China on America: ताइवान के उपराष्ट्रपति ने हाल ही में चीन का दौरा किया। उसके बाद से ही चीन अमेरिका पर भड़का हुआ है। अमेरिका को बोलने का मौका उसे तब मिला, जब चीन के रक्षामंत्री रूस और बेलारूस की यात्रा पर गए। चीनी रक्ष मंत्रालय ने अमेरिका को धमकीभरे लहजे में कहा है कि ताइवान के मामले में अमेरिका आग के साथ खेल रहा है। वहीं चीनी रक्षामंत्री ने कहा कि ताइवान पर डोरे डालकर चीन को काबू में रखने की अमेरिका की कोशिश सफल नहीं होने वाली है।
बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगा चीन: चीनी रक्षामंत्री
अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर मॉस्को कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू ने कहा कि 'ताइवान का इस्तेमाल करके चीन को काबू करने की कोई भी कोशिश विफल होगी। ली शांगफू ने ये भी कहा कि ताइवान का चीन की मुख्य भूमि से मिलना अपरिहार्य है और इसे टाला नहीं जा सकता। चीनी रक्षा मंत्री ने कहा कि ताइवान चीन का आंतरिक मामला है और इसमें कोई भी बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं है।'
पुतिन ने चीन के सुर में मिलाया सुर
ली शांगफू ने अपने बयान में कहा कि 'ताइवान को लेकर आग से खेलना और ताइवान की मदद से चीन को काबू करने की कोई भी कोशिश निसंदेह असफल होगी।' यूक्रेन युद्ध के बीच मॉस्को में दिए गए चीनी रक्षा मंत्री के इस बयान के बड़े मतलब निकाले जा रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी चीन का समर्थन किया है और अमेरिका पर वैश्विक संघर्षों को भड़काने का आरोप लगाया। पुतिन ने अमेरिका पर यूक्रेन की मदद का भी आरोप लगाया।
विलियम लाई के अमेरिका दौरे से बढ़ा तनाव
वैसे तो चीन ताइवान मामले में अमेरिका से पहले से ही खफा है। लेकिन, विलियम लाई, ताइवान के उपराष्ट्रपति हैं और आगामी राष्ट्रपति चुनाव में ताइवान के राष्ट्रपति बनने की रेस में प्रमुख उम्मीदवार हैं। विलियम लाई ने हाल ही में पराग्वे का दौरा किया और पराग्वे जाते हुए वह अमेरिका में रुके। जिसे लेकर चीन की भौंहे चढ़ी हुई है। चीन ने विलियम लाई को लेकर कहा है कि वह बार-बार परेशानी खड़ी करते हैं।
क्या है वन चाइना पॉलिसी?
चीन हमेशा से ही ताइवान को एक अलग देश नहीं, बल्कि अपने ही देश का एक स्वायत्त हिस्सा मानता रहा है। वो ताइवान को अपना एक प्रांत बताता है और दुनिया से यह कहता है कि 'वन चाइना पॉलिसी' को सभी मानें। यही वन चाइना पॉलिसी है। चीन का मानना है जो देश ताइवान के साथ कूटनीतिक रिलेशन रखना चाहते हैं उन्हें रिपब्लिक ऑफ चाइना से सम्बंध तोड़ने होंगे।
...तो किस बात का है झगड़ा?
सामान्य शब्दों में कहें तो वन चाइना पॉलिसी का मतलब चीन की एक ऐसी नीति से है, जिसके मुताबिक 'चीन' नाम का सिर्फ एक ही राष्ट्र है और ताइवान कोई अलग देश नहीं, बल्कि चीन का ही एक प्रांत है। चीन का मानना है कि ताइवान भी हांगकांग और मकाऊ की तरह चीन के अधिकार क्षेत्र में आता है, लेकिन ताइवान और चीन के बीच झगड़ा इस बात का है कि ताइवान चीन की इस नीति को नहीं मानता है और स्वयं को स्वतंत्र घोषित करता है।
ताइवान है चीन की दुखती रग, कभी भी हो जाता है 'दर्द'
हाल के समय में कई बार ताइवान के मुद्दे पर चीन और अमेरिका में तनातनी बढ़ी है। दरअसल, ताइवान को लेकर चीन 'वन चाइना पॉलिसी' पर चलता है और वह यह चाहता है कि इस पॉलिसी को दुनिया के देश मानें। हालांकि अमेरिका इसे लेकर बयान बदलते रहता है। पिछले साल अमेरिकी प्रतिनिधि ने ताइवान का दौरा किया था। तब चीन ने धमकी दे डाली थी, लेकिन धमकी के बावजूद अमेरिकी प्रतिनिधि नैंसी पेलोसी ने ताइवान दौरा किया था।इसके बाद चीन आगबबूला हो गया था और ताइवान के पास सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी थी। अब एक बार फिर ताइवान के उपराष्ट्रपति की अमेरिका यात्रा पर चीन भड़क गया है। इसी बीच चीनी रक्षामंत्री की रूस यात्रा के दौरान चीन और रूस दोनों ने मिलकर अपने दुश्मन नंबर एक अमेरिका पर ताइवान को लेकर अपनी भड़ास निकाली है।
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