Tirupati stampede: आंध्र प्रदेश के तिरुपति में मची भगदड़ के कारण अब तक 6 लोगों की मौत हो गई है और करीब 40 लोग घायल हैं। इनमें से 4 लोगों की हालत नाजुक बनी हुई है। घायलों का इलाज तिरुपति शहर के 2 अस्पतालों रुइया अस्पताल और SVIMS अस्पताल में चल रहा है। इस हादसे को लेकर पीएम मोदी, सीएम चंद्रबाबू नायडू और राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने दुख प्रकट किया है। लेकिन तिरुपति में मची इस भगदड़ का कारण क्या था? प्रशासन ने भीड़ को कंट्रोल करने के लिए क्या तैयारियां की थीं? आखिर किस कारण तिरुपति में भगदड़ मच गई। आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब हमारी इस खबर में।
प्रशासन ने भीड़ के लिए क्या उपाय किए थे?
10, 11 और 12 जनवरी को वैकुंठ एकादशी उत्सव के उपलक्ष्य में TTD ने कुल 1 लाख 20 हजार टोकन देने का एलान किया। ये टोकन 9 जनवरी की सुबह 5 बजे से दिए जाने थे। लेकिन बुधवार 8 जनवरी की सुबह से ही टोकन पाने के लिए भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो गयी। टोकन वितरण के लिए कुल 9 केंद्र बनाए गए थे जहाँ 54 काउन्टर के जरिये टोकन दिया जाना था। 1 केंद्र को छोड़कर बाकी सभी काउंटर तिरुमला की पहाड़ी के नीचे तिरुपति टाउन में बने थे। सबसे पहले तिरुपति टाउन के जीवाकोना इलाके में जिला परिषद स्कूल में बने केंद्र से पुलिसकर्मियों और भक्तों के बीच बहस की खबर आई, सुबह से शाम तक कतार में जुड़ने में लिए खड़े लोगों का सब्र जवाब दे गया। भक्त जबरन Q लाइन में घुसने की कोशिश करने लगे लेकिन अतिरिक्त पुलिस फोर्स बुलाकर वहां स्तिथि को कंट्रोल कर लिया गया।
कब और कैसे मच गई भगदड़?
हालात काबू में आये ही थे तो रामा नायडू स्कूल में बने केंद्र से हालात बेकाबू होने की खबर आ गई। दरअसल, इसी केंद्र में सबसे ज्यादा भीड़ जमा हुई थी। पुलिस ने टोकन Q लाइन को बंद कर रखा था। अगले दिन सुबह 5 बजे यानी आज सुबह टोकन Q लाइन खुलनी थी लेकिन लोग एक दिन पहले मतलब बुधवार को ही जमा हो गए। ज्यादा भीड़ को देखते हुए पुलिस ने लाइन खोले जाने तक लोगों को पास में बने एक पार्क में बैठने को कहा। कुछ ही देर में वो पार्क खचाखच भर गया। पुलिस ने पार्क का गेट बंद कर दिया। शाम 7 बजे के करीब पार्क में दम घुटने के चलते एक महिला बेसुध हो गई। इस महिला के इलाज के लिए उसे पार्क से बाहर निकलाने का फैसला किया गया और एक पुलिस अधिकारी के कहने पर पार्क का गेट खोला गया, वहां मौजूद हजारों लोगों को लगा कि Q लाइन में भेजने के लिए पार्क का गेट खोला गया है और एक साथ सैंकड़ों लोग पार्क के गेट से बाहर निकलने की जद्दोजहद करने लगे इसी दौरान वहां भगदड़ मच गई।
पुलिस ने भगदड़ को कैसे संभाला?
भगदड़ मचते ही इसमें फंसे लोग खासकर महिलाओं का दम घुटने लगा और वे बेसुध होकर वहीं गिर गईं। जब तक दूसरे केंद्रों से पुलिस फोर्स यहां पहुंचती, तब तक हालात पूरी तरह बेकाबू हो गए और लोग एक दूसरे को कुचलते हुए पार्क से निकलकर Q लाइन की ओर दौड़ने लगे। इसी जगह पर सभी 6 लोगों की मौत हुई और 40 से ज्यादा लोग घायल हुए। साढ़े 7 से लेकर साढ़े 8 बजे तक इस केंद्र में अफरा तफरी मच गई। पुलिस को हालात को कंट्रोल में करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। घायलों को तुरंत पास के रुइया और SVIMC अस्पताल ले जाया गया इनमें से कुछ ने अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
पार्क में नहीं थी मूलभूत सुविधा
वैकुंठ एकादशी के अवसर पर हर साल ऐसी ही स्तिथि होती है। इलाके में बेरिकेडिंग करने के बाद लोगों को लाइन में खड़ा रहने दिया जाता है और जैसे ही Q लाइन खुलती हैं, एक-एक करके लोगों को टोकन दिया जाता है। इस बार बहुत ज्यादा भीड़ होने के चलते, पहली बार पुलिस ने लोगों को पार्क के अंदर भेज दिया और गेट बंद कर दिया, लेकिन वहां पर कोई मूलभूत व्यवस्था नहीं की गई। सुबह से शाम तक लोग पार्क में बंद थे। मेडिकल इमरजेंसी की वजह से जैसे ही पार्क का गेट खुला, वहां भगदड़ मच गई। बेकाबू भीड़ से श्रीनिवासम इलाके में बने केंद्र में भी सिचुवेशन आउट ऑफ कंट्रोल हुई लेकिन समय रहते पुलिस ने इसे कंट्रोल कर लिया।
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