दिल्ली एनसीआर की हवा इस वक्त जहर से भरी हुई है। हवा में फैले प्रदूषण ने लोगों की हालत खराब कर दी है। ढंग से सर्दी आने से पहले ही हर साल की तरह इस क्षेत्र का AQI लगातार बिगड़ने लगा है। दिल्ली सरकार ने इस स्थिति से निपटने के लिए कई ऐलान तो किए हैं लेकिन फिलहाल प्रदूषण के मामले में कोई सुधार दिख नहीं रहा है। ऐसे समय में लोगों के मन में सवाल उठता है कि आखिर नवंबर आते-आते हर साल एनसीआर की हवा जहरीली क्यों हो जाती है? आगे स्थिति और कितनी गंभीर होगी? सरकार ने अब तक क्या एक्शन लिए हैं और ऐसे माहौल में आपको क्या सावधानी बरतनी चाहिए? आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब हमारे इस एक्सप्लेनर के माध्यम से।
कितना हो गया है AQI?
दिल्ली की हवा इस वक्त लगातार बहुत खराब श्रेणी में बनी हुई है। राजधानी का AQI शुक्रवार को 346 दर्ज किया गया है। दिल्ली के लोधी रोड इलाके में AQI 438, जहांगीरपुरी में 491, आरके पुरम इलाके में 486 और IGI एयरपोर्ट (टी 3) के आसपास 473 दर्ज किया गया है। वहीं, एनसीआर क्षेत्र के नोएडा की बात करें तो यहां का AQI 413 है, जो कि गंभीर स्थिति को बताता है। वहीं, नोएडा सेक्टर 125 में AQI 400, सेक्टर 62 में 483, सेक्टर 1 में 413 और सेक्टर 116 में 415 के आंकड़े तक पहुंच चुका है।
नवंबर में क्यों होता है इतना प्रदूषण?
दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण के कारणों में वाहनों से कार्बन उत्सर्जन, निर्माण कार्य से उठने वाली धूल, औद्योगिक प्रदूषण, पटाखे और लैंडफिल्ड के आग आदि तो शामिल हैं ही। लेकिन नवंबर में पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों में हर साल जलाई जाने वाली पराली भी इस प्रदूषण में अहम किरदार अदा करती है। सर्दियों के दौरान हवा स्थिर होती है। इस कारण धूल और प्रदूषक इकट्ठे होते हैं और इसके कणों के लिए एयर लॉक के हालात बन जाते हैं और ये देखते-देखते स्मॉग में बदल जाते हैं। बता दें कि रेस्पिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 5 सालों से दिल्ली देश का सबसे प्रदूषित शहर बना हुआ है।
क्या कर रही सरकार?
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण की स्थिति को ध्यान में रखते हुए शहर में GRAP-3 लागू कर दिया है। इस नियम में सरकारी परियोजनाओं को छोड़कर किसी भी तरह के निर्माण या ध्वस्तीकरण पर रोक रहेगी। इससे पहले दिल्ली सरकार ने डीजल वाहनों की एंट्री पर पूरा बैन लगा दिया है। शहर में सीएनजी और बीएस-6 वाहनों को ही एंट्री मिलेगी। इसके अलावा क्षेत्र में बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सरकार ने सभी निजी और सरकारी स्कूलों में प्राइमरी कक्षा तक के बच्चों को दो दिन की छुट्टी दे दी है। कई जगहों पर प्रदूषण को कम करने के लिए पानी का भी छिड़काव करवाया जा रहा है। इसके अलावा सरकार ने वाहन प्रदूषण कम करने के लिए 1,000 निजी सीएनजी बसें किराए पर लेने की योजना बनाई है।
क्या होंगे इस प्रदूषण के नुकसान?
हवा में फैले इस प्रदूषण के कारण लोगों में सांस लेने में तकलीफ, खांसी, आंखों में जलन और त्वचा संबंधी बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है। डॉक्टर्स के मुताबिक, दिल्ली एनसीआर की सड़कें स्मोकिंग जोन बन गई हैं। सर गंगा राम हॉस्पिटल के डॉक्टर धीरेन गुप्ता के मुताबिक, प्रदूषण के कारण व्यस्कों के बजाय बाल आयु वर्ग वाले लोगों को ज्यादा परेशानी होगी। इस प्रदूषण के कारण अजन्मे नवजात शिशु को भी एलर्जी हो जाएगी। डॉक्टर के मुताबिक, शिशु अवस्था में फेफड़ों और अन्य क्षेत्रों में रीमॉडलिंग होती है। इसका असर उनकी जिंदगी पर पड़ता है।
आने वाली स्थिति कितनी गंभीर?
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के एक विश्लेषण के अनुसार, राजधानी में एक नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है, क्योंकि इस समय पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले बढ़ जाते हैं। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बीते दिन इस बात की जानकारी दी थी कि बढ़ते प्रदूषण के कारण इस क्षेत्र में आने वाले 15-20 दिन काफी क्रिटिकल होने वाले हैं।
अपनाएं ये जरूरी उपाय
डॉक्टर्स ने दिल्ली एनसीआर में फैले जहरीले प्रदूषण के कारण हालात बिगड़ने की चेतावनी जारी कर दी है। डॉक्टर्स ने लोगों को सुबह जल्दी या देर शाम को बाहर जाने से बचने की कोशिश करने को कहा है क्योंकि उस समय प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक होता है। समय आ गया है कि हम मास्क का इस्तेमाल करें। N95 मास्क पहन सकते हैं। इसके अलावा बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर निकलें।
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