Friday, March 14, 2025
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Explainer: ट्रेन हाईजैक की घटना के बाद सामने आया बलूच आर्मी का बदला रुख, जानिए क्या है समस्या की मूल जड़

बलूचिस्तान पकिस्तान का सबसे बड़ा सूबा है। पाकिस्तान की कुल भूमि का 43 प्रतिशत हिस्सा बलूचिस्तान में है। यह इलाका प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है बावजूद इसके यहां के लोगों के लिए कुछ भी नहीं बदला है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published : Mar 14, 2025 10:18 IST, Updated : Mar 14, 2025 10:18 IST
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी
Image Source : FILE बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी

Balochistan Liberation Army: विशेषज्ञों का कहना है कि ‘हिट-एंड-रन’ हमलों से लेकर इस सप्ताह जाफर एक्सप्रेस के अपहरण की घटना तक, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी एक ऐसे संगठन के रूप में सामने आई है जो सामरिक सटीकता के साथ दुस्साहसिक हमले कर सकती है। साल 2024 की शुरुआत से प्रतिबंधित संगठन के तेजी से विकसित हो रहे लक्ष्यों और रणनीतियों में यह बदलाव स्पष्ट है, जिसके बाद इसने प्रांत में सुरक्षा बलों, चीनी नागरिकों, नागरिकों, बलूचिस्तान में काम करने वाले अन्य प्रांतों के लोगों पर 18 से अधिक हमले अत्याधुनिक तरीके से किए हैं। 

ट्रेन को कर लिया हाईजैक

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के आतंकवादियों ने मंगलवार को गुडलार और पीरू कुनरी के पहाड़ी इलाकों के पास 440 यात्रियों को लेकर जा रही जाफर एक्सप्रेस पर घात लगाकर हमला किया था। बुधवार को सेना द्वारा सभी 33 आतंकवादियों को मार गिराने से पहले उन्होंने 21 यात्रियों और अर्धसैनिक बलों के 4 जवानों को मार डाला था। 

बलूच लोगों में अलगाव की भावना

पाकिस्तान की कुल भूमि का 43 प्रतिशत हिस्सा बलूचिस्तान में है। यहां संघर्ष के लिए कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, लेकिन बलूच लोगों में अलगाव और अभाव की अंतर्निहित भावना समस्या का मूल है। बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) के वरिष्ठ कार्यकर्ता मुहम्मद बंगश ने कहा, ‘‘गरीबी, विकास नहीं होने और जबरन गायब किए जाने की समस्या, बलूचिस्तान में लोगों को प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों से लाभ नहीं मिलना कठोर वास्तविकताएं हैं, जिनका समाधान खोजने में सरकारें लगातार विफल रही हैं।’’ 

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (सांकेतिक तस्वीर)

Image Source : FILE
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (सांकेतिक तस्वीर)

पहले भी हुए हैं विद्रोह

अलगाववादी, विद्रोही आंदोलन इस दक्षिण-पश्चिमी प्रांत के लिए कोई नई बात नहीं है। यहां सरकारों/सेना के बीच कम से कम चार बार संघर्ष दर्ज किए गए हैं, जिनमें से आखिरी संघर्ष 1973-1977 के बीच हुआ था। 2006 में बलाच मर्री द्वारा पुनः स्थापित की गई बीएलए ने 2017 से बड़े बदलाव किए हैं। राष्ट्रवादी नेता नवाब खैर बख्श मर्री के बेटे बलाच को 2007 में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने कथित तौर पर अफगानिस्तान में मार दिया था। उसके बाद बीएलए ने कुछ आदिवासी नेताओं के अनौपचारिक मार्गदर्शन में काम किया, जो सरकार से खुश नहीं थे।

2017 के बाद बढ़ी बीएलए की ताकत 

रक्षा विश्लेषक सैयद मुहम्मद अली ने कहा कि 2017 के बाद बीएलए एक शक्तिशाली ताकत बन गई, जब इसके दो कमांडरों, उस्ताद असलम, जिन्हें अचो के नाम से भी जाना जाता है, और बशीर जेब को उनके आदेशों की अवहेलना करने के लिए नेतृत्व द्वारा बाहर कर दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद दोनों ने अपना अलग गुट बना लिया। यही बीएलए है जो अब सक्रिय है और बशीर जेब द्वारा व्यवस्थित रूप से जिसे चलाया जा रहा है।’’ अचो को सुरक्षा बलों ने एक अभियान में मार गिराया था। 

लोगों से मिली है सहानुभूति 

बंगश का मानना ​​है कि बीएलए को आम लोगों से सहानुभूति मिली क्योंकि जेब एक मध्यम वर्गीय परिवार से था। ऐतिहासिक रूप से, इन संघर्षों का नेतृत्व राष्ट्रवादी आदिवासी नेताओं या सरदारों द्वारा किया जाता था, जिनके कबायली लोग उनके मुख्य सैनिक होते थे, लेकिन मौजूदा संघर्ष में ‘आम लोगों के नेतृत्व वाले विद्रोही समूह शामिल हैं, जिनकी कई सालों से सोच को प्रभावित किया गया है और वे राज्य/सुरक्षा बलों को अपना दुश्मन मानते हैं।’’ 

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी

Image Source : FILE
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी

जानें परवेज मुशर्रफ क्या किया था

कई लोग बलूचिस्तान में स्थिति खराब होने के लिए दिवंगत लेफ्टिनेंट जनरल परवेज मुशर्रफ को भी दोषी ठहराते हैं। जब 2005 में मुशर्रफ सत्ता में थे, तब एक महिला डॉक्टर शाजिया बलूच के साथ सुई इलाके में उस समय कथित तौर पर दुष्कर्म किया गया था जब वह अपने पति के साथ काम कर रही थी। बलूचिस्तान में पूर्व आईजी पुलिस चौधरी याकूब ने कहा, ‘‘कार्रवाई करने की मांग को लेकर बढ़ते विरोध के बावजूद, मुशर्रफ ने इनकार कर दिया और कहा कि पूरी घटना पाकिस्तान की सेना को शर्मसार करने के लिए गढ़ी गई है।’’ उन्होंने यह भी याद किया कि कैसे कबायली नेता और पूर्व राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री नवाब अकबर खान बुगती और उनके सहयोगियों को अगस्त 2006 में पहाड़ी गुफाओं में छुपकर मार दिया गया था। बुगती ने सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विद्रोह का नेतृत्व किया था। 

'बलूचिस्तान के लोगों के लिए कुछ नहीं बदला'

याकूब ने कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि उस घटना के बाद, बीएलए और मजबूत हो गया और उसने लोगों में गुस्सा और हताशा को भड़काकर तथा विदेशियों से प्राप्त वित्तीय और सामरिक समर्थन लेकर फायदा उठाया।’’ बीवाईसी के बंगश ने बताया कि चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजनाओं के माध्यम से बलूचिस्तान के लिए स्वर्णिम युग लाने के वादों के बावजूद, लोगों के लिए कुछ भी नहीं बदला है। (भाषा)

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