Wednesday, December 04, 2024
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Explainer: अडानी के बहाने भारत में "डीप स्टेट" की साजिश! हिंडनबर्ग के बाद अमेरिकी न्याय विभाग के हमले का विशेषज्ञों ने बताया मकसद

भारत में कुछ विदेशी ताकतें "डीप स्टेट" की साजिश रच रही हैं। कभी आंदोलनों के बहाने, कभी सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ कर, कभी भारत के आर्थिक तंत्र व मेडिकल तंत्र पर हमला करके तो कभी सैन्य व्यवस्थाओं पर हमला करके वह देश की सरकार को अस्थिर करने में जुटी हैं। जानें विशेषज्ञों की राय।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Dec 04, 2024 21:03 IST, Updated : Dec 04, 2024 22:28 IST
प्रतीकात्मक फोटो।- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV प्रतीकात्मक फोटो।

नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत स्तंभ बन चुके गौतम अडानी पर हमले के बहाने क्या भारत में "डीप स्टेट" की साजिश रची जा रही है। विदेशी ताकतें कभी भारत की अर्थव्यवस्था पर हमले कर रही हैं, कभी मेडिकल सिस्टम को चरमराना चाहती हैं, कभी आंदोलनों और सामाजिक वैमनस्यता को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही हैं। कभी धर्म के बहाने, कभी सीएए और एनआरसी पर विरोधी ताकतों को भड़का करके वह भारत को अस्थिर करने का प्रयास कर रही हैं। इससे बांग्लादेश की तर्ज पर भारत में भी "डीप स्टेट" के प्रयास तेज होने की आशंका बढ़ गई है। 

इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि विदेशी ताकतें सीधे भारत की अर्थव्यवस्था पर हमले कर रही हैं। उन्होंने मोहरा बनाया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत स्तंभ बन चुके गौतम अडानी को... अडानी ग्रुप पर पहले अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडन बर्ग का हमला और फिर अब अमेरिकी न्याय विभाग का अडानी समेत उनके परिवार पर गंभीर आरोप लगाना और अगले ही दिन अडानी व उनके परिवार के खिलाफ कोई मामला नहीं होने की बात करना...और इन्हीं आरोपों की बदौलत अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट का दर्ज होना... यानि भारतीय अर्थव्यवस्था को तहस-नहस करने की खतरनाक साजिश रची गई। इतना ही  नहीं उन्हीं रिपोर्टों को आधार बनाकर लगातार संसद से सड़क तक विपक्षी पार्टियों का हंगामा करना ... क्या भारत में "डीप स्टेट" की साजिश का हिस्सा हो सकता है। क्या विपक्ष भी "डीप स्टेट" के विदेशी जाल में फंस चुका है?...ये ऐसे तमाम सवाल हैं जो मौजूदा परिस्थितियों और क्रमवत घट रही घटनाओं से स्वयं पैदा हो रहे हैं। इस पर विशेषज्ञ क्या कहते हैं आइये आपको बताते हैं।

क्या है डीप स्टेट 

विशेषज्ञों का कहना है कि कई विदेशी ताकतें दूसरे देशों में "डीप स्टेट" की कोशिशें लगातार जारी रखती हैं। "डीप स्टेट" अपने आप में अवैध नेटवर्क से स्थापित एक गुप्त सरकार होती है, जो सत्ता के खिलाफ अपने और विदेशी एजेंडे के मुताबिक काम करती है। सीधे शब्दों में कहें तो यह अपने ही देश व सरकार के खिलाफ साजिशों से जुड़ी होती है।  इसके लिए बकायदा कुछ लोगों को विदेश से फंडिंग तक होती है। "डीप स्टेट" का मकसद किसी देश की मौजूदा सरकार को अस्थिर करना व संबंधित देश के हालात को हर तरह से खराब करने की कोशिश करना होता है, वह आर्थिक, सामाजिक या गृहयुद्ध जैसे प्रयासों में से कुछ भी हो सकता है। ऐसा करके विदेशी ताकतें संबंधित देश में अपने प्रभाव वाले समूहों को बढ़ावा देती हैं। ताकि सबकुछ उनके मुताबिक हो सके। 

अडानी के बहाने देश पर हमला

 डॉ अभिषेक श्रीवास्तव, असिस्टेंट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय का कहना है कि भारत में डीप स्टेट करने का प्रयास आज से नहीं हो रहा, बल्कि यह 7-8 वर्षों से जारी है। विदेशी ताकतों को पता है कि अडानी सिर्फ एक उद्योगपति नहीं, बल्कि वह भारत की अर्थव्यवस्था के मजबूत स्तंभ हैं। इसलिए विदेशी ताकतें उन्हें टारगेट कर रही हैं। यह सिर्फ अडानी पर नहीं, बल्कि पूरे भारत पर हमला है। विपक्ष भी कहीं न कहीं उनकी चाल में फंसता दिख रहा है। अडानी के बहाने संसद को नहीं चलने देना, एक तरीके से जनहित के मुद्दों को रोका जा रहा है। जनकल्याण और आर्थिक प्रगति के कार्यों को रोका जा रहा है। ऐसा करके वित्तीय सुधारों के कार्यों को रोका जा रहा है। संसद नहीं चलने से जनता के करोड़ों रुपयों की बर्बादी हो रही है। यह भारत की प्रगति में भी बाधक बन रहा है। यह प्रयास बजट तक जारी रहने की आशंका है। क्योंकि यह बजट को भी डिरेल करने की कोशिश करेंगे। 

