झारखंड में अगले कुछ महीनों में विधानसभा के चुनाव हैं। चुनाव से पहले ही झारखंड में राजनीतिक उठा-पटक का खेला शुरू हो गया है। झारखंड के कैबिनेट मंत्री व पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने अपने बगावती रुख अब खुल कर दिखा दिए हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) में हेमंत सोरेन से नाराजगी के बीच चंपई दिल्ली आ पहुंचे हैं। दिल्ली से ही उन्होंने अपने दिल का दर्द सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर बयां किया है।
JMM में अपमान और तिरस्कार से आहत
एक्स पर लिखी गई लंबी पोस्ट पर पूर्व सीएम चंपई ने कहा कि वह झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) में हुए अपमान और तिरस्कार से आहत हैं। उन्हें अपमानित करके मुख्यमंत्री पद से हटाया गया है। चंपई द्वारा सीधे तौर पर हेमंत सोरेन पर निशाना साधने के बाद माना जा रहा है कि वह आज दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सदस्यता ग्रहण कर लेंगे। चंपई सोरेन के साथ 5 अन्य जेएमम के विधायक भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
क्या BJP को होगा फायदा?
ऐसे में कई सवाल उठते हैं कि चंपई के पाला बदलने से क्या बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनाव में फायदा होने वाला है? बीजेपी में आने से चंपई सोरेन को क्या लाभ मिलने वाला है? सूबे के कद्दावर नेता के जाने से जेएमएम को कितना नुकसान होगा? या फिर जेएमएम में अपमानित किए जाने के बाद चंपई अपना फायदा देखते हुए बीजेपी में शामिल हो रहे हैं।
कोल्हान टाइगर के नाम से जाने जाते हैं चंपई
चंपई सोरेन झारखंड के कोल्हान इलाके से आते हैं। उन्हें झारखंड में कोल्हान टाइगर के नाम से भी जाना जाता है। कोल्हान में विधानसभा की 14 और लोकसभा की 2 सीटें आती हैं। चंपई सोरेन कई बार के कोल्हान से विधायक हैं। सूबे में हेमंत सोरेन के बाद चंपई आदिवासी का बड़ा चेहरा हैं। चंपई सोरेन अगर बीजेपी में आए तो बीजेपी को एक कद्दावर आदिवासी नेता मिलेगा।
14 सीटों पर BJP को हो सकता है फायदा
कोल्हान टाइगर विधानसभा की 14 सीटों पर बीजेपी का फायदा कराएंगे। बीजेपी के लिए JMM पर परिवारवाद वाला नैरेटिव चिपकाना आसान हो जाएगा। चंपई सोरेन अगर JMM छोड़ते हैं तो झारखंड चुनाव से पहले बीजेपी को बहुत बड़ा बूस्ट मिलेगा।
CM नहीं बना सकती बीजेपी, जानें वजह
पार्टी बदलने से चंपई सोरेन को बीजेपी हेमंत सोरेन की तरह सीएम तो नहीं बना सकती लेकिन सीएम पद से हटाए जाने के बाद JMM में हो रही घुटन से वह मुक्त हो जाएंगे। बीजेपी चंपई सोरेन को इसलिए सीएम नहीं बना सकती क्योंकि राज्य में अर्जुन मुंडा और बाबूलाल मरांडी जैसे नेता पहले से ही मुख्यमंत्री बनने के प्रबल दावेदार हैं।
कोल्हान रीजन में JMM का आदिवासी वोट बीजेपी में खिसक जाएगा
चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने से जेएमएम को अब तक का सबसे बड़ा सियासी नुकसान होने वाला है। कोल्हान रीजन में JMM के वोट बैंक पर बड़ा असर पड़ेगा। यहां का आदिवासी वोट जेएमएम की तरफ न आकर बीजेपी की ओर खिसक जाएगा। आदिवासी समुदाय के बीच कोल्हान रीजन में चंपई सोरेन ही उनके नेता हैं।
समझे कोल्हान रीजन का सियासी समीकरण
बता दें कि झारखंड के सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम और पश्चिमी सिंहभूम इन तीन अहम जिलों को मिलाकर कोल्हान रीजन बनता है। यहां विधानसभा की 14 सीटें आती हैं। कोल्हान इलाके में चंपई सोरेन की पकड़ मजबूत है। 2019 के चुनावों में कोल्हान की 14 में 11 सीटें JMM ने जीती थी। कोल्हान की 2 सीटें कांग्रेस को मिली थीं। एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार ने जीती थी। 2019 के चुनाव में इस रीजन में बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था।
चंपई के स्वागत के लिए तैयार बैठी बीजेपी
कोल्हान का रिकॉर्ड ही वो वजह है कि बीजेपी चंपई सोरेन का स्वागत करने के लिए तैयार बैठी है। कोल्हान रीजन में मजबूत पकड़ के कारण चंपई सोरेन को 'कोल्हान टाइगर' कहा जाता है, लेकिन JMM पूरे आदिवासी वोट बैंक पर दिशोम गुरु यानी शिबू सोरेन और उनके परिवार के कब्जे का दंभ भरती है।