगो को नुकसान पहुंचाती हैं। 

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