बांग्लादेश की तरह भारत में अस्थिरता की साजिश

डॉ अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा कि अभी आपने देखा होगा कि किस तरह से पड़ोसी बांग्लादेश में "डीप स्टेट" किया गया। वहां विपक्षी पार्टी को ताकतवर करके पूर्व पीएम शेख हसीना को अपदस्थ कराया गया। जैसा बांग्लादेश में हुआ, वैसे ही भारत में भी करने की ये कोशिश हो रही है। हालांकि भारत की जनता बहुत समझदार है। इसलिए भारत में वह संभव नहीं हो पा रहा। वह कोशिश तो बहुत कर रहे, लेकिन यहां अव्यवस्था नहीं फैल पा रही। मगर विदेशी ताकतें अपना पूरा प्रयास कर रही हैं कि भारत में भी अस्थिरता फैले। इसीलिए कभी अडानी पर, कभी बाबा रामदेव पर, कभी हमारी सेना पर, कभी रफैल पर, कभी हमारी वैक्सीन पर, कभी मेडिकल सिस्टम पर अटैक करके भारत की शक्ति को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। मगर इसमें उन्हें सफलता नहीं मिलेगी। क्योंकि भारत की जनता को कोई विदेशी ताकतें बरगला नहीं सकतीं। 

बाइडेन द्वारा बेटे हंटर को माफ करने और अडानी पर चुप्पी से बढ़ी आशंका

बता दें कि अभी 3 दिन पहले ही अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने बेटे हंटर बाइडेन को गंभीर अपराधों में क्षमादान कर दिया। बाइडेन ने बेटे हंटर को उसी अमेरिकी न्याय विभाग की रिपोर्ट को गलत और राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया है, जिस विभाग की रिपोर्ट को लेकर भारत में अडानी मामले पर विपक्ष संसद में हंगामा कर रहा है। ऐसे में बाइडेन का यह फैसला सवालों के घेरे में आ गया है। सवाल यह भी कि जिस अमेरिकी न्याय विभाग की रिपोर्ट को उस देश का राष्ट्रपति स्वयं सत्य नहीं मानता है, उसी विभाग की रिपोर्ट को किसी दूसरे देश के मामले में सही ठहरा कर वह कैसे थोप सकता है?…वह भी जब अमेरिकी न्याय विभाग अपने आरोपों के एक-दो दिन बाद ही अपने दावे से खुद मुकर जाता हो। अमेरिकी न्याय विभाग ने भारतीय उद्योगपति अडानी पर एक मामले में रिश्वत देने का आरोप लगाने के बाद  यह कहकर मुकर गया कि इस मामले में अडानी और उनके परिवार के सदस्य का नाम नहीं है।

बेटे हंटर को माफ करते राष्ट्रपति बाइडेन ने क्या कहा?

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने बेटे हंटर बाइडेन को ‘‘बिना शर्त माफी’’ का आदेश जारी करते हुए पूरी तरह से उनको क्षमादान कर दिया। बाइडेन ने कहा कि हंटर को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया, क्योंकि वह उनके बेटे हैं। बाइडेन ने रविवार रात कहा, ‘‘अपने पूरे करियर में मैंने एक ही सिद्धांत का पालन किया है: अमेरिकी लोगों को सच बताएं। वे निष्पक्ष होकर सोचेंगे। सच यह है कि मैं न्याय प्रणाली में विश्वास करता हूं, लेकिन मैं इससे जूझ चुका हूं और मुझे यह भी लगता है कि अनुभवहीन राजनीति ने इस प्रक्रिया को संक्रमित कर दिया है, जिससे न्याय का उपहास हुआ है। मैंने इस सप्ताहांत इस आशय का निर्णय लिया, ऐसे में इसमें देरी करने का कोई मतलब नहीं था।’’ यह कहते हुए बाइडेन ने अपने परिवार के सदस्यों के लाभ के लिए राष्ट्रपति पद की असाधारण शक्तियों का उपयोग नहीं करने के अपने पिछले वादों से भी पलट गए और बेटे हंटर को माफ कर दिया। जबकि हंटर बाइडेन को इस वर्ष की शुरुआत में संघीय बंदूक और कर आरोपों में दोषी ठहराया गया था। इसमें उन्हें 25 साल तक जेल की सजा हो सकती थी। 

बाइडेन ने न्याय विभाग की रिपोर्ट को बताया आधारहीन

राष्ट्रपति बाइडेन ने अपने देश के उसी न्याय विभाग को कठघरे में खड़ा कर दिया, जिसने भारतीय उद्योगपति अडानी पर आरोप लगाया है। बाइडेन ने कहा, ‘‘हंटर को पिछले 5 साल से तोड़ने की कोशिश की गई, जो लगातार हमलों और चुनिंदा अभियोजन के बावजूद शांत है। इतना ही नहीं उन्होंने मुझे भी इस बहाने तोड़ने की कोशिश की और यह मानने का कोई कारण नहीं है कि यह सब यहीं थम जाएगा। अब बहुत हो गया। आज, मैंने अपने बेटे हंटर के लिए क्षमादान पत्र पर हस्ताक्षर किए।’’ बेटे के खिलाफ मुकदमा राजनीति से प्रेरित था और ‘‘न्याय का उपहास’’ था।

बाइडेन ने कहा, ‘‘उसके मामलों में आरोप तभी लगे जब कांग्रेस में मेरे कई राजनीतिक विरोधियों ने उसे मुझ पर हमला करने और मेरे चुनाव का विरोध करने के लिए उकसाया।’ जब बाइडेन के अपने बेटे के मामले में न्याय विभाग की रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित और साजिश बता रहे हैं तो यह अडानी के मामले में साजिश भला कैसे नहीं हो सकती?...इस पर देश की जनता को विचार करना होगा। ताकि संसद की कार्यवाही को अवरुद्ध होने से रोका जा सके और जनता के करोड़ों रुपयों की बर्बादी होने से बचाया जा सके। 

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