Wednesday, January 15, 2025
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Explainer : क्या भारत के लिये सूख जाएंगे सस्ते तेल के रूसी कुएं, अमेरिका के सबसे आक्रामक प्रतिबंधों का क्या है तोड़?

Crude Oil : अमेरिका ने रूसी तेल सप्लायर्स और जहाजों पर ताजा प्रतिबंध लगाए हैं। इनमें से अधिकतर सप्लायर्स भारत और चीन को क्रूड ऑयल की सप्लाई करते हैं। ये अब तक के सबसे आक्रामक प्रतिबंध हैं।

Written By: Pawan Jayaswal
Published : Jan 15, 2025 12:19 IST, Updated : Jan 15, 2025 12:29 IST
क्रूड ऑयल
Image Source : FILE क्रूड ऑयल

रूस को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए अमेरिका ने एक बार फिर उस पर प्रतिबंध लगाए हैं। अपने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते में बाइडेन प्रशासन ने रूसी ऑयल प्रोड्यूसर्स Gazprom Neft और Surgutneftegas के साथ-साथ रूसी तेल का शिपमेंट करने वाले 183 जहाजों पर प्रतिबंध लगा दिया। इस तरह अमेरिका ने रूस के रेवेन्यू को चपत लगाने वाले कदम उठाए हैं। इन प्रतिबंधों के बाद भारतीय और चीनी रिफाइनरीज को अपने लिए नये सप्लायर्स खोजने पड़ सकते हैं। प्रतिबंधित किये गए अधिकांश टैकरों का उपयोग रूस के दो सबसे बड़े कस्टमर भारत और चीन को तेल भेजने के लिए किया जाता है। 

2 महीने तक नहीं है कोई चिंता

भारतीय रिफाइनरीज ने कथित तौर पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित ऑयल टैंकरों और संगठनों के साथ करना बंद कर दिया है। देश को दो महीने की विंड डाउन अवधि के दौरान रूसी क्रूड ऑयल की सप्लाई में व्यवधान की उम्मीद नहीं है। अमेरिका ने कुछ एनर्जी रिलेटेड ट्रांजेक्शंस को 12 मार्च तक खत्म करने की अनुमति दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत 10 जनवरी से पहले बुक किये गए रूसी तेल कार्गो को  प्रतिबंध मापदंडों के अनुरूप बंदरगाहों पर उतारने की अनुमति देगा। रिपोर्ट के अनुसार, अगले दो महीने कोई बड़ी समस्या का संकेत नहीं है, क्योंकि जिन जहाजों के ऑर्डर हैं, वे आते रहेंगे। इसके बाद ऑयल मार्केट और डिस्काउंट कैसे आकार लेता है, यह देखने वाली बात होगी। 

क्या भारत को अधिक डिस्काउंट ऑफर कर सकता है रूस?

रूस साल 2022 में जी-7 देशों द्वारा लगाए गए 60 डॉलर प्रति बैरल के प्राइस कैप को देखते हुए भारत को अधिक डिस्काउंट ऑफर कर सकता है, ताकि पश्चिमी टैंकरों और इंश्योरेंस का यूज किया जा सके। अगर भारत को किसी गैर-प्रतिबंधित संस्था से प्राइस कैप के नीचे रूसी कच्चा तेल मिलता है, तो यह एक अच्छी बात होगी। भारत यूएसए और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा क्रूड ऑयल कंज्यूमर है। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि रूस उन तक पहुंचने के तरीके खोजेगा। भारत कथित रूप से रूस की वोस्तोक ऑयल प्रोजेक्ट पर नए अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव की भी जांच कर रहा था। इस प्रोजेक्ट में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी है।

क्रूड ऑयल

Image Source : FILE
क्रूड ऑयल

भारत पर कैसे पड़ेगा प्रतिबंधों का असर?

प्रतिबंधों का प्रभाव दो महीने की विंड-डाउन अवधि खत्म होने के बाद ही महसूस किया जा सकता है। लेकिन तब भी तेल की सप्लाई का कोई मुद्दा नहीं होगा। क्योंकि पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक के पास 3 मिलियन बैरल प्रति दिन की अतिरिक्त क्षमता है। जबकि अमेरिका, कनाडा, ब्राजील और गुयाना जैसे गैर ओपेक सप्लायर्स भी आसानी से सप्लाई बढ़ा सकते हैं। मुख्य मुद्दा कीमत का हो सकता है। लेकिन कीमतों में इजाफा भी लंबे समय तक नहीं चलेगा। भारतीय रिफाइनरीज मिडिल ईस्ट के सप्लायर्स के साथ 2025/26 के एनुअल कॉन्ट्रैक्ट्स पर सप्लाई डील्स को अंतिम रूप देने के लिए बातचीत की ओर बढ़ रही हैं। वे उनसे अतिरिक्त सप्लाई मांग सकती हैं।

4 महीने के उच्च स्तर पर कीमतें

बुधवार को भी क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी देखने को मिली हैं। क्रूड ऑयल WTI 0.51 फीसदी के इजाफे के साथ 76.78 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड करता दिखा। वहीं, ब्रेंट ऑयल 0.41 फीसदी के इजाफे के साथ 80.23 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड करता दिखा। इस तरह क्रूड ऑयल की कीमतें 4 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं।

अब तक के सबसे आक्रामक प्रतिबंध

शुक्रवार को अमेरिकी ट्रेजरी द्वारा घोषित प्रतिबंध रूस के एनर्जी बिजनेस पर अब तक के सबसे आक्रामक प्रतिबंध हैं। अगर ये प्रतिबंध ट्रंप प्रशासन में भी लागू रहते हैं, तो इन उपायों से रूस के पेट्रोलियम निर्यात में काफी दिक्कतें आने की संभावना है। साल 2022 में जी-7 व पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों तथा प्राइस कैप के चलते रूसी तेल का व्यापार यूरोप से एशिया में शिफ्ट हो गया था।

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