एकता कपूर के सुपरनेचुरल सीरियल 'नागिन' के पहले सीज़न में मयूरी का किरदार निभाने वाली मधुरा नाइक ने पिछले साल अपनी बहन और बहनोई को खो दिया था। अभिनेत्री की बहन और बहनोई की हमास के आतंकी हमले में बेरहमी से हत्या कर दी गई। इस घटना को अब 1 साल गुजर गया है, लेकिन अब तक मधुरा और उनका परिवार इस दर्द से बाहर नहीं निकल सका है। मधुरा ने इजराइल में हमास आतंकवादियों द्वारा अपनी बहन-बहनोई की बेरहमी से हत्या को याद करते हुए इसे अपनी जिंदगी का 'सबसे काला दिन' बताया। हाल ही में नई दिल्ली स्थित इजरायली दूतावास में 7 अक्टूबर के हमलों के एक साल होने पर एक इवेंट आयोजित किया गया था, जहां एक्ट्रेस ने आतंकी हमले में अपने परिवार के दो अहम सदस्यों को खोने का दर्द जाहिर किया।
मधुरा नाइक को याद आया 7 अक्टूबर 2023 का काला दिन
अभिनेत्री ने यह भी खुलासा किया कि वह भारतीय मूल की यहूदी हैं और कैसे उन्होंने 2023 में हुए हमले में गोलीबारी में अपनी चचेरी बहन और बहनोई को खो दिया था। मधुरा ने कहा- 'हम यहूदी धर्म का पालन करते हैं लेकिन इसके साथ ही हमने हिंदू परंपराओं को भी अपना लिया है, जिससे यह साबित होता है कि यहूदी हमेशा क्रॉस कल्चर्स को अपनाने के लिए खुले थे और नए वातावरण में बहुत अच्छी तरह से घुल-मिल जाते थे। मेरी दादी 14वीं संतान थीं, उनके 13 भाई-बहन 70 के दशक में इजराइल वापस चले गए। जहा वे अपने साथी यहूदियों के साथ अपनी मातृभूमि में वापस फले-फूले। यह सिर्फ अपनेपन की भावना से कहीं अधिक था। यह उनके लिए घर था, लेकिन दुर्भाग्य से 7 अक्टूबर का दिन मेरे परिवार के लिए सबसे काला दिन था।''
7 अक्टूबर को हुए हमले में बहन-बहनोई को खोया
मधुरा आगे कहती हैं- 'वे 7 अक्टूबर के पीड़ित थे। मैंने अपनी फर्स्ट कजिन और उसके पति को इज़राइल के सेडरोट में गोलीबारी में खो दिया। उनकी छह और तीन साल की दो बेटियों के सामने बेरहमी से हत्या कर दी गई। इजरायली पुलिस द्वारा बचाए जाने से पहले छह साल की बच्ची ने आखिरी शब्द कहे, क्या आप इज़रायली पुलिस हैं? कृपया मेरे बगल वाले बच्चे को बचाएं।'
आतंकवाद किसी की जाति या धर्म नहीं देखता- मधुरा
अभिनेत्री ने कहा कि नफरत आतंकवाद को जन्म देती है और यह कोई धर्म, नस्ल या लिंग नहीं जानता। "कल्पना कीजिए कि एक छह साल की बच्ची को अपनी ही मां और अपने पिता की हत्या का अनुभव करना पड़ा और फिर भी उसे पता था कि उसे अपने बगल के तीन साल के बच्चे को बचाना है। उन्हें इजरायली पुलिस ने कुछ घंटों तक चली क्रूर गोलीबारी के बाद बचाया। इस बचाव के दौरान एक इजरायली पुलिसकर्मी बुरी तरह घायल हो गया। इस घटना ने मेरे परिवार को तोड़ दिया ऐसी चीजें जिन्हें हम कभी भी नहीं भूल पाएंगे। इसके अलावा, इस गोलीबारी के दौरान, एक अरब मुस्लिम व्यक्ति ने मेरी बहन और बच्चों को गोलीबारी से बचाने की कोशिश की, लेकिन उसके भाग्य के अनुसार, उन्होंने उसके धर्म की परवाह किए बिना उसे भी मार डाला । वह उनमें से एक था, एक अरब मुस्लिम व्यक्ति। इससे पता चलता है कि आतंकवाद कोई धर्म, या जाति, या लिंग, या उम्र नहीं जानता।''