China News: दुनिया में अपनी विस्तारवादी नीति के कारण बदनाम चीन के बुरे दिन आ गए हैं। एक रिपोर्ट में जो चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, उससे चीन में कोहराम मच गया है। दरअसल, चीन के एक प्रोफेसर ने कहा है कि मार्च में ही देश की युवा बेरोजगारी दर 50 फीसदी के करीब पहुंच गई है। प्रोफेसर के इस दावे के बाद से ही चीन के सांख्यिकी ब्यूरो 'एनएसए' के आधिकारिक आंकड़ों पर बहस शुरू हो गई है। एनएसए की तरफ से कहा गया था कि 16 से 24 साल तक की उम्र के लोगों के लिए मार्च महीने की बेरोजगारी दर 19.7 फीसदी थी। मगर अब नए दावे के बाद सरकार के दावे पर सवाल खड़े हो गए हैं। इसी बीच चीन की इकोनॉमिक ग्रोथ भी अनुमान से कम ही रही है। पिछली तिमाही इसका गवाह है।
ये बेरोजगारी दर सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि किसी देश के लिए महामारी की तरह है। बेरोजगारी दर जितना ज्यादा होगी, देश की अर्थव्यवस्थ उतनी ही कमजोर होगी। बीजिंग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर झांग डंडान ने प्रतिष्ठित वित्तीय पत्रिका 'कैक्सिन' में एक ऑनलाइन लेख में लिखा है कि अगर 16 मिलियन नॉन स्टूडेंट्स घर पर 'लेटे हुए' हैं या अपने माता-पिता पर आश्रित हैं तो देश की बेरोजगारी दर 46.5 फीसदी तक हो सकती है।
कोहराम मचने के बाद आर्टिकल हटाया
प्रो. झांग यूनिवर्सिटी के नेशनल स्कूल ऑफ डेवलपमेंट में इकोनॉमिक्स के एसोसिएट प्रोफेसर हैं। उनका आर्टिकल, जो मूल रूप से सोमवार को प्रकाशित हुआ था, जिसे अब हटा दिया गया है। आधिकारिक युवा बेरोजगारी दर, जिसमें सक्रिय काम की तलाश करने वाले लोग शामिल हैं, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी की दूसरी तिमाही में स्पीड कम होने के बाद जून में रिकॉर्ड 21.3 फीसदी तक बढ़ गई। पॉलिसी बनाने वालों ने कोविड-19 महामारी के बाद से इकोनॉमी को स्थिर रखने के काफी प्रयास किए हैं।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सबसे ज्यादा बेरोजगारी
जिस तरह भारत की सबसे बड़ी ताकत उसका सर्विस सेक्टर है, उसी तरह चीन की सबसे बड़ी ताकत उसका मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर है। लेकिन प्रोफेसर झांग का जो रिसर्च आया है वो पूर्वी चीन में सूजौ और कुशान के मैन्युफैक्चरिंग सेंटर्स पर प्रकोप के प्रभाव पर केंद्रित था। उन्होंने लिखा कि मार्च तक वहां रोजगार कोरोना के पूर्व स्तर के केवल दो तिहाई तक ही पहुंच पाया। खास बात तो ये है कि जब तक कोविड का असर काफी फीका पड़ गया।
चीन में नौकरी ढूंढना हो गया मुश्किल!
चीन की माइक्रो ब्लॉगिंग साइट वीबो पर एक यूजर ने झांग के इस आर्टिकल की आलोचना की और उसे तथ्यों से परे बताया। जबकि कुछ और यूजर्स ने इस पर चर्चा की कि चीन में नौकरी ढूंढना अभी भी कितना कठिन है। एक वीबो पोस्ट के अनुसार, 'इतने सारे ग्रेजुएट छात्र नौकरियों की तलाश करने के बजाय पोस्ट ग्रेजुएशन या सिविल सेवा की परीक्षाओं में बैठने के लिए आते हैं। इसका कारण यही है कि उन्हें नौकरियां नहीं मिल पाती हैं।'
चीन: कोरोना महामारी के बाद भी पटरी पर नहीं आ पा रही इकोनॉमी
कोविड की महामारी के बाद चीन की अर्थव्यवस्था को पटरी पर वापस लाने की तमाम कोशिशें नाकामयाब रही हैं। जून की तिमाही में जरूर इकोनॉमी बढ़ी, पर अनुमान से कम ही रही। मौजूदा वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था सालाना आधार पर 6.3 फीसदी की गति से बढ़ी है। इकोनॉमी के आंकड़े को लेकर चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स ने बयान जारी कर कहा कि अर्थव्यवस्था में रिकवरी के अच्छे संकेत मिल रहे हैं।
चीन में आने वाले महीनों में और घटेगी जीडीपी की दर
चीन के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के आंकड़े सामने आए तो उसके बाद स्टॉक में भारी गिरावट नजर आई। जानकार कहते हैं कि आने वाले महीनों में चीन की जीडीपी की गति और कम होगी। चीन में उपभोक्ता मांग में कमी और अन्य अर्थव्यवस्थाओं में चीनी निर्यात की मांग में गिरावट के कारण महामारी के बाद की रिकवरी की गति कम हो गई है।
जीडीपी ग्रोथ अनुमान से 2.5 फीसदी कम
एएफपी के पोल एनालिस्ट ने 7.1 फीसदी की ग्रोथ का अनुमान लगाया था। पिछली तिमाही में चीन की जीडीपी ग्रोथ 4.5 फीसदी रही थी। जून तिमाही संदर्भ में, अर्थव्यवस्था साल के पहले तीन महीनों की तुलना में 0.8 फीसदी बढ़ी।
रक्षा जरूरतों पर बड़ा खर्च चीन की मजबूरी
वैश्विक रणनीति के दृष्टिकोण से देखा जाए तो चीन की सीमा दुनिया के सबसे ज्यादा देशों से मिलती है। चीन के लगभग सभी पड़ोसी देशों के साथ संबंध असामान्य हैं। दक्षिण चीन सागर के देशों के साथ तनातनी, जापान, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, यूरोप, नाटो संगठन सभी के साथ तनावपूर्ण संबंधों की वजह से चीन को अपना रक्षा बजट भी हमेशा 'हाईलेवल' का रखना पड़ता है। इकोनॉमी का बड़ा हिस्सा रक्षा जरूरतों पर खर्च होता है। इसके बावजूद चीन अपनी अकड़ में ही रहता है। चीन का रक्षा बजट 2023 के अनुसार 224.79 बिलियन डॉलर है।