रामानंद सागर की रामायण में राम की भूमिका निभाने वाले एक्टर अरुण गोविल इन दिनों लाइमलाइट में हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी जिंदगी से जुड़े कई खुलासे किए हैं। अभिनेता ने सोशल मीडिया पर कई सवाल जवाब में बताया कि श्रीराम के किरदार को जीवंत बनाने के लिए किस तरह की तैयारी की थी और इस इमेज की वजह से उनकी जिंदगी में कितना बदलाव आया था।
सवाल- आपका योगदान अभिनय जगत में कमाल है, खासकर रामायण में, लेकिन आपको रामायण के लिए भी किसी पुरस्कार से सम्मानित नहीं किया गया...?
जवाब- चाहे कोई राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार, मुझे आज तक किसी सरकार ने कोई सम्मान नहीं दिया है. मैं उत्तर प्रदेश से हूँ, लेकिन उस सरकार ने भी मुझे आज तक कोई सम्मान नहीं दिया. और यहाँ तक कि मैं पचास साल से मुंबई में हूँ, लेकिन महाराष्ट्र की सरकार ने भी कोई सम्मान नहीं दिया।
सवाल - श्रीराम के किरदार को जीवंत बनाने के लिए किस तरह की तैयारी आपको करनी पड़ी थी?
जवाब - मैंने कोई फिल्म नहीं देखी. अपने घरों में उनकी जो तस्वीरें हैं, वही देखी थीं. उनके तमाम गुणों के आधार पर उनकी कल्पना की थी. शूटिंग से पूर्व हमने राम के लुक में फोटो निकाली यह देखने के लिए कि हम कैसे दिखते हैं।
सवाल - ट्विटर पर आपकी उपस्थिति से आपके प्रशंसक बेहद प्रसन्न हैं. अब तक आप इस माध्यम से दूर क्यों थे?
जवाब - मेरी बिटिया ने वर्ष २०११ में ट्विटर पर मेरा अकाउंट बना दिया था. लेकिन मैं एक्टिव था ही नहीं। रामायण के प्रसारण के बाद मित्रों और दर्शकों के आग्रह पर मैं इस माध्यम से जुड़ गया. फिर हमने सबसे पहले मेरे नाम से बने नकली अकाउंट्स को बंद करवाया. अब मैं इस मीडियम पर एक्टिव रहूंगा.
सवाल - रामायण के पहले अरुण गोविल और रामायण के पश्चात के अरुण गोविल को कैसे आप परिभाषित करेंगे?
जवाब - ज्यादा फर्क नहीं है. कहना नहीं चाहिए लेकिन भगवान राम के कुछ गुण मेरे अंदर पहले से हैं. शायद यही कारण रहा कि राम का चरित्र मुझसे इतने अच्छे से हो सका. इसका सही जवाब मेरे आस-पास के लोग दे सकेंगे।
सवाल - #कोरोना_महामारी के इस दौर में रामायण का प्रसारण एक सम्बल की तरह दर्शकों के बीच आया है. जब आपको यह सूचना मिली तो आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी?
जवाब - इस समय हम एक मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं, ऐसे में जब मुझे रामायण के प्रसारण की सूचना मिली तो प्रसन्नता हुई. उस समय हम काम में व्यस्त रहते थे, तो रामायण देख ही नहीं पाते थे. इस बार हम भी इसका प्रसारण सुकून से देख पा रहे हैं. नयी पीढ़ी यह सीरियल परिवार के साथ देख रही है.
सवाल - रामायण के प्रसारण के पश्चात आपको लोग भगवान राम मानने लगे थे. एक कलाकार के लिए इससे बड़ी उपलब्धि नहीं हो सकती, लेकिन क्या कभी आप इस इमेज की वजह से किसी मुश्किल में पड़े?
जवाब - रामायण के बाद मुझे कमर्शियल फिल्में मिलनी बंद हो गयीं. हर बात के निगेटिव-पॉज़िटिव पहलू होते हैं. रामायण से मुझे जो कुछ मिला,वह शायद मैं कितनी भी फिल्में कर लेता,मुझे नहीं मिलता. भगवान राम ने अपना नाम मेरे साथ जोड़ दिया, और क्या देगा भगवान? मैं इंसान ही बना रहूं,बहुत है मेरे लिए.
सवाल - रामायण आज दूसरी बार व्यापक तौर पर प्रसारित हो रहा है. समय बदला है, दर्शक बदले हैं. वर्तमान दर्शकों की प्रतिक्रिया और तैंतीस साल पहले की प्रतिक्रिया में अंतर महसूस करते हैं?
जवाब - काल और दर्शक भले ही बदल गए हैं, लेकिन भाव नहीं बदला है. उतने लोगों ने मुझे तैंतीस साल पहले भगवान नहीं कहा था, जितने लोग आज भगवान कह रहे हैं. आज दर्शकों की संख्या बहुत बढ़ गयी है।
सवाल - क्या रामायण हमें अपने धर्म, संस्कृति, जड़ों से पुनः जोड़ने का काम कर रही है.
जवाब - जी, जैसे कोई चीज़ घर में पड़ी हो और हम बहुत दिन तक उसकी सफाई न करें तो धूल जम जाती है. ऐसे ही, हमारे दिलो-दिमाग पर मैटेरियल की धूल जम गयी है और हमने अपनी संस्कृति छोड़ दी है. रामायण आज हमें उन सारी बातों का स्मरण करा रही है।
NOTE - ट्विटर पर अरुण गोविल और फिल्म फेयर के बीच हुई बातचीत पर आधारित