नई दिल्ली: पहचान छिपाकर किसी महिला से शादी करने या विवाह, प्रमोशन और नौकरी के झूठे वादे की आड़ में यौन संबंध बनाने पर 10 साल तक की कैद हो सकती है। मोदी सरकार ने शुक्रवार को संसद में एक बिल पेश किया, जिसमें इन अपराधों से निपटने के लिए पहली बार एक विशिष्ट प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 1860 की भारतीय दंड संहिता (IPC) को बदलने के लिए लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता (BNS) विधेयक पेश किया और कहा कि इसमें महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित प्रावधानों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
‘बिल में कई सामाजिक समस्याओं का समाधान’
अमित शाह ने कहा, ‘इस विधेयक में महिलाओं के खिलाफ अपराध और उनके सामने आने वाली कई सामाजिक समस्याओं का समाधान किया गया है। शादी, रोजगार, प्रमोशन का वादा और झूठी पहचान की आड़ में महिलाओं के साथ संबंध बनाना पहली बार अपराध की श्रेणी में आएगा।’ शादी का झांसा देकर रेप का दावा करने वाली महिलाओं के मामलों से अदालतें निपटती हैं, लेकिन IPC में इसके लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है। इस विधेयक की अब एक स्थायी समिति द्वारा जांच की जाएगी। विधेयक में कहा गया है, ‘जो कोई भी, धोखे से या बिना विवाह के इरादे से किसी महिला से शादी करने का वादा करता है और उसके साथ यौन संबंध बनाता है, तो यह यौन संबंध रेप के अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, लेकिन अब इसके लिए 10 साल तक की कैद की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।’
‘झूठ के सहारे ली गई सहमति स्वैच्छिक नहीं’
फौजदारी मामलों की वरिष्ठ वकील शिल्पी जैन ने कहा कि यह प्रावधान लंबे समय से लंबित था और इस तरह के प्रावधान की अनुपस्थिति के कारण, मामलों को अपराध नहीं माना जाता था और दोनों पक्षों की तरफ से कई व्याख्या के विकल्प खुले थे। जैन ने कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि ‘पहचान छिपाकर शादी करने’ के विशिष्ट प्रावधान को झूठे नामों के तहत अंतरधार्मिक विवाह के मामलों में लक्षित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यहां मुख्य बात यह है कि झूठे के सहारे ली गई पीड़िता की सहमति को स्वैच्छिक नहीं कहा जा सकता। जैन ने दावा किया, ‘हमारे देश में पुरुषों द्वारा महिलाओं का शोषण किया जा रहा है, जो उनसे शादी का वादा कर यौन संबंध बनाते हैं और अगर वादा करते समय पुरुषों का शादी करने का कोई इरादा नहीं था, तो यह एक अपराध है।’
जिंदगी भर जेल में सड़ेंगे गैंगरेप के दोषी
जैन ने यह भी कहा कि इस प्रावधान में शादी के झूठे वादे को नौकरी या प्रमोशन के वादे के साथ जोड़ना आगे बढ़ने का सही तरीका नहीं हो सकता है। प्रस्तावित विधेयक में ताक-झांक के अपराध के लिए भी 3 से 7 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। गृह मंत्री ने कहा कि त्वरित न्याय प्रदान करने और लोगों की समकालीन जरूरतों एवं आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए एक कानूनी प्रणाली बनाने के लिए ये बदलाव पेश किए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा होगी। 18 साल से कम उम्र की लड़कियों से रेप के मामले में मृत्युदंड की सजा निर्धारित की गई है।’
रेप का दोषी पाए जाने पर होगी कठोर सजा
विधेयक में कहा गया है कि हत्या के अपराध के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा होगी। विधेयक के अनुसार, यदि किसी महिला की रेप के बाद मृत्यु हो जाती है या इसके कारण महिला मरणासन्न स्थिति में पहुंच जाती है, तो दोषी को कठोर कारावास की सजा दी जाएगी, जिसकी अवधि 20 साल से कम नहीं होगी और इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। विधेयक के मुताबिक, 12 साल से कम उम्र की लड़की के साथ रेप के दोषी को कठोर कारावास की सजा दी जाएगी, जिसकी अवधि 20 वर्ष से कम नहीं होगी और इसे व्यक्ति के शेष जीवन तक कारावास की सजा तक बढ़ाया जा सकता है।’ (भाषा)