Saturday, November 23, 2024
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अमेरिका की बढ़ेगी टेंशन, उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग से मिलेंगे रूसी राष्ट्रपति पुतिन, होगा सैन्य गठजोड़!

रूस अब उत्तर कोरिया से हथियार मांग रहा है। इससे यह फिर जाहिर हो रहा है कि रूस, चीन और उत्तर कोरिया का गठजोड़ तेजी से सक्रिय हो रहा है। जानिए रूस और उत्तर कोरिया की दोस्ती कितनी पुरानी है? क्यों है दोनों देशों को एकदूसरे पर भरोसा?

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: September 05, 2023 11:11 IST
अमेरिका की बढ़ेगी टेंशन, उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग से मिलेंगे रूसी राष्ट्रपति पुतिन, होगा सैन- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV अमेरिका की बढ़ेगी टेंशन, उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग से मिलेंगे रूसी राष्ट्रपति पुतिन, होगा सैन्य गठजोड़!

North Korea-Russia: उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग परमाणु मिसाइलों के परीक्षण को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं। किम जोंग ने ऐसी बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया है, जो जंग में किसी भी देश के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। उत्तर कोरिया की जंग की तैयारियों पर रूस की पहले से ही नजर है। यही कारण है कि रूस ने उत्तर कोरिया से हाल ही में सैन्य सहायता मांगी है। अब खबर है कि उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इसी महीने मुलाकात कर सकते हैं। सवाल यह है कि पुतिन को उत्तर कोरिया से हथियार मांगने की जरूरत क्यों पड़ी? दोनों देशों के बीच ऐसी कौनसी पुरानी दोस्ती है, जिसकी वजह से पुतिन उत्तर कोरिया पर पूरा भरोसा करते हैं और आज हथियार मांग रहे हैं। पुतिन का उत्तर कोरिया से हथियार मांगना इस बात को भी और पुष्ट कर रहा है कि रूस, उत्तर कोरिया और चीन का गठजोड़ तेजी से सक्रिय हो रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह मुलाकात रूस में होगी और इस बैठक में हथियार सौदे को लेकर बातचीत होगी। रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर कोरिया, रूस को यूक्रेन युद्ध के लिए हथियार सप्लाई कर सकता है। यह रिपोर्ट ऐसे वक्त आईं हैं, जब अमेरिका ने बीते हफ्ते ही रूस को उत्तर कोरिया से गुप्त बातचीत को लेकर चेतावनी दी थी। यदि उत्तर कोरिया और रूस के बीच कोई सैन्य गठजोड़ होता है, तो बड़ा आश्चर्य नहीं होना चाहिए। हालांकि उत्तर कोरिया से रूस को यदि हथियारों की सप्लाई होती है तो ऐसे में अमेरिका और पश्चिमी देशों की टेंशन बढ़ जाएगी। वहीं यह जंग और खतरनाक हो जाएगी।

'मिसाइल किंग' उत्तर कोरिया से रूस खरीद सकता है लंबी दूरी की मिसाइलें

अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता एड्रियन वाटसन ने कहा कि 'अमेरिका पहले ही ये सार्वजनिक रूप से चेतावनी दे चुका है कि डीपीआरके और रूस के बीच हथियार डील को लेकर बातचीत चल रही है। दरअसल, रूस लंबी दूरी की मिसाइलें उत्तर कोरिया से खरीद सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर कोरिया भी इस डील को लेकर उत्सुक है। यही वजह है कि उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन, जो आमतौर पर देश से बाहर नहीं जाते हैं, वह इस महीने रूस का दौरा कर सकते हैं। 

वैगनर ग्रुप के लिए पहले भी खरीदे गए थे हथियार

अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उत्तर कोरिया ने बीते साल भी रूस को रॉकेट और मिसाइल की सप्लाई की है। जिनका इस्तेमाल वैगनर ग्रुप द्वारा किया गया था। रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई सोइगु ने भी बीते महीने उत्तर कोरिया का दौरा किया था। बीते हफ्ते संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया और जापान ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि कोई भी डील जो रूस और उत्तर कोरिया के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाती है तो उसे सुरक्षा परिषद प्रस्ताव  का उल्लंघन माना जाएगा। हैरत की बात यह है कि रूस ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। 

सक्रिय हो रहा रूस, उत्तर कोरिया और चीन का गुट

अमेरिका और पश्चिमी देशों की काट में रूस, चीन और उत्तर कोरिया का गुट अब सक्रिय हो रहा है। हाल ही में खबरें आईं कि चीन के सहयोग के लिए रूसी जंगी जहाज हिंद प्रशांत क्षेत्र में नजर आए। चीन के जहाजों के साथ रूसी जहाजों ने भी कई हजार किलोमीटर की गश्ती की और इस इलाके में अपना अघोषित दबदबा दिखाया। रूसी सहयोग से इतर, चीन भी अब यूक्रेन से जंग के बीच रूस का औपचारिक रूप से समर्थन करने लगा है। पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रूस यात्रा, फिर चीन के रक्षामंत्री की रूस यात्रा से यह स्पष्ट हो गया है कि चीन अब रूस के पूरी तरह सपोर्ट में आ गया है। इस तरह उत्तर कोरिया, चीन और रूस का एक गठजोड़ तेजी से विश्व में उभर रहा है।

जानिए रूस और उत्तर कोरिया की दोस्ती का क्या है इतिहास?

उत्तर कोरिया और रूस की दोस्ती कोई आज की नहीं है। बल्कि पिछली सदी के 60 के दशक से 90 के दशक तक शीत युद्ध चला। तब उत्तर कोरिया को बनाने वाला ही रूस (तब सोवियत संघ) था। सोवियत संघ उत्तर कोरिया का समर्थक था, जो कि समाजवादी देश था। वहीं दक्षिण कोरिया का समर्थक अमेरिका था, जो कि पूंजीवादी देश था। उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया की लड़ाई के बहाने अमेरिका और सोवियत संघ आमने सामने थे। यह वो समय था जब ताकतवर सोवियत संघ पूरी तरह उत्तर कोरिया के साथ खड़ा था। आज वक्त बदल गया है। 1990 में सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस बना। रूस और उत्तर कोरिया के संबंधों के इतिहास को देखते हुए आज रूसी राष्ट्रपति पुतिन जंग के बीच उत्तर कोरिया से हथियारों की सैन्य सहायता मांग रहे हैं, तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। 

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