टीवी के 'राम' अरुण गोविल ने भारतीय जनता पार्टी से नाता जोड़ लिया है। इसके साथ ही उनका नाता राजनीति से भी जुड़ गया है। बीते लोकसभा चुनाव के दौरान कई कयास लगाए जा रहे थे कि अरुण गोविल की भारतीय राजनीति में एंट्री हो सकती है, लेकिन उस दौरान ये मुनासिब नहीं हो सका। इसके बाद अरुण गोविल की राजनीति में आने की सुगबुगाह किसी ठंडे बस्ते में चली गई। अब जब उन्होंने बीजेपी को ज्वॉइन कर लिया है, तो उनके अब तक करियर पर एक नजर डालना लाजमी हो जाता है।
बहुत से लोगों को वो दिन याद होंगे जब 1987-88 के साल में सुबह के 9 बजे लोग अपने कदमों को थाम लेते थे। वे टीवी छोड़ कर कहीं जाना नहीं चाहते थे क्योंकि लोग टीवी पर भगवान राम के दर्शन की इच्छा रखते थे। उन्हें पता था कि जो वह देख रहे हैं वह एक काल्पनिक 'राम' हैं। इस भूमिका को अरुण गोविल ने निभा कर अमर कर दिया। 12 जनवरी, 1958 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में पैदा हुए अरुण गोविल को रामायण धारावाहिक की जितनी लोकप्रियता मिली, उतनी न तो अन्य धारावाहिकों से और न ही किसी फिल्म से मिली।
अब भले ही रामायण एक धारावाहिक के रूप में दिखाई गई हो, लेकिन अरुण गोविल की छवि अभी भी लोगों के दिमाग में राम के रूप में बनी हुई है। जब भी रामायण का उल्लेख किया जाता है, अरुण गोविल भगवान राम के रूप में सामने आते हैं। उन्होंने अपने करियर में कई फिल्मों और टीवी सीरियलों में काम किया लेकिन लोगों उनके उन किरदारों में उन्हें कभी नहीं स्वीकारा, क्योंकि लोगों के मन में अरुण गोविल के रूप में भगवान राम की छवि बना गई थी।
एक वक्त था जब अरुण गोविल ये मानते थे कि उनके द्वारा निभाया ये किरदार उनके करियर की मुसीबत न बन जाए। वह जब भी किसी प्रोड्यूसर के यहां काम मांगने जाते थे तो निर्माताओं के भी दिल में उनके राम वाली छवि सामने आ जाती। रामायण सीरियल से बनी छवि के कारण अरुण गोविल के लिए आर्दशवादी चरित्र का कोई किरदार न तो किसी सीरियल में था और न ही बॉलीवुड की किसी फिल्मों में।