लॉकडाउन के दौरान टीवी पर एक बार फिर से पुराने सीरियल्स लौट आए हैं। दूरदर्शन पर बीआर चोपड़ा के महाभारत का प्रसारण किया जा रहा है। इसे दर्शकों का खूब प्यार मिल रहा है। इसी वजह से इस हफ्ते शो ने टीआरपी लिस्ट में भी बाजी मारते हुए पहला स्थान हासिल किया है। इसके एपिसोड की बात करें तो दिखाया गया कि किस तरह से द्रोपदी ने दुर्योधन का उपहास उड़ाकर महाभारत के युद्ध की नींव रखी थी।
एपिसोड में दिखाया गया कि पांडवों के परिवार को देखकर कर्ण खुद के अकेले होने पर दुखी है और शिशुपाल के वध का शोक मना रहा है। शकुनि कान भरने का काम करता है। तभी वहां दुर्योधन आता है और युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ पर गुस्सा जाहिर कर रहा है। उसे लगता है कि पांडव इंद्रप्रस्थ पाकर खुश नहीं हैं और वो हस्तिनापुर पाना चाहते हैं।
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राजसूय यज्ञ संपन्न होने के बाद सभी विदा लेते हैं। द्रुपद अपने बेटे धृष्टद्युम्न को आशीर्वाद दिलाने के लिए द्रोणाचार्य के पास लेकर जाते जाते हैं। कृष्ण, कर्ण, दुशासन भी विदा लेते हैं, लेकिन दुर्योधन और शकुनि कुछ दिन रुकने का फैसला करते हैं। शकुनि की चौसर की बात सुनकर दुर्योधन को क्रोध आ जाता है, लेकिन शकुनि पांडवों के साथ चौसर खेलता है और जानबूझ कर हार जाता है।
दुर्योधन अपने मामा का मजाक भी उड़ाता है, लेकिन वो शकुनि की राजनीति से अनजान है। उसके कहने पर दुर्योधन राज्य देखने निकलता है और खूबसूरत देख मोहित हो जाता है और ईर्ष्या भी करने लगता है। तभी मायामहल में वो पानी से भरे कुंड में गिर जाता है और द्रोपदी उसे देखकर हंसने लगती है और कहती है, 'अंधे का पुत्र अंधा।' ये सुनकर दुर्योधन आगबबूला हो जाता है। वो मन में ठान लेता है कि इस अपमान का बदला लेकर रहेगा।
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इसके बाद शकुनि हस्तिनापुर में समारोह करने का सुझाव देता है और दुर्योधन को वचन देता है कि चौसर के खेल में वो युधिष्ठिर को हरा देगा। इससे उसका बदला पूरा हो जाएगा। द्रोपदी के दुर्योधन पर हंसने से युधिष्ठर परेशान है और उसे बताता है कि उसने गलती की है। इसके बाद पांचों पांडव आमंत्रण पर हस्तिनापुर आते हैं और सभी को क्रीड़ा गृह में प्रस्थान करने को कहा जाता है, जहां युधिष्ठिर चौसर का सामना करेगा।