Thursday, December 26, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. Explainers
  3. Explainer: दक्षिण अफ्रीका में बढ़ेगा BRICS का कुनबा! इस सम्मेलन में होगा फैसला, जानिए भारत के लिए क्यों अहम है यह समिट?

Explainer: दक्षिण अफ्रीका में बढ़ेगा BRICS का कुनबा! इस सम्मेलन में होगा फैसला, जानिए भारत के लिए क्यों अहम है यह समिट?

दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स समिट आयोजित हो रही है। इसमें एशिया की दो बड़ी शक्तियां चीन और भारत भी शामिल हो रहे हैं। इस दौरान शी​ जिनपिंग और पीएम मोदी की संभावित मुलाकात पर दुनिया की नजर है। नए देशों को इस ग्रुप में शामिल करने पर भी समिट में निर्णय होगा।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published : Aug 22, 2023 12:57 IST, Updated : Aug 22, 2023 16:56 IST
दक्षिण अफ्रीका में...
Image Source : INDIA TV दक्षिण अफ्रीका में बढ़ेगा BRICS का कुनबा! इस पर समिट में होगा फैसला, जानिए भारत के लिए क्यों अहम है यह समिट?

BRICS Summit: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन के लिए भारत से प्रस्थान कर चुके हैं। यह 15वीं ब्रिक्स समिट दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में 22 अगस्त से 24 अगस्त तक आयोजित हो रही है। यह समिट एक प्रमुख राजनयिक भागीदारी का प्रतीक है। ऐसा इसलिए क्योंकि 2019 के बाद यह पहला व्यक्तिगत ब्रिक्स शिखर सम्मेलन होगा। BRICS ब्लॉक में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका आते हैं। यह दुनिया की 42 फीसदी आबादी और 27 फीसदी ग्लोबल जीडीपी का प्रतिनिधित्व करते हैं। यही कारण है कि ब्रिक्स की ख्याति दुनिया में बढ़ रही है। दुनिया के कई देशों की इस समिट पर नजर रहेगी। क्योंकि यह ​तेजी से विकास कर रहे विकासशील देशों का सबसे बड़ा मंच है।

इस साल BRICS की मेजबानी दक्षिण अफ्रीका के पास है, जिसमें अफ्रीकी देशों समेत 67 देशों को बैठक में आने का आमंत्रण मिला है। 30 देशों के नेता इस बैठक में शामिल होने की पुष्टि कर चुके हैं। शिखर सम्मेलन में भागीदारी और इसके परिणामों के कारण दुनिया का ध्यान इसकी तरफ है। ब्रिक्स समिट का पहला लक्ष्य इसका विस्तार करना है। माना जा रहा है कि इस समिट के मापदंडों के मुताबिक इसमें शामिल करने लायक देशों की पहचान ​की जाएगी। चीन की मंशा है कि इसमें ऐसे देशों को शामिल किया जाए जो यूरोपीय देशों खासकर अमेरिका के करीबी न हों। यही कारण है कि ईरान भी इस सम्मेलन में शामिल होना चाहता है।

भारत के लिए क्यों अहम है यह समिट

भारत के लिए यह समिट कई मायनों में अहम है। विदेश मामलों के जानकार डॉ. रहीस सिंह ने इंडिया टीवी डिजिटल को बताया कि ब्रिक्स का जो कॉन्सेप्ट है, उसमें भारत, दक्षिण अफ्रीका, चीन और रूस जैसे देश बिलकुल एकदूसरे के पूरक हैं। क्योंकि भारत सर्विस और नॉलेज में सबसे आगे है। चीन मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में अव्वल है। रूस एनर्जी और अर्फ्रीका एग्रीकल्चर में आगे है। ऐसे में ये चारों देश एक-दूसरे के पूरक हैं। 2010 में दक्षिण अफ्रीका को जोड़ा गया। जब 2008 में जब अमेरिकी बैंक धराशायी हो रहे थे। तब कहा गया था कि दुनिया की इकोनॉमी को आने वाले समय में एशिया लीड करेगा। ऐसे में भरत और चीन जैसी अर्थव्यवस्थाओं वाले इस मंच की ताकत भी दुनिया देख रही है।

क्या था BRICS का कॉन्सेप्ट? किन उद्देश्यों को लेकर हुई थी शुरुआत?

जिम ओ नील एक बड़े ​अर्थशास्त्री थे। उन्होंने 'ब्रिक' शब्द को ईजाद किया था। इसका उदृदेश्य था कि ग्लोबल इकोनॉमिक बिल्डिंग में ब्रिक निर्णायक भूमिका में रहेगा। दक्षिण अफ्रीका, रूस , चीन और भारत। इन चारों देशों की इकोनॉमी को बूस्ट करने के लिए इसका ईजाद हुआ था। इसमें भारत की भूमिका तगड़ी थी। क्योंकि भरत की इकोनॉमी तेजी से बढ़ रही थी। दुनिया भारत को देख रही थी। वहीं चीन भी तेजी ​से विकसित हो रहा था। 

जानिए भारत के लिए क्यों अहम है यह समिट?

Image Source : INDIA TV
जानिए भारत के लिए क्यों अहम है यह समिट?

