आसामन छूती महंगाई से आम लोग परेशाान हैं। कई राज्यों में बहुत ज्यादा बारिश और बाढ़ से जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। इस बीच खाने-पीने के सामान से लेकर तमाम जरूरी सामान के दाम में बड़ा उछाल आ गया है। इसके चलते खुदरा महंगाई एक बार फिर 5% के पार जाने का अनुमान है। इस बीच एक अच्छी खबर आई है। ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि मोदी सरकार राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में आम चुनाव से पहले पेट्रोल-डीजल के दाम में बड़ी कटौती कर सकती है। यह कटौती 5 से 10 रुपये प्रति लीटर तक हो सकती है। जानकारों का कहना है कि अगले साल आम चुनाव है। इसको देखते हुए भी सरकार आम लोगों को राहत देने के लिए कदम उठा सकती है।
पेट्रोल और डीजल सस्ता होने के ये हैं दो कारण
- एक साल में 22% सस्ता हुआ क्रूड ऑयल
अगर पिछले एक साल के डेटा पर नजर डालें तो क्रूड ऑयल 22% से अधिक सस्ता हुआ है। आपको बता दें कि जुलाई, 2022 में क्रूड ऑयल की कीमत 98.62 डॉलर प्रति बैरल था। वहीं, जुलाई 2023 में यह 22% सस्ता होकर 80.58 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। वह भी तब जब क्रूड ऑयल के दाम में तेजी आई है। अगर फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई और जून की बात करें तो क्रूड ऑयल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल से नीचे रही है। हालांकि, इस बीच पेट्रोलियम कंपनियों की ओर से पेट्र्रोल और डीजल के दाम में कोई कटौती नहीं की गई। हालांकि, कई बार दाम में कटौती की मांग की गई है।
- पेट्रोलियम कंपनियों की नुकसान की भरपाई हुई
घरेलू बाजार में ऊंचे खुदरा मूल्य और विदेशी बाजारों में कच्चे तेल के दाम में गिरावट से पेट्रोलियम कंपनियों की घाटे की भरपाई हो गई है। इसके चलते चालू वित्त वर्ष में पेट्रोलियम कंपनियों को कम-से-कम एक लाख करोड़ रुपये का कर-पूर्व लाभ होने की उम्मीद है। हाल ही में क्रिसिल ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि चालू वित्त वर्ष में पेट्रोलियम विपणन कंपनियां (ओएमीसी) एक लाख करोड़ रुपये का परिचालन लाभ कमा सकती हैं। वित्त वर्ष 2016-17 से 2021-22 के दौरान पेट्रोलियम कंपनियों का औसत परिचालन लाभ 60,000 करोड़ रुपये रहा था। पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में तो यह 33,000 करोड़ रुपये के निचले स्तर पर आ गया था।
ईंधन की कीमतों में मई, 2022 से कोई बदलाव नहीं
आपको बता दें कि तेल कीमतों में मई, 2022 से कोई बदलाव नहीं हुआ है। मौजूदा समय में देश के अधिकांश राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये के पार और डीजल की कीमत 90 रुपये प्रति लीटर से ऊपर है। ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा कीमत पर पेट्रोलियम कंपनियों को करीब 10 रुपये प्रति लीटर का मुनाफा हो रहा है। अब जब कंपनियों का घाटा पट गया है और बंपर कमाई हुई है तो यह जरूरी हो गया है कि सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम में कटौती कर आम लोगों को राहत दें।
हरदीप सिंह पुरी ने दिए थे राहत के संकेत
हाल ही में पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहती हैं, तो तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटाने पर विचार करने की स्थिति में होंगी। उन्होंने कहा था कि सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने पिछली तिमाही में ‘ठीक’ प्रदर्शन किया और घाटे की भरपाई कर ली है। ऐसे में हम जैसे आगे बढ़ेंगे, हम देखेंगे कि क्या किया जा सकता है। आपको बता दें कि सरकार ने तीनों पेट्रोलियम कंपनियों को पेट्रोल, डीजल की कीमतों में दैनिक बदलाव करने पर पिछले साल से ही रोक लगाई हुई है।
कच्चे तेल के भाव में उछाल आने की आशंका नहीं
ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल अब कच्चे तेल के भाव में उछाल आने की आशंका नहीं है। वैश्विक धटनाक्रम पर नजर डालें तो कोई ऐसा कारण नहीं है जो कच्चे तेल की कीमत में आग लगा दें। कच्चे तेल का भाव 80 डॉलर के आसपास रहने की पूरी उम्मीद है। यह भारत के लिए अच्छी बात है। इससे पेट्रोलियम कंपनियों और सरकार को तेल की कीमतों में कमी करने में मदद मिलेगी।
इस तरह भारत में तय होती है ईंधन की कीमत
आपको बता दें कि भारत में पेट्रोल, डीजल, एलपीजी गैस जैसे पेट्रोलियम प्रोडक्ट की कीमत अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑयल और गैस के भाव, डॉलर के मुकाबले रुपया का भाव, टैक्स, ट्रांसपोर्टेशन खर्च, रिफाइनरी खर्च और पेट्रोल पंप डीलर के कमीशन को जोड़कर तय की जाती है। ?