Apple ने रूस में अपने ऐप स्टोर से 25 VPN ऐप्स को हटा दिया है। रूस की न्यूज एजेंसी Interfax की रिपोर्ट के मुताबिक, यह एक्शन लोगों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का मिसयूज करने से रोकने के लिए लिया गया है। रूस की सरकार ने एप्पल से Red Shield VPN, Le VPN, Proton VPN और Nord VPN जैसे ऐप्स को हटाने का आदेश जारी किया था। ये सभी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क सर्विस ऐप रूस में एप्पल ऐप स्टोर पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध नहीं है। हालांकि, रूसी न्यूज एजेंसी ने किसी VPN ऐप का नाम नहीं बताया है।
रिपोर्ट्स की मानें तो लाखों रूसी नागरिक सरकार से बचने के लिए VPN ऐप्स डाउनलोड किए थे। इस समय रूस की सरकार ने देश में 150 से ज्यादा VPN सर्विस को ब्लॉक कर दिया है। यही नहीं, रूस में कई विपक्षी मीडिया वेबसाइट को भी ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। इसके अलावा सरकार ने विदेशी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भी रूस में बैन कर दिया है। रूसी सरकार की यह कार्रवाई 2022 में शुरू हुए यूक्रेन युद्ध के बाद से किए गए हैं।
क्या होती है VPN सर्विस?
VPN यानी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जो कम्प्युटिंग डिवाइस और एक कम्प्युटर नेटवर्क के बीच सुरक्षित कनेक्शन स्थापित करती है। हालांकि, VPN सर्विस को एक्सेस करने के लिए भी असुरक्षित पब्लिक इंटरनेट का इस्तेमाल किया जाता है। डेडिकेटेड कम्युनिकेशन लाइन को सुरक्षित करने के लिए VPN एक अफोर्डेबल माध्यम होता है। यह टेक्नोलॉजी वर्चुअल प्वाइंट-टू-प्वाइंट कनेक्शन स्थापित करती है, जो मौजूदा नेटवर्क का ही इस्तेमाल करती है।
इस तरह होता है मिसयूज
VPN के जरिए सरकार द्वारा लगाए गए इंटरनेट सेंसर को बाईपास किया जा सकता है। यह एक वर्चुअल प्रॉक्सी सर्वर क्रिएट करती है, जिसके जरिए इंटरनेट तो एक्सेस किया जा सकता है, लेकिन उसमें किसी देश की सरकार या इंटरनेट सर्विस का प्रभाव नहीं होता है। आम भाषा में समझा जाए तो वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क के जरिए बिना किसी लोकल प्रतिबंध के इंटरनेट एक्सेस किया जा सकता है। VPN के जरिए यूजर्स उन ऐप्स या वेबसाइट को भी एक्सेस कर सकते हैं, जो उनके देश में या लोकल सरकार द्वारा बैन किया गया है।
VPN क्यों है उपयोगी?
वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) सर्विस का इस्तेमाल मुख्य तौर पर साइबर अटैक, फिशिंग आदि को रोकने के लिए किया जाता है। कोई भी आईटी कंपनी अपने संवेदनशील जानकारियों को छिपाने के लिए VPN सर्विस का इस्तेमाल करती हैं, ताकि साइबर अपराधियों को उनका एक्सेस आसानी से न मिल सके। NordVPN, OpenVPN, WireGuard जैसी VPN सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां एनक्रिप्टेड कम्युनिकेशन के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क सर्विस प्रदान करती है। हालांकि, कई यूजर्स इसका मिसयूज करने लगे हैं।
VPN को लेकर गलतफहमियां
यूजर्स के दिमाग में VPN को लेकर कई तरह की गलतफहमी भी हैं, जिनमें
- VPN का मतलब यह नहीं है कि कोई इंटरनेट को प्राइवेटली यूज कर सके।
- यूजर्स को VPN इस्तेमाल करने के बाद भी ट्रैक किया जा सकता है, चाहे यूजर्स अपना IP अड्रेस ही क्यों न छिपा ले। इसके लिए ट्रैकिंग कूकीज और डिवाइस फिंगरप्रिंटिंग जैसी टेक्नोलॉजी का सहारा लेना पड़ता है।
- VPN इस्तेमाल करने के बाद भी साइबर अटैक किया जा सकता है। यह आपको साइबर अटैक से इम्यून नहीं करता है। हालांकि, इसमें साइबर अटैक की संभावना रेगुलर इंटरनेट के मुकाबले कम होती है।
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