बच्चों को सही पोषण देने के चक्कर में ज्यादातर माता-पिता उन्हें बीमार बना रहे हैं। बच्चों को चॉलेट और मीठे की लत लगा रहे हैं। ये दोनों चीजें बच्चों को सेहतमंद रखना तो दूर और बीमार कर रही हैं। जी हां जिस Bournvita, Horlicks, Complan जैसे ड्रिक्स को मां ये सोचकर अपने बच्चों को पिला रही थीं, कि इससे बच्चे की लंबाई बढ़ेगी और सही शारीरिक विकास होगा, उनका बच्चे के स्वास्थ्य से कोई लेना देना नहीं है। ये सिर्फ स्वाद और मीठे ड्रिंक्स हैं। अब भारत सरकार ने Amazon, Flipkart और कई दूसरी ई-कॉमर्स कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि बोर्नविटा समेत कई दूसरे ड्रिक्स को 'हेल्थ ड्रिंक्स कैटेगरी' के अंतर्गत न बेजा जाए।
इस मामले को लेकर वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी की है। जिसमें राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) का हवाला दिया गया है। NCPCR ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि ये तमाम ड्रिक्स FSSAI और मॉन्डेलेज इंडिया फूड प्राइवेट लिमिटेड के तहत तय मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं। इस लिस्ट में बोर्नविटा समेत बच्चों को पिलाए जाने वाले कई ड्रिंक्स शामिल हैं। जिन्हें हेल्थ ड्रिंक कहकर बाजारों में बेचा जा रहा है।
डॉक्टर क्यों मानते हैं इन ड्रिंक्स को बीमारियों की जड़
शारदा हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ भुमेश त्यागी का कहना है कि Bournvita समेत मार्केट में बिकने वाले ऐसे ड्रिंक सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसकी वजह इन ड्रिंक्स में पाया जाने वाला हाई शुगर कंटेंट और दूसरे कई तरह के पदार्थ हैं। बॉर्नविटा समेत ऐसे ड्रिंक्स में चीनी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। इनमें आर्टिफिशियल फ्लेवर्स मिलाएं जाते हैं और कई तरह के अनहेल्दी इंग्रीडिएंट्स शामिल किए जाते हैं। इन ड्रिंक्स में न्यूट्रिशयन कम होते हैं और शुगर ज्यादा होती है। हालांकि इंग्रीडिएंट्स अलग-अलग ब्रांड के हिसाब से अलग हो सकते हैं, लेकिन ज्यादातर ड्रिंक्स में चीनी, कोको पाउडर, पाम ऑयल और मेल्ड किए गए एक्सट्रैक्ट्स शामिल होते हैं।
Bournvita जैसे ड्रिंक पीने से नुकसान
इन ड्रिक्स को लगातार और लंबे समय तक पीने से कई तरह की समस्याएं बच्चों में हो सकती हैं। जिसमें मोटापा, दांतों का खराब होना, क्रोनिक डिजीज का बढना, डायबिटीज का खतरा, दिमाग का सही विकास नहीं होना, फैटी लिवर की समस्या और इन प्रोडक्ट की लत लग जाने की समस्या हो सकती है।
भारत में कब आया बॉर्नविटा
आजादी के अगले साल यानि 1948 में बॉर्नविटा को भारत में पहली बार लॉन्च किया गया था। इस वक्त रविन्द्रनाथ टैगोर ने पहली बार बॉर्नविटा का एक एड किया था। बॉर्नविटा के ऐसे एड्स बनाए गए जिसमें टेस्ट, हेल्थ, इंटेलीजेंस और कंप्लीट फूड का दावा किया गया। इन्हीं एड्स को देखकर हर माता पिता को लगने लगा कि इससे अच्छा कोई और हेल्थ ड्रिंक उनके बच्चे के लिए हो ही नहीं सकता।
बॉर्नविटा ने कम कर दी है शुगर की मात्रा
पिछले साल भी बॉर्नविटा को लेकर एक शिकायत मिली थी, जिसके बाद कंपनी ने बॉर्नविटा में एडेड शुगर की मात्रा को कम कर दिया था। पहले बॉर्नविटा के 100 ग्राम में 37.4 ग्राम शुगर थी लेकिन शिकायत के बाद चीनी की मात्रा को घटाकर 32.2 ग्राम कर दिया है। हालांकि इतनी चीनी की मात्रा भी बच्चों की सेहत के लिए हानिकारक है।
बच्चों को पिलाएं घर में बने ड्रिक्स
डॉ भुमेश त्यागी का कहना है कि बच्चों के सही शारीरिक और दिमागी विकास के लिए उन्हें इस तरह के मीठे और सिर्फ प्रिजर्वेटिव वाले ड्रिक्स पिलाने की बजाए आप घर में तैयार किए ताजा फलों के जूस, ड्राई फ्रूट्स, फल, सीड्स, हरी सब्जियां, घी और साबुत अनाज खिलाएं। आप चाहें तो ड्राईफ्रूट्स का पाउडर बनाकर बच्चों के दूध में मिलाकर दे सकते हैं। मखाना, मूंगफली, बादाम और अखरोट को पीसकर बच्चों के लिए प्रोटीन पाउडर बना सकते हैं।