Joe Biden Israel Visit: इजराइल और हमास के बीच खूनी जंग जारी है। इजराइल लगातार गाजा पट्टी पर हमले कर रहा है। गाजा के एक बड़े अस्पताल पर हमले में तो 500 लोगों की जान चली गई है। इस खबर के बाद पूरे मिडिल ईस्ट में तनाव है। यह हमला अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की इजराइल यात्रा के ठीक पहले हुआ है। ऐसे में बाइडेन के लिए ये यात्रा अचानक से और चैलेंजिंग हो गई है। हालांकि इजराइल ने अस्पताल पर हमले का ठीकरा हमास पर ही फोड़ा है, लेकिन फिलीस्तनी राजदूत ने यूएन में इजराइल को ही इस हमले का कसूरवार बताया है। इन सबके बीच बड़ी बात यह है कि बाइडेन अपने दौरे के दौरान जॉर्डन में अरब नेताओं का शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले थे, वो सम्मेलन रद्द कर दिया गया है।
इजराइल पर गाजा पर हमलों के लिए मुस्लिम देश लगातार विरोध कर रहे हैं। ईरान ने तो गाजा पर हमले न रोकने पर इजराइल को परिणाम भुगतने की धमकी तक दे दी है। इन परेशानियों के बीच जो बाइडेन का इजराइल दौरा अमेरिका के लिए बहुत चैलेंजिंग हो गया है। देखना यह है कि बाइडेन के इस दौरे से जंग रुक सकती है या नहीं? क्या इजराइल गाजा पर हमले रोकेगा या नहीं? क्या अमेरिका अपनी कूटनीति से मुस्लिम देशों को गाजा मामले में एकतरफा राय बनाने से रोकने में सफल हो पाएगा या नहीं?
गाजा के निर्दोष नागरिकों जान आफत में
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कुछ ही घंटों में इजराइल पहुंचने वाले हैं। इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन दो बार इजराइल का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने दौरे की ब्रीफिंग बाइडेन को दी है। दरअसल, इजराइल पर हमास के अटैक के बाद जिस तरह से गाजा पर इजराइल ने खतरनाक हमले किए हैं, वो हमास से ज्यादा गाजा में रहने वाले निर्दोष नागरिकों के लिए दुखदायी हैं। उनकी बड़े पैमाने पर मौत हो रही है। क्योंकि हमास ने अपने ठिकाने ही ऐसी जगहों पर बना रखे हैं, जहां आसपास कोई अस्पताल, स्कूल या रिहाइशी इलाका हो। यही कारण है कि इजराइल के हमलों ने गाजा के निर्दोष लोगों के आम जनजीवन की कमर तोड़कर रख दी है।
अमेरिका ने इजराइल की सहायता के लिए क्यों भेजे दो जंगी बेड़े?
जब इजराइल पर हमास का बड़ा हमला हुआ तो अमेरिका को पता था कि इजराइल जोरदार पलटवार करेगा और गाजा में हालात बदतर होंगे। तब हो सकता है कि मुस्लिम देश इजराइल पर दबाव डालें या ईरान जैसे मुस्लिम देश हमला ही न कर दें। इसी कारण से अमेरिका ने पूरी दुनिया को दिखाया कि वह संकट की घड़ी में इजराइल के साथ खड़ा है। वह यह जताना चाहता है कि इजराइल पर हमले की कोई सोच भी न ले, दो जंगी बेड़े इजराइल की सहायता के लिए भेजकर अमेरिका ने खाड़ी के मुस्लिम देशों को यही संदेश दिया।
क्यों मुश्किलभरा है बाइडेन का दौरा?
गाजा के अस्पताल में धमाके से 500 लोगों की मौत के बाद से यह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की इजराइल यात्रा और भी मुश्किल हो गई है। राष्ट्रपति बाइडेन इस यात्रा के दौरान तेल अवीव में इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और जॉर्डन में अरब देशों के नेताओं से मिलते, लेकिन इससे पहले कि बाइडेन का विमान एयरफोर्स वन अमेरिका से उड़ान भरता, जॉर्डन की ओर से मीटिंग को रद्द कर दिया गया। गाजा के अस्पताल पर हुए हमले के विरोध में ऐसा हुआ है।
ऐसे मे बाइडेन के लिए इजराइल का ताकत के साथ पक्ष लेना उनकी साख के लिए परेशानी भरा हो सकता है, क्योंकि बाइडेन खुद को ऐसे वैश्विक नेता के तौर पर दिखाना चाहेंगे, जो दोनों पक्षों में ईमानदारी से समझौता करा सकता है। लेकिन जॉर्डन की मीटिंग का कैंसिल होना बाइडेन के लिए शर्मिंदगी भरा है। इसके अलावा यह फैसला दिखाता है कि मिडिल ईस्ट के नेताओं को बाइडेन पर भरोसा नहीं।
बाइडेन ने इजराइल दौरे से पहले इजराइल को क्यों दी थी ये चेतावनी?
इजराइल हमास जंग में बाइडेन इजराइल के तरफदार हैं, ये दुनिया जानती है। 7 अक्टूबर के हमास के इजराइल पर हमले के बाद 1300 इजराइली लोग मारे गए। इसे बाइडेन ने भयानक बुराई बताया था और कहा था कि हमास कायरों का झुंड है, इसका खात्मा होना चाहिए। लेकिन इजराइल ने जब गाजा पर हमास को खत्म करने के लिए हमले किए तो निर्दोष लोगों की जान भी जाने लगी। इजराइल तो पूरी गाजा पट्टी पर ही कब्जा जमाने के मूड में था, लेकिन ऐसे समय में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने सुर बदला और इजराइल को चेतावनी दी कि वह हमास पर कब्जा करने की कोशिश न करे, क्योंकि इससे हालात और बिगड़ सकते हैं। अब
इजराइल के साथ करीबी क्यों दिखा रहा अमेरिका?
बड़ा सवाल यह है कि अमेरिका इजराइल के प्रति एकजुटता क्यों दिखा रहा है। दरअसल, अमेरिका जानता है कि यहूदी देश इजराइल उसका पारंपरिक दोस्त है। दोस्ती निभाकर वह चीन और रूस जैसे देशों को संदेश देना चाहता है कि उसके दोस्तों के साथ अमेरिका हमेशा खड़ा है, क्योंकि यदि अमेरिका अपने पारंपरिक दोस्त देशों से इस समय करीबी नहीं दिखाएगा तो ये देश नए उभरते देश चीन के साथ खड़े होने लगेंगे। क्योंकि ईरान और सउदी अरब की दोस्ती चीन ने ही कराई है। ऐसे में वह मिडिल ईस्ट का नया मसीहा बनना चाहता है। ऐसे में इजराइल से हमदर्दी दिखाकर अमेरिका मित्र देशों में यह विश्वास बनाए रखना चाहता है कि वह अपने सहयोगी देशों के साथ मुसीबत में खड़ा रहता है।
आखिर क्या चाहता है अमेरिका?
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी की मानें तो अमेरिका और इजराइल हमास के विपरीत कानून के शासन के लिए खड़े हैं। अमेरिका चाहता है कि इजराइल गाजा के लिए मदद को अनुमति दे। इसके अलावा फंसे हुए अमेरिकी लोगों के लिए सुरक्षित रास्ता दे। सोमवार को इजरायली पीएम नेतन्याहू और अमेरिकी विदेश मंत्री के बीच लगभग 8 घंटे की बातचीत हुई। ब्लिंकन ने कहा कि इन लक्ष्यों की दिशा में एक अच्छी प्रगति हुई है। लेकिन अभी भी किसी बात पर सहमति नहीं बनी है।
युद्ध रोकने की कोशिश करेंगे बाइडेन
इजराइल के गाजा पर पलटवार में हमास आतंकी ठिाने तो नष्ट हुए हैं, लेकिन निर्दोष नागरिकों की जान जा रही है। ऐसी तबाही की तस्वीरें दुनिया देख रही हैं। इससे दुनिया के देशों की 'सिंपेथी' गाजा के लोगों के साथ जा सकती है। इसलिए बाइडेन इस जंग का कोई नया ऐसा रास्ता निकालना चाहेंगे जिससे इजराइल भी गाजा पर हमले बंद कर सके और हमास भी बंधकों को रिलीज कर सके। क्योंकि यदि ऐसा नहीं हुआ तो हो सकता है कि इजराइल और हमास की यह जंग दूसरे देशों तक फैल जाए और बड़ा युद्ध हो जाए। इसलिए वे इस संकट का समाधान निकालने का पूरा प्रयास करेंगे। हालांकि इसमें और दूसरे तकनीकी पहलू भी शामिल रहेंगे। लेकिन बड़ी बात यह है कि बाइडेन 50 वर्षों से इजरायल जाते रहे हैं और लगभग 40 वर्षों से नेतन्याहू को जानते हैं। दोनों के अच्छे संबंध हैं। ऐसे में बाइडेन इस संघर्ष को खत्म करने का हर प्रयास करेंगे। अब देखना यह है कि इस मुश्किल परिस्थिति में 80 साल के अनुभवी बाइडेन क्या रुख अपनाते हैं?