PM Narendra Modi Ukraine Visit: रूस और यूक्रेन के बीच जंग बढ़ती जा रही है। रूस और यूक्रेन दोनों ही देश एक दूसरे पर घातक हमले कर रहे हैं। जंग थमने के फिलहाल कोई आसार भी नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे वक्त में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन दौरे पर जा रहे हैं। यूक्रेन से पहले पीएम मोदी रूस भी गए थे। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि जंग के समय में भी भारत के संबंध रूस और यूक्रेन के साथ मजबूत बने हुए हैं। ऐसे में कई सवाल भी हैं, क्या पीएम मोदी के यूक्रेन जाने से जंग थम जाएगी? क्या रूस और यूक्रेन के बीच किसी तरह के समझौता होगा? अगर दोनों देशों के बीच कोई सहमति होती है तो उसमें पीएम मोदी की क्या भूमिका होगी। इन सवालों के जवाब तो समय के साथ मिलेंगे लेकिन चलिए आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं कि पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा क्यों इतनी खास है।
पीएम मोदी ने साफ किया रुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पोलैंड के दो दिवसीय दौरे पर हैं। पोलैंड के बाद पीएम मोदी यूक्रेन जाएंगे। इस बीच यूक्रेन यात्रा से पहले पीएम मोदी ने अपना रुख साफ कर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत अशांत क्षेत्र में शांति का समर्थन करता है। उन्होंने दोहराया कि ‘‘यह युद्ध का युग नहीं है’’ और किसी भी संघर्ष को कूटनीति और बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘भारत भगवान बुद्ध की धरती है। इसलिए भारत इस क्षेत्र में स्थायी शांति का समर्थक है। हमारा रुख बहुत स्पष्ट है - यह युद्ध का युग नहीं है। यह उन चुनौतियों के खिलाफ एक साथ आने का समय है जो मानवता को खतरे में डालती हैं। इसलिए, भारत कूटनीति और संवाद में विश्वास करता है।’’
क्या चाहता है भारत
वर्ष 1991 में यूक्रेन के स्वतंत्र होने के बाद से किसी भारतीय प्रधानमंत्री की इस देश की यह पहली यात्रा होगी। प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के निमंत्रण पर यूक्रेन की यात्रा पर जा रहे हैं। मोदी ने कहा कि वह यूक्रेन के नेता के साथ, संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर अपने विचार साझा करेंगे। मोदी की कीव यात्रा मॉस्को की उनकी यात्रा के लगभग छह सप्ताह बाद हो रही है। पीएम मोदी ने कहा, ‘‘आज का भारत सभी से जुड़ना चाहता है। आज का भारत सभी के विकास की बात करता है। आज का भारत सभी के साथ है और सभी के हितों के बारे में सोचता है।’’
संतुलन बनाने की कोशिश
पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा को संतुलन बनाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा सकता है। संदेश साफ है कि भारत रूस-यूक्रेन के बीच शांति वार्ता को लेकर भी अपना योगदान देना चाहता है। रूस भारत का सबसे बड़े सहयोगी देश है और यूक्रेन के साथ भी भारत के दोस्ताना संबंध रहे हैं। यह एक तरह से बड़ा मौका भी है और दुनिया भी इसे इसी नजरिए देख रही है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिकी उप विदेश मंत्री रिचर्ड आर वर्मा ने साफ कहा है पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा बेहद महत्वपूर्ण है।
यूक्रेन भी कर सकता है भरोसा
यूक्रेन भी इस बात को अच्छे से जानता है कि भारत ही एक ऐसा देश है, जिस पर वह मध्यस्थ के रूप में भरोसा कर सकता है। इसके अलावा दुनिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है, जो रूस और यूक्रेन पर एक समान प्रभाव डाल सके। भारत के रूस से अच्छे संबंध जगजाहिर हैं। अमेरिका भी भारत पर भरोसा कर सकता है, जो यूक्रेन का सबसे बड़ा समर्थक है। ऐसे में पीएम मोदी चाहें तो यूक्रेन में शांति में बड़ा योगदान दे सकते हैं। भारत की तरफ से भी यह कहा जा चुका है कि वह शांति समझौते की बातचीत का समर्थन करने के लिए तैयार है। 23 अगस्त को पीएम मोदी चौथी बार जेलेंस्की से मुलाकात करने वाले हैं। इसस पहले पीएम मोदी और जेलेंस्की की 3 बार मुलाकात हो चुकी है।
दोनों देशों के हितों पर चर्चा
रूस-यूक्रेन जंग के अलावा पीएम मोदी यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के साथ कई अन्य अहम मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे। दोनों नेता रक्षा और आर्थिक सहयोग के अलावा युद्ध के बाद यूक्रेन के पुनर्निर्माण में भारत की भूमिका पर भी चर्चा कर सकते हैं। तो ऐसे में पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा बेहद खास और अहम होने वाली है। वैसे पीएम मोदी की यह यात्रा इसलिए भी खास है, क्योंकि इसमें वो 10 घंटों की ट्रेन यात्रा करने वाले हैं।
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