ज्यादा देशों के जुड़ने पर क्या होगा नुकसान, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

विदेश मामलों के एक्सपर्ट रहीस सिंह ने बताया कि एलएसी के कारण जरूर थोड़ा अवरोध है पर आर्थिक रूवप से भारत और चीन ब्रिक्स के मंच पर एक हैं। क्योंकि दोनों के कारोबार में बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि जियो पॉलिटिक्स पर प्रति​स्पर्धा बनी हुई है।

एक्सपर्ट की राय: ब्रिक्स को ब्रिक्स ही बने रहने दें

कई देश इस 'ब्रिक्स' का हिस्सा बनना चाहते हैं। लेकिन कौनसा देश इसमें शामिल होगा या नहीं, यह तय करेंगे ब्रिक्स के पांच अहम देश। इनकी पूर्ण सहमति जब तक नहीं बनती, तब तक कोई नया देश मेंबर नहीं बन पाएगा। रहीस सिंह का मानना है कि 'ब्रिक्स' को बहुत सारे मेंबर कंट्री नहीं बनाना चाहिए। नहीं तो 'ब्रिक्स' का कॉन्सेप्ट ही खत्म हो जाएगा। ब्रिक्स को ब्रिक्स ही बने रहना चाहिए। 

जानिए भारत के लिए क्यों अहम है यह समिट?

Image Source : INDIA TV
जानिए भारत के लिए क्यों अहम है यह समिट?

ब्रिक्स में शामिल होना चाहता है ईरान

ब्रिक्स शेरपाओं की एक रिपोर्ट, जो समूह के भीतर चर्चा का नेतृत्व करती है, पिछले महीने विदेश मंत्रियों को सौंपी गई थी। यह रिपोर्ट शिखर सम्मेलन के दौरान नेताओं को प्रस्तुत की जाएगी। जिसके बाद विस्तार को अंतिम रूप दिया जाएगा। ईरान ब्रिक्स में शामिल होना चाहता है। ईरानी राष्ट्रपति ने पिछले सप्ताह पीएम मोदी के साथ चर्चा की थी। ईरान वैसे भी अमेरिका का दुश्मन है। वहीं दूसरी ओर चीन ने भी पिछले दिनों शिया देश ईरान और सुन्नी देश अरब के बीच सुलह और दोस्ती कराई थी। भारत के भी ईरान से पारंपरिक संबंध हैं।चाबहार पोर्ट और गैस पाइपलाइन के साथ ही ईरान के साथ हमारे परंपरागत कारोबारी रिश्ते भी रहे हैं। ऐसे में ईरान की ​ब्रिक्स में एंट्री होती है, तो कोई आश्चर्य नहीं। लेकिन अमेरिका की नजर इस पर बनी रहेगी।

सऊदी अरब, बांग्लादेश सहित ये देश भी होने चाहते हैं शामिल

ब्रिक्स में शामिल होने के लिए 20 से ज्यादा देशों ने दक्षिण अफ्रीका को अपनी रुचि दिखाई है। इनमें अल्जीरिया, अर्जेंटीना, बांग्लादेश, बहरीन, बेलारूस, बोलीविया, क्यूबा, मिस्र, इथियोपिया, होंडुरास, इंडोनेशिया, ईरान, कजाकिस्तान, कुवैत, नाइजीरिया, फिलिस्तीन, सऊदी अरब, सेनेगल, थाईलैंड, यूएई, वेनेजुएला और वियतनाम शामिल हैं। इस शिखर सम्मेलन में पर्याप्त अफ्रीकी प्रतिनिधित्व है, जो भारत और अफ्रीकी देशों के साथ संबंध बढ़ाने का अवसर बन सकता है।

BRICS में पाकिस्तान को भी शामिल करने की जुगत में है चीन? 

चीन ने शंघाई सहयोग समिट यानी एससीओ में भी पाकिस्तान को शामिल किया था। तब भारत ने ऐतराज जताया था। चूंकि पाकिस्तान की हालत पहले से ही कंंगाल है और यह संगठन तेजी से विकास कर रहे देशों का है। इसके बावजूद चीन कंगाल, बदहाल और राजनीतिक रूप से अस्थिर पाकिस्तान को BRICS में एंट्री कराने की कोशिश कर सकता है। उधर, पाकिस्तान भी इस ग्रुप में एंट्री के लिए छटपटा रहा है। दरअसल, पाकिस्तान कई अलग अलग मंचों से इस ग्रुप में शामिल होने की इच्छा जता चुका है। हालांकि आधिकारिक रूप से BRICS में शामिल होने के लिए उसने अभी तक आवेदन नहीं किया है, लेकिन पाकिस्तान का खास दोस्त चीन BRICS का अहम हिस्सा है। ऐसे में चीन फिर कोई उल्टा कदम उठा सकता है।

क्या पीएम मोदी और जिनपिंग का होगा सामना?

पीएम नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर रवाना हो चुके हैं। वहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, 'दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के निमंत्रण पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। मार्च में रूस की आधिकारिक राजकीय यात्रा के बाद यह शी जिनपिंग की 2023 की दूसरी इंटरनेशनल यात्रा होगी। यहां भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात संभव हो सकती है। ऐसे समय में जबकि चीन और भारत 'एलएसी' पर सैन्य स्तर की बातचीत कर रहे हैं और ​गलवान का टकराव भी हाल के वर्षों में हुआ है। इन सबके बीच चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग से पीएम मोदी की मुलाकात पर दुनिया की नजर है।

Also Read: 

रूस के लूना-25 मिशन फेल होने से चीन को भी लगा सदमा, जानिए क्या बोला 'ड्रैगन'?

70 साल बाद बंद होने जा रहा लंदन का ऐतिहासिक इंडिया क्लब, स्वतंत्रता के बाद से ही भारतीय प्रवासियों का था दूसरा घर

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें Explainers सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement